मंत्री बनने के बाद जनता में दिलीप जायसवाल से जगी आस क्या कर पाएगें बिजुरी का विकास 
पानी, स्वास्थय के साथ बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती 

 


(विकास पाण्डेय)
बिजुरी। बिजुरी नगर के इतिहास के पन्नों में दर्ज हुई 25 दिसंबर की तारीख सूबे के मंत्रीमंडल में बिजुरी नगर प्रथम व्यक्ति को मिली मंत्री की जिम्मेदारी स्वर्णिम अक्षरों से बिजुरी नगर के इतिहास में दर्ज हुआ मोहन का मंत्रिमंडल बिजुरी कोयलांचल क्षेत्र की जनता में न्यूनतम बुनियादी सुविधाओं के इर्द-गिर्द जगी उम्मीद अब विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकेगा बिजुरी नगर स्वास्थ्य पेयजल सड़कों रोजगार और राजस्व के मुद्दों पर माननीय मंत्री महोदय को देना होगा ध्यान कहते हैं हिंदुस्तान की ताकत तो राजनीतिक सत्ता में बसती है और अगर जिस किसी भी नगर या फिर शहर का जनप्रतिनिधि अगर सत्ता का अंग बन जाए तो जनता की उम्मीद बढ़ना लाजमी है ऐसी उम्मीद बिजुरी नगर  की जनता को माननीय दिलीप जायसवाल से बंधी है स्मरणीय है कि उन्हें सूबे की सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा मिला है वाकई मौजूदा वक्त वक्त कोतमा विधानसभा के समुचित विकास के लिए स्वर्णिम अवसर कहा जा सकता है और उक्त क्षेत्र में जनसरोकार के कामों को कराकर दिलीप जायसवाल भी अपना नाम  बिजुरी में एक विकास पुरुष की पहचान बना सकते हैं क्योंकि सत्ता के लिए कुछ असंभव होता नहीं गौरतलब है कि बिजुरी क्षेत्र के रहवासियों को दिलीप जायसवाल से विकास की आस बंधी है  गली मुहल्ले चैराहों पर लोगों द्वारा चर्चा भी यही सुनाई देती है  कि अब बिजुरी नगर जो की अब तक पिछड़े पन के दर्द से कराह रहा है अब बिजुरी नगर का विकास होगा।
उन्नयन का वादा अब तक अधूरा
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुरी का उन्नयन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में किए जाने के लिए पूर्व में मुख्यमंत्री के द्वारा घोषणा की गई थी। जिसके पश्चात पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहू लाल सिंह ने भी सामुदायिक स्वास्थ्य का दर्जा जल्द से जल्द प्रदान किए जाने का आश्वासन स्थानीय लोगों को दिया था। जो कि अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। बिजुरी नगर के अस्पताल में समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं न होने का खामियाजा लोगों को भोगना पड़ रहा आलम यह है कि रात के वक्त अगर कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए या फिर किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाए तो बिजुरी नगर के अस्पताल में समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण चिकित्सक द्वारा उक्त मरीज को जिला अस्पताल अनूपपुर या मनेंद्रगढ़ रेफर कर दिया जाता है आगर भगवान् भरोसे पहुंच गया तो ठीक नहीं तो बीच रास्ते में ही उसके जीवन की ज्योति बुझ जाती है और वह असमय ही काल के गाल में समा जाता है  बिजुरी नगर के अस्पताल में सुविधाएं न होने का खामियाजा गरीब और मध्यम तबके के लोगों को भोगना पड़ता है। दसकों पुरानी पेयजल समस्या का अब तक नहीं हो सका स्थाई समाधान मार्च के महीने के दस्तक देते बिजुरी नगर जल समस्या उत्पन्न होने लगती है और अप्रैल मयी के महीनों में लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए जूझना पड़ता है उल्लेखनीय है कि बिजुरी नगर की पेयजल समस्या सबसे ज्वलंत समस्या है गर्मी के मौसम में तालाब सूख जाते हैं नलों से जलापूर्ति नाम मात्र के लिए ही हो पाती है कुओं का पानी में खत्म हो जाता है ऐसे में लोगों को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है  हालांकि नपा द्वारा टैंकरों से पानी सप्लाई की जाती है लेकिन बहेराबाध भूमिगत खदान का दूषित गिरीश मोबिल और कोयला के जैसे काले पानी की सप्लाई होती है लेकिन वह भी ऊंट के में जीरा साबित होती है लोगों आवश्यकता अनुसार पानी मिलता नहीं  अतीत के पन्नों को अगर पलटा जाए पेयजल समस्या के समाधान के लिए बिजुरी नगर में धरना प्रदर्शन भी किए गए लेकिन अब तक बिजुरी नगर में पेयजल समस्या जल  का स्थाई समाधान हो नहीं पाया। और लोग आज भी कोयला के प्रदूषित पानी से गुजर बसर करने को मजबूर होना पड़ रहा है मार्च अप्रैल का महीना आते ही बिजुरी नगर में पानी की परेशानी शुरू हो जाती है और और मयी में तो लोगों को एक एक बाल्टी के लिए जद्दोजहद या फिर कठिन संघर्ष करना पड़ता है उल्लेखनीय है कि अगर केवयी नदी से बिजुरी नगर में जलापूर्ति की व्यवस्था कर दी जाए तो बिजुरी नगर में दसकों पुराने जल संकट का स्थाई समाधान हो सकता है।
घटता व्यापार पलायन करने को मजबूर यूवा बेरोजगार 
दावों का सच अपनी जगह लेकिन बिजुरी नगर में जमीनी हकीकत यही है जी  कहते हैं कि किसी भी नगर या शहर की उन्नति और विकास का मुख्य पैमाना उस क्षेत्र का बढ़ता व्यापार और रोजगार होता है अगर स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा तो हर हाल में वहां का व्यापार भी बढ़ेगा लेकिन अगर दिनों दिन व्यापार घटता जाए और बेरोजगारी के साए तले उस सहर का यूवा पलायन करने को मजबूर हो तो उस क्षेत्र का विकास ठहरसा जाता है ऐसी कुछ ही तस्वीर बिजुरी नगर में दिखाई देती है सर्वविदित है कि बिजुरी नगर की पहचान तो काले हीरे की नगरी के नगरी के रूप में होती है लेकिन इस नगर में दिया तले अंधेरा की कहावत अब चरितार्थ होती चली जा रही है जाहिर है बिजुरी नगर जिसकी पहचान ही कोयला उद्योग से होती है और उक्त उद्योग के आसरे देश के कोने-कोने के लोग आकर अपना जिविका उपार्जन किया करते थे और व्यापार भी अच्छा चलता था आप लौट चलिए लगभग २०वर्ष पहले और याद कीजिए बिजुरी कोयलांचल क्षेत्र में 7 कोयला खदानें संचालित थी लेकिन वक्त बीतने के साथ वर्ष दर वर्ष खदानें बंद होती चली गई सबसे पहले लोहसरा खदान में तला लगा उसके बाद सोमना कोयला खदान बंद हुई ए सीम भूमिगत खदान में ताला लगने के बाद बीते नवंबर महीने में कपिलधारा भूमिगत खदान भी बंद हो गई अब जानकारों के अनुसार बिजुरी भूमिगत कोयला खदान के भी मार्च महीने तक बंद होने की प्रबल संभावना है उक्त कोयला खदानों के बंद होने का सीधा असर  रोजगार और व्यापार पर पड़ रहा है कोयला खदानों के बंद होने से जहां एक ओर बेरोजगारी चरम सीमा पर जा पहुंची है वहीं दूसरी ओर व्यापारियो के ऊपर संकट के बादल घुमणने लगे हैं बिजुरी नगर में संचालित उपतहसील को तहसील का दर्जा मिलने की उम्मीद बढ़ी है स्मरणीय है कि बिजुरी नगर में उप तहसील संचालित है विधानसभा चुनाव से  पूर्व ही पूर्व मुख्यमंत्री माननीय शिवराजसिंह ने इस आशय का प्रस्ताव जिला प्रशासन से मंगाया था लेकिन बिजुरी नगर की उप तहसील को तहसील का दर्जा नहीं मिल नहीं पाया बताया गया है कि बिजुरी उपतहसील अंतर्गत लगभग 90 गांव आते हैं ऐसे में बिजुरी उपतहसील को तहसील का दर्जा मिलने से लोगो को राजस्व संबंधी कामों के लिए कोतमा नहीं जाना पड़ेगा उप रजिस्ट्रार भी बैठने लगेंगे जमीनों की रजिस्ट्रीयो का काम भी बिजुरी में होने लगेगा नकल साखा की स्थापना भी हो जाएगी और बिजुरी कोयलांचल क्षेत्र के लोगों राजस्व सम्बंधित कामों के आशानी होगी ऐसे में बिजुरी उप तहसील को तहसील का का दर्जा दिया जाना आवश्यक है।