आनंद अग्रवाल को विक्रय की गई नजूल की भूमि के आशा सराफ व राघव बिंदल कैसे बने मालिक कटघरे में जिम्मेदार क्या दोहरे कानून नजूल की भूमि में अपनायेगा प्रशासन इंतजार में जैतहरी वासी - विजय उरमलिया की कलम से

आनंद अग्रवाल को विक्रय की गई नजूल की भूमि के आशा सराफ व राघव बिंदल कैसे बने मालिक कटघरे में जिम्मेदार
क्या दोहरे कानून नजूल की भूमि में अपनायेगा प्रशासन इंतजार में जैतहरी वासी
नगर परिषद जैतहरी के बाजार एरिया स्थित खसरा नंबर 733 रकवा 0.116 हेक्टेयर के जुज रकवा 32ग87 कुल 2784 वर्गफीट नजूल की भूमि का विक्रय आशा सराफ पति स्वर्गीय भीखम सराफ व राघव बिंदल पिता स्वर्गीय भीखम सराफ के द्वारा आनंद अग्रवाल को बतौर मालिक होने के नाते रजिस्ट्री के माध्यम से विक्रय पत्र निष्पादित किया गया। जबकि विक्रय की गई उक्त भूमि लक्ष्मी नारायण के निधन पश्चात उनके पुत्र सत्य नारायण की हुई और सत्य नारायण के निधन बाद उनकी पत्नी कमला देवी व उनके पुत्र संजय सराफ व अनूप सराफ एवं अजय सराफ की होती है, लेकिन जमीन से जिनका दूर-दूर तक नाता नही दिखाई पड रहा उन्होंने नजूल की भूमि का विक्रय पत्र निष्पादित करते हुये जिम्मेदारों को कटघरे में खडा कर दिया।
अनूपपुर। वैसे तो समय अंतराल में बनाये गये कानूनो में संसोधन होता रहा लेकिन पारिवारिक वारसाने में संसोधन का शायद ही कही कोई कानून होगा। यह बात यहां पर इसलिये कि जा रही है कि जिसका दूर-दूर तक जिस परिवार से नाता नही वह मालिक बनकर भूमि का विक्रय कर गया। यह मामला नगर परिषद जैतहरी के नजूल की भूमि के विक्रय होने के बाद सामने आया जिसमें अब तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार सवालो के कटघरे में उलझते दिखाई पड रहे हैं। यह इसलिये कि तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार के द्वारा नजूल की भूमि के वारिषदार के द्वारा उसे अनुबंध के तहत दूसरे को विक्रय की गयी जिसकी जानकारी लगने पर तत्कालीन एसडीएम विजय डहेरिया और तहसीलदार के द्वारा बुलडोजर के माध्यम से निर्मित दुकानों को जमीदोज किया गया। फिर आषा सराफ पति स्वर्गीय भीखम सराफ व राघव बिंदल पिता स्वर्गीय भीखम सराफ के द्वारा नजूल की भूमि के मालिक व वारिषदार न रहने के बाद बनकर रजिस्टर्ड विक्रय पत्र निष्पादित किया गया जिसके बाद यह मामला अब प्रषासन के लिये गले की फांस बन गया है।
समझना होगा लक्ष्मी नारायण के वारसाने को
इस पूरे मामले से जुडे सूत्रो ने जानकारी देते हुये बताया कि लक्ष्मी नारायण के एक ही पुत्र था जिसका नाम सत्य नारायण रहा और उनके तीन पुत्र जो हैं पहले संजय सराफ दूसरे अनूप सराफ व तीसरे अजय सराफ फिर रजिस्ट्री में उल्लेखित नत्थू लाल के पिता लक्ष्मी नारायण कैसे हुये। इसे समझने के लिये जानकारो के द्वारा बताये गये बारसाने को समझिये जिसमें षिवदान मल के तीन पुत्र रहे जिसमें महादेव, बृजमोहन व लक्ष्मी नारायण महादेव प्रसाद के दो पुत्र थे जिसमें गंगा प्रसाद व गोंिवंद राम एवं बृज मोहन के जमुना प्रसाद नत्थू लाल व केदारनाथ रहे। एवं लक्ष्मी नारायण के एक पुत्र सत्य नारायण रहे। फिर यहां आपको नत्थ्ूा लाल के बारे में जानना होगा जिनकेे पुत्र भीखम सराफ रहे जिनकी पत्नी आषा सराफ व उनके पुत्र राघव बिंदल ने यहां नजूल की भूमि का विक्रय किया है ऐसे में प्रषासन को इसकी जानकारी जुटानी होगी।
कैसे आया नत्थू लाल का नाम
निष्पादित हुये रजिस्ट्री पत्र में नत्थू लाल आत्मज लक्ष्मी नारायण के नाम पर उक्त नजूल की भूमि को बताया गया। पारिवारिक विभाजन में 1984 में नत्थू लाल को उक्त रकवा मंे निर्मित गोदाम दिये जाने का उल्लेख भी किया गया है। लेकिन सवाल तो यही है कि नत्थू लाल के पिता लक्ष्मी नारायण नही बृज मोहन हैं। फिर भीखम सराफ के नाम यह नजूल की भूमि कैसे दर्ज हुयी यह तो नजूल अधिकारी एसडीएम, तहसीलदार व हल्का क्षेत्र के पटवारी बहुत अच्छे से बता सकेंगे। यदि उन्होंने यह जानकारी नही दी तो स्वतः स्पष्ट होगा कि इस पूरे मामले में सबने मिलकर दस्तावेजों में हेर-फेर करने में कोई कोर कसर नही छोडी।
एक पर वार दूसरे को पुचकार
नजूल की भूमि के मामले में नगर परिषद जैतहरी क्षेत्र में क्या दोहरे कानून लागू होते है यदि ऐसा नही तो फिर एक पर वार दूसरे को क्यों पुचकार। आनंद अग्रवाल को बेंची गयी नजूल की भूमि ने कई सवाल खडे किये है जिसका जवाब उसी प्रशासन को देना होगा जिसके द्वारा बीते साल नजूल की भूमि दूसरे को विक्रय करने की जानकारी लगने पर बुलडोजर के माध्यम से ढहा दिया गया था। यहां तो रजिस्ट्री पत्र प्रमाणित निष्पादित किया गया है फिर इस मामले में प्रशासन कौन सा कानून अपनायेगा यह देखना होगा। क्या आनंद अग्रवाल भाजपा के नेता है और उनका ताल्लुक कलफदार कुर्ताधारी से है इसलिये उन्हें प्रशासन वरदान देगा या फिर वैधानिक कार्यवाही करेगा।