अमरकंटक में बफर जोन की सीमा के अंदर आने वाले तीन सौ निर्माण कार्यों पर चलेगा बुलडोजर एनजीटी के आदेश के बाद गेंद अब प्रशासन के पाले में

अमरकंटक में बफर जोन की सीमा के अंदर आने वाले तीन सौ निर्माण कार्यों पर चलेगा बुलडोजर
एनजीटी के आदेश के बाद गेंद अब प्रशासन के पाले में
इंट्रो- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में बफर जोन के अंतर्गत आने वाले तीन सौ निर्माण कार्यों को एक सर्वे में चिन्हित करते हुए जिला कलेक्टर को इस पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। या यह कहा जाए कि वेद अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। फिलहाल अभी एनजीटी के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने अमरकंटक में आदेश के पालन के लिए कोई कदम नहीं उठाया है लेकिन यह माना जा रहा है कि जल्द ही जिला प्रशासन इस संबंध में कार्रवाई करने की तैयारी में है जिससे अमरकंटक की तस्वीर ही बदल जाएगी।
अनूपपुर। माननीय श्रीमान न्यायमूर्ति शिवकुमार सिंह, ने 20/09/2023 को याचिका की सुनवाई के दौरान पैरा 6 और 7 में यह पाया गया कि नर्मदा के लिए बड़ी चुनौती अशोधित औद्योगिक अपशिष्ट और नागरिक सीवेज का डंपिंग है। सेंट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि मंडला से भेड़ाघाट तक नदी का 160 किलोमीटर लंबा प्रवाह और सेठानी जी से नेमावर तक 80 किलोमीटर लंबा प्रवाह अत्यधिक प्रदूषित है। सीपीसीबी ने अपनी ताजा 21वीं रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में बहने वाली नदी के विस्तार को प्रदूषित घोषित किया है। विचार मैड प्रदेश द्वारा नर्मदा नदी पर तैयार किए गए पेपर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि, 24 शहर ऐसे हैं जो अपना प्रदूषित पानी बिना किसी उपचार के नर्मदा में बहाते हैं।रिपोर्ट में नर्मदा के निकट खेतों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की ओर भी इशारा किया गया है।
गंदे पानी से प्रदूषित हो रहा नर्मदा का जल
एमपी राज्य और एमपीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आलोक में ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम के विभिन्न नाले अपने सीवेज/अनुपचारित पानी को नदी में छोड़ रहे हैं, जिससे नदी की जल गुणवत्ता प्रदूषित हो रही है और अधिकांश शहरों में मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पीने के पानी की आपूर्ति नदी से की जा रही है। 606/2018 के मामले में इस ट्रिब्यूनल द्वारा नदी निकाय में अनुपचारित पानी के निर्वहन के लिए मामला उठाया गया है और पर्यावरण मुआवजे की गणना और वसूली के लिए सीपीसीबी के मापदंडों और दिशानिर्देशों के आधार पर पैरामीटर निर्धारित किए गए हैं। पैरा नीचे उद्धृत किया गया है 12/09/2019, 7/01/2020 को डी समीक्षा और मुख्य सचिवों के साथ बातचीत का दूसरा दौर सीपीसीबी की दिनांक 09/09/2019 की रिपोर्ट के आलोक में 12/09/2019 को मामले की समीक्षा की गई, जिसमें ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन, चिन्हित प्रदूषित नदी खंडों के क्रियाकलाप, प्रदूषित औद्योगिक समूहों के अनुपालन में व्यापक अंतर दिखाया गया था। और गैर-प्राप्ति शहर। मुख्य सचिवों की उपस्थिति का नया कार्यक्रम जारी किया गया।दिनांक 07/01/2020 के आदेश के तहत, ट्रिब्यूनल ने सीपीसीई को एमएसडब्ल्यू उत्पन्न, पृथक्करण और उपचारित, अपशिष्ट प्रसंस्करण में अंतर, इस ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार वैधानिक समय सीमा के प्रवर्तन, संख्या के संदर्भ में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुपालन का पता लगाने का निर्देश दिया। सुधारित की गई साइटें, उनमें विरासती कचरे की मात्रा और पूर्ण निवारण के लिए समय-सीमा। आगे यह निर्देश दिया गया कि सीवेज उपचार के विषय पर, सीपीसीबी को सीवेज की मात्रा का पता लगाना होगा।
नर्मदा के दोनों तरफ सौ मीटर तक बफर जोन
एनजीटी की तरफ से अपने आदेश के अनुपालन करने के लिए अमरकंटक में 300 नाम की एक सूची जिला कलेक्टर के नाम भेजी गई है जिसमें 66 निर्माण कार्य प्राइवेट जमीन पर है तो वही 230 लोगों ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके मकान दुकान बना रखी है यही नहीं इसमें 10 ऐसे स्थान हैं जिन पर सरकारी निर्माण कार्य हुआ है जिसमें से मुख्य रूप से अस्पताल, विद्युत विभाग, उद्यान, नर्सरी शामिल है। वैसे अगर एनजीटी के आदेश का पालन होता है तो बर्फानी आश्रम से लेकर पंडा मोहल्ला, से होते हुए मां नर्मदा के तट और उत्तर की दिशा की सड़क के बीच सर्वोदय होटल कल्याणिका स्कूल, से लेकर कपिल संगम की बस्ती दोनों तरफ पातालेश्वर मंदिर, परमानंद आश्रम, शासकीय उद्यान शासकीय नर्सरी तीर्थयम लाज, बप्पा की वाडी, जैसे प्रमुख स्थान चिन्हित किए गए हैं।
सर्वे का काम पूरा चुनाव के बाद होगी कार्यवाही सीएमओ
उक्त पूरे मामले में अमरकंटक नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी चैन सिंह परस्ते ने हमे कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार अमरकंटक स्थित नर्मदा नदी के 100 मीटर दोनो तरफ के प्राइवेट और सरकारी निर्माण कार्य जिसमें वैद्य और अवैद्य दोनों प्रकार के निर्माण है। जिन्हें सर्वे के अनुसार चिन्हित किया गया है जिसके अनुसार जो भी इसके दायरे में आएगा। आगामी आदेश के अनुसार उस पर कार्यवाही की जाएगी।