भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल का 13 में मतदान न करना 18 के बाद 23 में भी पड़ रहा भारी गुट बाजी की ऐसी आग जो बुझाई नहीं बुझ रही

भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल का 13 में मतदान न करना 18 के बाद 23 में भी पड़ रहा भारी
गुट बाजी की ऐसी आग जो बुझाई नहीं बुझ रही
अनूपपुर। कहां जाता है कि कभी-कभी जाने या अनजाने में की गई एक गलती जिंदगी भर के लिए भारी पड़ती है इस समय यह कहावत कोतमा विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल पर एकदम सटीक बैठ रही है। यहां पर विशेष उल्लेखनीय तथ्य है कि वर्तमान भाजपा प्रत्याशी 2008 से 2013 तक भाजपा के विधायक रहे हैं 2013 में भारतीय जनता पार्टी ने इनका टिकट काट कर कोतमा नगर पालिका के वरिष्ठ भाजपा नेता स्वर्गीय राजेश सोनी को टिकट दे दिया था। राजेश सोनी को टिकट मिलने के बाद वर्तमान भाजपा प्रत्याशी ने अच्छा बाजी की ऐसी न्यू कोतमा विधानसभा में रखी गई कि वह आज भी अपने आग की लपेट में भाजपा प्रत्याशियों को लिलती रहती है। 2013 की विधानसभा चुनाव की जो सबसे आश्चर्यजनक या यह कहा जाए कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेताओं को कभी न भूलने वाली घटना घटी वह यह था कि मतदान के दिन भाजपा के पूर्व विधायक और वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल ने उस समय के भाजपा प्रत्याशी राजेश सोनी को अपने समर्थकों को मतदान करने से तो रोका ही खुद मतदान केंद्र तक नहीं गए और बाद में मीडिया के सामने बोले कि आपराधिक चरित्र वाले प्रत्याशी को वोट देने से अच्छा है कि मतदान ही ना किया जाए। उनके इस बोल के बाद जब 2018 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में दिलीप जायसवाल दोबारा चुनाव मैदान में कूदे तो स्वर्गीय राजेश सोनी ने तन मन धन के साथ अपनी पूरी ताकत लगाकर दिलीप जायसवाल का विरोध किया और इसी गुटबाजी का शिकार होकर दिलीप जायसवाल भी चुनाव हार गए। अब एक बार फिर 2023 के विधानसभा चुनाव की जंग छिड़ी हुई है और कोतमा की भाजपा में देखा जाए तो 2013 और 2018 की गुटबाजी आज भी नजर आ रही है। स्वर्गीय राजेश सोनी के एक समर्थक ने कहा कि 2013 में मतदान न करके दिलीप जायसवाल ने गत बाजी की ऐसी न्यू रखी है कि आज भी उसे भुलाया नहीं जा सकता और बहुत ही आसानी से इस अच्छा बड़ी भीतर घात या बगावत के डैमेज कंट्रोल को नहीं रोका जा सकता है। यहां पर यह बता दें कि स्वर्गीय राजेश सोनी की धर्मपत्नी उमा सोनी ने भी 2023 के लिए टिकट मांगा था लेकिन उन्हें भाजपा ने इस बार टिकट न देकर दिलीप जायसवाल पर विश्वास किया है लेकिन अभी तक भाजपा के चुनाव प्रचारकों या चुनाव मैदान या चुनाव मंच से उमा सोनी की दूरी बनी हुई है आम जनता में चर्चा है कि अपने पति के पक्ष में मतदान केंद्र तक न जाने वाले भाजपा के पूर्व विधायक का समर्थन किस मुंह से उमा सोनी कर सकती हैं इसका जवाब भाजपा के बड़े-बड़े नेता भी देने में कतरा रहे हैं। वहीं भाजपा के अन्य कई दावेदार भी अभी तक भाजपा के चुनावी अभियान से दूरी बनाए हुए हैं और कहां यहां तक जा रहा है भाजपा के जो भी नेता भाजपा प्रत्याशी के साथ घूम रहे हैं उनका 2018 का बूथ परिणाम देख लिया जाए तो इस बात का आकलन हो जाएगा की मतदान के एक दिन पहले तक भाजपा का नारा बुलंद करने वाले यह भाजपा के नेता मतदान के दिन किस तरह से खामोश होकर किसी अन्य प्रत्याशी की मदद कर देते हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है स खुद वर्तमान भाजपा प्रत्याशी दिलीप जायसवाल ने 2018 का चुनाव हार जाने के बाद ऐसे एक दर्जन से ज्यादा भाजपा नेताओं को चिन्हित करते हुए उनकी शिकायत प्रदेश और केंद्र की नेतृत्व से किया था और उसे समय दिलीप जायसवाल की लिस्ट में जितने लोगों का नाम था उसमें से अधिकतर लोग इस बार उनके साथ घूम रहे हैं ऐसे में आम जनता कह रही है कि क्या विश्वास मतदान के दिन यह घूमने वाले भाजपा के नेता 2018 का इतिहास ना दोहरा दे।