अमरकंटक नर्मदा मंदिर में मनाया गया परशुराम जयंती , निकाली गई शोभायात्रा ,,अमरकंटक पास दमगढ़ में हुआ था परशुराम जी का जन्म - डॉ आर जी सोनी ,,संवाददाता / श्रवण उपाध्याय

अमरकंटक नर्मदा मंदिर में मनाया गया परशुराम जयंती , निकाली गई शोभायात्रा ,,अमरकंटक पास दमगढ़ में हुआ था परशुराम जी का जन्म - डॉ आर जी सोनी
अमरकंटक / मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में आज वैशाख शुक्ल पक्ष अक्षय तृतीया दिन बुधवार 30/04/2025 को भगवान परशुराम जी की जयंती (प्रगटोत्सव दिवस) बड़ी ही धूमधाम के साथ पूजा अर्चन कर मनाया गया । उसके बाद सभी उपस्थित ब्राह्मणों द्वारा भगवान परशुराम का भव्य शोभायात्रा निकाल कर नगर भ्रमण कराते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय चौक तक निकाला गया और वहीं से शोभायात्रा वापस मुख्य मार्ग होते हुए मंदिर पहुंच समाप्त किया गया ।
भृगु वंश के परम प्रतापी शूरवीर भगवान परसुराम जो विष्णु भगवान के 6 वे अवतार थे । पहले उनका नाम राम था । शिव जी के द्वारा फरसा दिए जाने से परसु राम नाम प्रशिद्ध हुआ।
डॉ रामगोपाल सोनी (पूर्व एपीसीसीएफ ) बताते है कि भगवान परसुराम की जन्म स्थली के बारे में कहते है कि
भगवान परसुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और उनकी क्षत्रिय पत्नी रेणुका जो इछवाकु वंशी थी , के 6 वे पुत्र के रूप में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को हुआ था।
लेकिन वो स्थान तपस्वी जमदग्नि का पवित्र आश्रम था अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर दमगढ़ बस्ती में ।
पहले इस स्थल का नाम नर्मदापुर था । स्कन्द पुराण रेवा खंड के अनुसार कपिलधारा के उत्तर में वैदूर्य पर्वत है जिसे वर्तमान में आज दमगढ़ कहते है।
इसको मांधाता पर्वत भी कहते है क्योंकि मान्धाता ने यहां तपस्या की थी और शिव जी के वरदान से वैदूर्य पर्वत का नाम पड़ा मान्धाता पर्वत ।
जो आज मंडला है वह पूर्व में महिष्मतीपुर कहलाता था । ब्रह्मांड पुराण के अनुसार नर्मदा नदी इस शहर को तीन ओर से घेरे हुए थी। सहस्तार्जुन जिन्होंने परम प्रतापी रावण को बंदी बना लिया था उन्ही की नगरी थी । महिष्मतीपुर से अमरकंटक शिकार खेलने सहस्त्रबाहु गए थे और वो जमदग्नि आश्रम पहुंचकर ऋषि के दर्शन किये ।
परसुराम जी विश्वामित्र की बहन सत्यवती के पौत्र थे ।
ब्रह्मांड पुराण में स्प्ष्ट है कि मंडला ही महिष्मतीपुर है और अमरकंटक के पास दमगढ़ ही जमदग्नि आश्रम था और परसुराम की जन्म स्थली है ।
ब्राह्मण समुदाय इस बात को ध्यान दे कि ऊर्जा के अखंड तेजस्वी महापुरुष चिरंजीवी परसुराम की वास्तविक जन्मस्थली को पहचाने और इसका विकास करवाने का प्रयास करे।
इसी दमगढ़ वस्ती के नीचे नर्मदा नदी से एक छोटी नदी जो दमगढ़ पहाड़ से बहकर आती है और नर्मदा में मिलती है उसी स्थान से प्रभु श्रीराम लक्ष्मण और सीता जी ने नर्मदा पार कर उद्गम की ओर निकले । डॉ रामगोपाल सोनी परमहंस धारकुंडी आश्रम के श्री श्री 1008 श्री स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज के कृपापत्र शिष्य है । जो विभिन्न ग्रन्थ शास्त्र पर अनुसंधान कर रहे है जैसे राम वन गमन पथ , कृष्ण पथ , परशुराम के जीवन पर कर रहे है ।
भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर अमरकंटक के ब्राह्मण समाज पूजन और शोभायात्रा में मुख्य रूप से पंडित उमेश द्विवेदी , धनेश द्विवेदी,राजेश द्विवेदी, रूपेश द्विवेदी, अभिषेक द्विवेदी, प्रकाश द्विवेदी,कान्हा द्विवेदी, राधेश्याम उपाध्याय, मार्कण्डेय शर्मा,विनायक द्विवेदी,आकाश द्विवेदी,प्रकाश द्विवेदी,अश्वनी तिवारी,योगेश दुबे,मुनीश पांडेय,उमाशंकर पांडेय,धनंजय तिवारी,जितेंद्र तिवारी आदि सैकड़ों ब्राह्मण उपस्थित हुए ।