सरकारी रसीद पर अनूपपुर में पशु तस्करी RK EXPOSE का अब तक का सबसे बड़ा खुलासा,बल्लू वाजिद के लोगों ने लिया लपटा में ठेका - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - प्रशासन लाख दम्भ भरे की हमारे जानकारी में नही है कि जिले में पशु तस्करी होती है और जब मामले सामने आये तो कार्यवाही के नाम पर शून्य ,पर आज जो हम खुलासा कर रहे है चौकाने वाला है, चूंकि बाकायदा प्रशासन ने ठेका दिया मवेशी बाजार का पर कभी उस ठेके को संचालित करने वाले और खरीदारों पर नजर नही रखी नतीजतन पशु तस्कर प्रशासन की रसीद को मोहरा बना कर लगातार पशु तस्करी को अंजाम देते रहे और जब कभी पकड़ में आते तो यही सरकारी रसीद का हवाला दे कर छूट जाते रहे अब जान लीजिए खबर क्या है दरसल ग्राम पंचायत लपटा में मवेशी बाजार का ठेका ग्राम पंचायत में हुआ और इसका ठेका 5 लाख की अधिक राशि मे विक्रम और चन्दू की देख रेख में पर्दे के पीछे से बल्लू और वाजिद ने पैसा लगाते हुए लिया हैरानी तो तब हुई जब मवेशी बाजार का पहली बार पांच लाख से अधिक कीमत पर ठेका हुआ पर ये ठेका तो पशु तस्करों के है इसलिए ये कीमत भी कम ही है बहरहाल अब चलिये विस्तार से पूरी खबर जान लीजिए बल्लू और वाजिद ने पैसे लगाये और   इन्ही के लोग इस बाजार में मवेशी हांक कर कहीं न कहीं से लाते रहे और इस बाजार में बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों बल्लू और वाजिद के लोग जो इस पशु तस्करी में शामिल है एक एक कर पूरी डिटेल गौर से पढियेगा फिर समझियेगा कैसा खेल है
रसीद क्रमांक 500 दिनांक 19/12/2024 को विक्रेता लखन साहू पिता छोटेलाल साहू निवासी गढ़ी कोतमा के द्वारा क्रेता मो.सरिक निवासी ग्राम सरयाबा कोसाम्बी 8 नग मवेशी बेंचा,रसीद क्रमांक 498 दिनांक 19/12/2024 को अनिल पटेल पिता हीरा पटेल निवासी लमाटोला कोतमा के द्वारा मो0 सरिक ग्राम सरयाबा कोसाम्बी उत्तरप्रदेश को 10 नग मवेशी बेंचे गये,रसीद क्रमांक 497 19,12,2020 को ही दोबारा अनिल पटेल के द्वारा मो0 सरिक निवासी कोसाम्बी को फिर उसी डेट को 10 नग बेंचे गये,फिर रसीद क्रमांक 499 में 19-12-2024 को ही तीसरी बार अनिल पटेल के द्वारा मो0 सरिक निवासी कोसाम्बी को 10 नग बेंचे गये,फिर चौथी बार रसीद क्रमांक 495 दिनांक 19,12,2024 को ही अनिल पटेल के द्वारा मो0 सरिक को 10 नग मवेसी बेंचे गये कुल मिला कर 19,12,2024 को विक्रेता अनिल पटेल के द्वारा मो0 सरिक को अलग अलग चार रशीद काट कर 40 नग मवेशी बेंचे गये,रसीद क्रमांक 271 दिनांक 5,5,25 को विक्रेता मोहन केवट पिता छोटेलाल केवट निवासी पोंडी थाना भालूमाड़ा के द्वारा क्रेता फागुन सिंह पिता राजाराम गोंड निवासी बसखली थाना कोतमा को 4 नग बेंचे गये,रसीद क्रमांक 272 दिनांक 5,5,2025 को ही दोबारा दूसरी रशीद पर मोहन केवट के द्वारा फागुन सिंह गोंड बसखली को 4 नग फिर बेंचे गये,रसीद क्रमांक 274 दिनांक 5,5,25 को विक्रेता मंडल सिंह गोंड पिता राम सिंह गोंड ग्राम छाता थाना जैतहरी के द्वारा फागुन सिंह गोंड पिता राजाराम गोंड निवासी बसखली कोतमा को 2 नग बेंचे गये,रसीद क्रमांक 273 में 5,5,25 को मंडल सिंह पिता राम सिंह गोंड निवासी छाता द्वारा जैन सिंह पिता मान सिंह निवासी बसखली को 3 नग बेंचे गये,रशीद क्रमांक 270 दिनांक 5,5,2025 को रमेश चौधरी पिता बाबूलाल चौधरी निवासी चोलना ने जैन सिंह गोंड पिता मान सिंह बसखली को 4 नग बेंचे,रशीद क्रमांक 272 दिनांक 5,5,25 को विक्रेता मोहन केवट ग्राम पोंडी द्वारा फागुन सिंह को 4 नग बेंचे रशीद क्रमांक 485 दिनांक 7,11,24 को गणेश वासुदेव निवासी पेंड्रा नवागांव के द्वारा ओमप्रकाश पनिका पिता राजू पनिका निवासी कोतमा को 6 नग बेंचे गये,रसीद क्रमांक 545 दिनांक 17,10,24 को गणेश वासुदेव पेंड्रा के द्वारा ओमप्रकाश पनिका निवासी कोतमा को 6 नग ,रसीद क्रमांक 485 दिनांक 7,11,24 को गणेश वासुदेव ने ओमप्रकाश पनिका को फिर 6 नग बेंचे अब सवाल यह उठता है कि  इस मवेशी बाजार से मवेशी खरीदने और बेचने वाले अधिकतर लोग कोतमा से तालुक रखते है जबकि एक व्यक्ति उत्तरप्रदेश कोसाम्बी से गौर करने वाली बात यह है कि इसमें इन पशु तस्करों ने आदिवासी समाज के लोगों को गोंड जाती के लोगों को इसमे अपना मोहरा बना कर खरीदी बिक्री की राशिद बनाई गई जबकि प्रशासन जा कर इन खरीद दारों और बेचने वालों के घरों में देखे तो एक भी मवेशी नही मिलेंगे और गौर करने वाली बात यह है कि जिन लोगों ने ये मवेशी खरीदे वो कहाँ है और जिन लोगों ने बेंचा उनके पास इतनी अधिक मात्रा में मवेशी कहाँ से आये क्या इन सभी के पास जिले में कोई डेयरी का बड़ा उद्योग है जिसके चलते हर समय इनके आस इतनी अधिक मात्रा में पशु बिक्री के लिए उपलब्ध रहते है |
दूसरी तरफ हमको जो सूचना मिली है ग्राम पंचायत लापटा ने जो मवेशी बाजार का ठेका दिया है वो उम्मीद से कई गुना ज्यादा में कैसे हो गया सवाल यही से उठा चूंकि इस ठेके पर पशु तस्कर बल्लू और वाजिद ने पैसे लगाये और अपने विश्वासपात्र लोगों के नाम से ठेका ले कर सरकारी रसीद की आड़ में लगातार पशु तस्करी की जाती रही और ये सारे मवेशी चोरी के होते है जिन्हें हांक कर लपटा मवेशी बाजार में एक नंबर का बनाने के लिए लाया जाता है ,अब सवाल तो जिला प्रशासन पर भी उठना लाजमी हो जाता है कि जब लगातार जिले में पशु तस्करी की बात सामने आ रही है तो लपटा मवेशी बाजार का ठेका जो कि पंचायत ने दिया हुआ है उसकी जांच क्यों नही की,आखिर कार इन रसीदों में कुछ ऐसे नाम है जो सिर्फ और सिर्फ खरीदी बिक्री इनके नाम का स्तेमाल करते हुए की गई है और आप को जानकर हैरानी होगी जब भी इन पशु तस्करों की गाड़ी पकड़ी जाती है तो यही सरकारी रसीद दिखा कर ये पुलिस से छूट जाते है,अब देखना लाजमी होगा कि जिन जिन लोगों के नाम यहां आए है क्या प्रशासन उनके घरों पर जा कर जांच करेगी कि आखिर उनके पास ये मवेशी मौजूद है या नही और अगर नही तो कहां गये, और जो विक्रेता है क्या उनके यहां इतने मवेशी मौजूद है कि एक दिन में चालीस चालीस मवेशी बेंच सके,दूसरी तरफ इनमें से कई ऐसे लोग भी है जो सरकार की हर योजना का लाभ ले रहे है अगर इनके पास इतना बड़ा कारोबार है तो  इनको राशन कैसे मिल रहा है,आवास कैसे मिल रहा है और गरीबो को मिलने वाली शासकीय योजनाओं का लाभ इन परिवारों को कैसे मिल रहा है अब ये जिला प्रशासन यह बताये और देखना यह भी है कि आखिर जिला प्रशासन कब तक इन सभी के घरों तक पहुंच कर दूध का दूध और पानी का पानी कर पाता है,इस पूरे मामले में हमने जिला पंचायत के सीईओ तन्मय वशिष्ट से फोन पर जानकारी लेने का प्रयास किया चूंकि यह ठेका पंचायत से हुआ है पर उनका फोन नही उठा