प्रथम बार पॉक्‍सो एक्‍ट में आरोपिया महिला को हुई सजा

अवयस्‍क बालक का आरोपिया महिला द्वारा लैंगिक शोषण करने पर हुआ 10 वर्ष का सश्रम कारावास

    इंदौर – जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्‍तव, ने बताया कि दिनांक  15.03.2023 को माननीय न्‍यायालय- श्रीमती सुरेखा मिश्रा, तेरहवे अपर सत्र न्‍यायाधीश एवं विशेष न्‍यायाधीश (पॉक्‍सो एक्‍ट) , जिला इंदौर ने थाना बाणगंगा, जिला इंदौर के अपराध क्रमांक 1206/2018 विशेष प्रकरण क्रमांक 2191/2018 में निर्णय पारित करते हुए आरोपिया XYZ, आयु 19 वर्ष, निवासी – राजस्‍थान को धारा 5एल/6 पॉक्‍सो एक्‍ट में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 363 भा.दं.वि. में 5 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 3000/- रुपये के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती सुशीला राठौर एवं एडीपीओ अमिता जायसवाल द्वारा की गई। 

नोट :- उक्‍त प्रकरण में पीडि़त बालक को 50000 रुपये की प्रतिकर राशि दिलवाई जाने की अनुशंसा की गई। 

अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 05.11.2018 को पीडि़त बालक की माता ने पुलिस थाना बाणगंगा, इंदौर में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करवाई कि वह इंदौर में रहती है तथा चूड़ी बनाने का काम करती है। दिनांक 03.11.2018 को शाम 08:00 बजे उसका लड़का पीडि़त बालक, उम्र 15 वर्ष खीर के लिये दूध लेने दुकान पर गया था, जो वापस घर पर नहीं आया है। उसे कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया है। उसने अपने लड़के पीडि़त बालक को आसपास एवं रिश्तेदारों में काफी तलाश किया, लेकिन कोई पता नहीं चला। बालक की माता की रिपोर्ट पर से पुलिस थाना बाणगंगा, इंदौर अपराध क्रमांक 1206/2018 अंतर्गत धारा 363 भा.दं.सं. की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई। विवेचना के दौरान पीडि़त बालक को दस्तयाब किया गया, पीडि़त बालक द्वारा अपने कथन में बताया कि आरोपिया उसे बहला-फुसलाकर घूमने चलने का बोलकर गुजरात ले गई जहां उसने उसे टाईल्‍स फैक्‍ट्री में काम पर लगा दिया और उसके साथ 5-6 बार शारीरिक संबंध बनाने के लिये मजबूर किया और मम्‍मी पापा से फोन पर भी बात नहीं करने दी और उसका फोन अपने पास रख लिया था। बालक का मेडिकल परीक्षण करवाया गया एवं आरोपिया को गिरफ्तार किया गया एवं अन्य साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्‍त के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 363 व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3/4, 5(एल)/6 के अंतर्गत अभियोग-पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जिस पर से आरोपिया को उक्‍त सजा सुनाई गई।