खनन विभाग का खेडिया को डोंगरिया कला में अभय वरदान कुछ भी करे जिम्मेदार कभी नही देंगे ध्यान ग्रेनाइट की टेस्टिंग के नाम पर खोद डाली खाई फिर किया पत्थर खनन बन सकता सरकार के गले की फांस @विजय उरमलिया की कलम से

खनन विभाग का खेडिया को डोंगरिया कला में अभय वरदान कुछ भी करे जिम्मेदार कभी नही देंगे ध्यान
ग्रेनाइट की टेस्टिंग के नाम पर खोद डाली खाई फिर किया पत्थर खनन बन सकता सरकार के गले की फांस
@विजय उरमलिया की कलम से
इन्ट्रो-जिले में खनिज विभाग को यंू तो हरेक खनन माफिया ने नियम कानून ताक पर रखकर कार्यवाही करने की हर समय खुली चुनौती दी है। सूत्र बताते है कि इनमें खेडिया एक ऐसा नाम है जिसका साफ कहना है मुझे विभाग का अभय वरदान है मै खाई खोदूं य खदान जिम्मेदार कभी नही देंगे ध्यान। यहां विभाग के नियम कायदे और कानून मेरी गद्दी के आगे माथा टेंकते है यदि ऐसा नही है तो सब कुछ नियम विपरीत होता देख डोंगरिया कला में खनन विभाग के द्वारा अब तक कार्यवाही का हांथ क्यों नही डाला गया यह अपने आप में बडा सवाल है। बहरहाल खनन विभाग व प्रषासन यह पूरा मामला देखे य न देखे लेकिन खेडिया के ऐसे बोल इस चुनावी वर्ष में सरकार के गले की फांस बन सकते हैं।
अनूपपुर। यह बात बिल्कुल सत्य है कि विभिन्न्ा प्रकार के खनिजो से मध्यप्रदेष सरकार को करोड़ो अरबो का राजस्व प्राप्त होता है और इसके लिये बाकायदे सरकार नीति का निर्धारण इसलिये करती है कि खनन कारोबार से जुडे कारोबारी वैध की आड में अवैध कारोबार न करें। लेकिन जिले में शायद सरकार की खनन नीति प्रभावषील नही है तभी तो यहां पत्थर माफिया खुले-आम विभागीय जिम्मेदारों को मौकाय पडताल कर कार्यवाही की खुली चुनौती देते हैं और विभाग के अधिकारी वहां कभी नही पहंुचते। कई मरतबा विधानसभा कोतमा क्षेत्र के नागरिको ने डोंगरिया कला व डोंगरिया खुर्द में खोदी गई खाई के जांच कराने की मांग को लेकर षिकायत की लेकिन कभी खोदी गई खाई की माप विभाग ने नही की। इतना ही नही पत्थर खनन के कारोबार से जुडे नामी खेडिया के द्वारा ग्रेनाइट टेस्टिंग के नाम पर खोदे गये पत्थर की विभाग के द्वारा शायद इसलिये रायल्टी नही जमा करायी गयी कि उसका खौफ उन्हें सताये रहता है। व्यापक पैमाने पर पत्थर की पातालतोड की गई खुदाई क्षेत्र के जनमानस के लिये एक बडा खतरा आने वाले समय में बन सकती है। प्रदेष के मुखिया जनसामान्य का माफियाओ से जीवन बचाने के लिये खुले-आम साफ शब्दों में जिम्मेदारों से कह चुके हैं कि माफिया कोई भी हो बख्शा नही जायेगा फिर यहां विभाग व जिम्मेदार नींद से क्यों नही जाग रहे शायद उन्हें बडी अनहोनी का इंतजार है।
कैसे काम करते खनन माफिया?
खनन माफिया सुनकर भले ही आपके मन में हथियार बंद लोगो से घिरे किसी अंडरवर्ड डाॅन की तस्वीर सामने आती हो लेकिन ऐसा नही है दरअसल यह माफिया कुछ जगह खनन की अनुमति लेते हैं जिस पर वह एक तय टैक्स चुकाते है और बाद में बडे इलाके में अतिक्रमण कर पत्थर उत्खनन के माध्यम से मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर देते हैं ऐसा ही लगभग खनन माफिया के काम का तरीका होता है जो लगभग हर जगह एक जैसा ही होता है। यही वजह है कि जब भी किसी खनन माफिया से जुडी कोई घटना सामने आती है तो आरोप लगता है कि उन्हंे सत्ता और खनन विभाग के अधिकारियो के साथ जिम्मेदारो का संरक्षण मिला है।
जल, जंगल, जमीन सबको खतरा
खनन माफिया के द्वारा की जा रही पातालतोड खुदाई से जल, जंगल, जमीन सब पर खतरा मंडरा रहा है। जहां जल श्रोत सूखते जा रहे है वही पत्थर उत्खनन के लिये उपयोग किये जाने वाले विस्फोटक पदार्थ के कारण क्षेत्र की जमीन बंजर होते जा रही है और जंगलो में लगे पेड पौधे सूखते जा रहे हैं। इन सबको बचाने के लिये प्रदेष की सरकार प्रतिवर्ष करोडों करोड रूपये खर्च करते हुये आम जन सामान्य को जागरूक करने में जुटी है तो खनन माफियाओ पर कार्यवाही करने वाला जिम्मेदार विभाग हर माह मिलने वाली मोटी रकम के आगे मौन है अगर ऐसा नही होता तो अब तक हरेक माफिया की खदान मंे पहंुचकर उनके द्वारा खोदी गई मौतनुमा खाई के गहराई का भौतिक सत्यापन कर प्रकरण बनाते हुये फाइल कार्यवाही हेतु कलेक्टर के समक्ष पहंुच चुकी होती।
सियासी गलियारे का विषय अवैध खनन
अवैध खनन जीता जागता एक ऐसा मुद्दा है जिसे शायद रोक पाने का साहस अनूपपुर जिले के खनन विभाग के पास नही है। यहां पर समय अंतराल में कोई न कोई खनन माफिया का षिकार होता है लेकिन न तो खनिज विभाग और न ही पुलिस कुछ कर पाती है। यहां तक की जिला प्रषासन भी कोई सख्त फैसला भी नही ले पाता है। प्रदेष के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान कई बार खुले मंचो से अधिकारियो से साफ कह चुके हैं कोई भी माफिया हो बख्शा नही जाना चाहिये लेकिन अनूपपुर जिले में खुले-आम खनन माफियाओ का राज चल रहा है जो चुनाव के दौरान सरकार की गले की फांस बन सकता है।