शहडोल पुलिस पर हमला -- अराजक लोगों को आखिर कौन बढावा दे रहा है ? - मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र

शहडोल पुलिस पर हमला -- अराजक लोगों को आखिर कौन बढावा दे रहा है ? - मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र
इन्दौर, मऊगंज,मुरैना के बाद जनजातीय बहुल शहडोल में पुलिस पर हमले ने चिंता बढा दी है। सवाल उठने लगे हैं कि भारत जैसे देश में चंद लोग पुलिस या सुरक्षा बलों पर हमले करने की हिम्मत कैसे कर पाते हैं ? यह साहस उन्हे हो पाता है। देश में पहले सुरक्षा बलों पर हमले का कार्य आतंकवादी, आतंक समर्थक, आतंक को बढावे के लिये वित्तपोषित गद्दार , अराजकतावादी, अलगाववादी या कुछ तथाकथित भटके हुए लोग करते थे। किसी राज्य के किसी कोने से कभी कभार गुण्डे , मवालियों या आन्दोकारियों के द्वारा पुलिस पर हमले किये जाते रहे हैं। हालिया कुछ घटनाओं ने देश का ध्यानाकर्षण किया है, उनमे मऊगज के एक गाँव में अराजक गुण्डातत्वों द्वारा दो लोगों की हत्या और राजस्व - पुलिस के अधिकारियों की पिटाई और बंधक बनाने तथा इन्दौर में पुलिस पर हमले के बाद अब शहडोल में इरानी बाडे के कुछ लोगों द्वारा पुलिस पर हमले की नई वारदात सामने आई है।
दर - असल अराजक,गुण्डे मवाली या सामान्य आम नागरिकों द्वारा कानून तोड़ने से अधिक महत्वपूर्ण है सुरक्षा बलों पर नियम - कायदे के जानकारों द्वारा या जिनके कन्धों पर कानून पालन करवाने का दायित्व है....उनके द्वारा ऐसी किसी घटना को अंजाम देना।
जब पुलिस या सुरक्षा बल के लोग नियम कायदों की अवहेलना करते है या माननीय अधिवक्ता गण पुलिस पर हमले करते हैं, दोनों ही स्थितियां चिंताजनक हैं । अधिकारों, शक्तियों और नियम कायदों की पालना वर्दी, गणवेश धारियों से अधिक होती है। यदि इन पर ही लोग हमले करने लगें या ये ही एक - दूसरे की हड्डियां तोडने लगें या ये ही लोग नियम कायदों से ऊपर समझे जाने लगें तो दशा बहुत चिंताजनक और अराजक हो सकती है।
इसलिए वर्दीधारियों पर या वर्दी धारियों द्वारा प्रत्येक हमले को बहुत गंभीरतापूर्वक लेने की जरुरत है। देश में जब आतंकवाद और नक्सलवाद पर काबू पाने की निर्णायक कवायद चल रही हो तो असंतोष, अलगाववाद , अराजकता को बढावा देने वाली प्रत्येक सोच, प्रत्येक बयान और प्रत्येक गतिविधि के विरुद्ध कानुन सम्मत सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ।
*समस्या कहां है --*
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनाव जीतना जरुरी है। व्यक्तिगत छवि और आचरण दोष, निकम्मापन, भ्रष्टाचार से परेशान जनता प्रत्याशी को धरातल पर ला पटकती है। ऐसे में येन केन चुनाव जीतने के लिये ऐसे अराजक समूह हमेशा समस्याओं मे घिरे रहते हैं। परेशान, समस्याओं में उलझा व्यक्ति/ समाज नेताओं के लिये उर्वर खाद जैसा है। ये उन्हे सहयोग का आडंबर करके वोट बैंक बनाए रखना चाहते हैं। राजनैतिक प्रश्रय ना हो तो सरकार और प्रशासन सख्ती से ऐसे तत्वों से निपट सकता है। म ऊ गंज की घटना से पूर्व सीधी के एक नेता का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है। जो एक वर्ग विशेष के विरुद्ध बयानबाजी करते हुए माहौल खराब करते दिख रहे हैं। ऐसी गैर जिम्मेदार बयानबाजी समाज में विद्वेष पैदा करती है।
*क्या करना होगा --*
अपनी मांगों की आड मे उपद्रव मचाने वाले, सडकों को जाम करके आगजनी, लूट,हिंसा, तोडफोड, हत्याएं करने वालों, सरकारी सम्पत्तियों को क्षति पहुंचाने वालों, सुरक्षा बलों, पुलिस और सरकारी अमले पर हमला करने वालों, समाज और देश विरोधी गतिविधियों, बयानबाजी और अफवाहों मे लिप्त लोगों के विरुद्ध यह प्रावधान हो कि --
1. इनके चुनाव लड़ने, मतदान करने पर रोक लगाया जाए। जब ये मतदाता नहीं रहेगें तो कोई नेता इन्हे प्रश्रय नहीं देगा।
2. ऐसे तत्वों के पक्ष में खड़े लोगों या बेजा दखल देने वालों को सह आरोपी बनाया जाए।
3. सरकार से अराजक लडाई ( आगजनी, हिंसा,बलवा या देश विरुद्ध साजिश ) में लिप्त लोगों के राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आरक्षण के लाभ, मुफ्त शिक्षा ,आवास योजना के लिये अपात्र घोषित करना चाहिये। जब सरकार पर भरोसा नहीं , तो सरकार से लाभ नहीं का सिद्धांत होना चाहिये।
4. गंभीर आरोपों से बरी होने का दायित्व संबंधित व्यक्ति का होना चाहिए ।
5. सार्वजनिक आगजनी, लूट, हिंसा,,बलात्कार, हत्याओ, तोडफोड , देश विरुद्ध गतिविधियों के लिये आरोप सिद्ध होने पर सरकारी नौकरी और सरकारी योजनाओं से हमेशा के लिये वंचित कर देना चाहिए।
लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने, रखने, विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका हैं। सहयोग के लिये मीडिया संस्थान हैं। नागरिक अधिकारों के हनन या नियम विरुद्ध कार्यवाही से प्रताडित होने पर समुचित कार्यवाही की पूरी प्रक्रिया, पूरा सिस्टम है। शांतिपूर्ण ,नियमानुसार धरना प्रदर्शन लोकतंत्र की प्राणवायु है। लेकिन तब तक जब तक कि आपके कार्य व्यवहार से समाज, देश और अन्य किसी व्यक्ति का नुकसान ना हो, उसके अधिकारों का हनन ना हो। सुरक्षा कर्मचारियों और अधिकारी - कर्मचारियों को बंधक बनाना,उन्हे कर्तव्य वहन से रोकना, उन्हे मारना पीटना, उनकी हत्या करना गंभीर से गंभीरतम श्रेणी की मानसिकता और अपराध है। इसके पक्ष में कदापि खडा नहीं हुआ जा सकता।