आयातित भाजपाई और मूल भाजपाइयों की जंग से अनूपपुर में चुनाव अभियान प्रभावित
जिला अध्यक्ष और चुनाव संयोजक की भूमिका को लेकर उठ रहे सवाल

इन्ट्रो-अनूपपुर विधानसभा में लाख कोशिश करने के बावजूद भाजपा का चुनाव अभियान जोर नहीं पकड़ पा रहा है जिसके पीछे का मूल कारण यह माना जा रहा है कि वर्तमान चुनाव अभियान से जुड़े भाजपा पदाधिकारी में और कांग्रेस से बिसाहू लाल के साथ आए आयातित भाजपाइयों में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है और यह जंग इस तरह से बढ़ती जा रही है कि आम लोगों में भी अब कहना शुरू कर दिया है कि इस जंग के कारण भाजपा का चुनाव प्रभावित हो रहा है।
अनूपपुर। भारतीय जनता पार्टी के लिए एक-एक सीट जब करो या मरो का विषय बनी हुई है तो वही अनूपपुर विधानसभा में भाजपा की गुटबाजी और आयातित भाजपाइयों और मूल भाजपाइयों के बीच छिडी वर्चस्व की जंग को लेकर दोनों के बीच इस कदर तनातनी का माहौल खड़ा हो गया है कि अब उसका असर बूथ स्तर पर दिख रहा है और यह बेहिचक कहा जा सकता है कि इस वर्चस्व की जंग के कारण भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रभावित ही नहीं हो रहा है सबसे बड़े अनुशासित संगठन का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी का अनुशासन अनूपपुर विधानसभा में चिथड़े चिथड़े बनकर उड़ रहा है तो गलत नहीं है। मनमानी अनुभवहीन लोगों को सेक्टर का अध्यक्ष बनाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता जो चुनाव के जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं एक ही उद्देश्य बना लिए हैं कागजी घोड़ा दौड़ा कर संगठन के कार्यों की खानापूर्ति करके भोपाल रिपोर्ट भेजना लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर इसका दुष्प्रभाव दिखने लगा है और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ मूल भाजपा नेता घरों में बैठ गए हैं। यही नहीं खबर नहीं रहती कि उनके सेक्टर में आज बैठक होने वाली है ऐसे ही एक जिला उपाध्यक्ष ने अपना दुख दर्द बताते हुए कहा कि उनसे चुनाव हारे लोग सेक्टर प्रभारी बने हुए हैं और अब वही उनको दरकिनार करके चुनाव की तैयारी में जुटे हैं अगर यह कहा जाए कि भारतीय जनता पार्टी ने पराजित घोड़े पर और जनाधार विहीन अनुभवहीन लोगों को सेक्टर अध्यक्ष बनाकर जानबूझकर भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रभावित कर रहे हैं तो गलत नहीं है। वही मंत्री के खास समझे जाने वाले आयातित भाजपाइयों का कहना है कि ना तो मूल भाजपाई कम कर रहे हैं और ना ही वह काम करने वाले मंत्री के खास लोगों को जिम्मेदारी ही सौंप रहे हैं जिसके कारण चुनाव प्रभावित हो रहा है लेकिन यहां पर जिम्मेदार लोगों को किसी बात की चिंता ही नहीं है केवल अपनी अपनी रोटी सेकने के लिए एक दूसरे को आमने-सामने भिड़ा कर मजा ले रहे हैं।
अनुभवहीन नेता बनाए गए सेक्टर प्रभारी
भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो इस समय अनूपपुर विधानसभा में सेक्टर प्रभारियों की चर्चा चटखारे के साथ की जा रही है वरिष्ठ भाजपाइयों के साथ-साथ मंत्री समर्थक भाजपाइयों का भी कहना है कि कई ऐसे सेक्टर प्रभारी जानबूझकर बना दिए गए जो इसके पहले कभी भी भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति में दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे थे ऐसे लोगों में जहां बरगवां नगर के भुरा सेठ, कांग्रेस से आए डॉक्टर राज तिवारी, अनूपपुर के नगर पालिका में अध्यक्ष पति शैलेंद्र सिंह, ग्राम पंचायत के चुनाव में पंच का चुनाव हार चुके चंद्रिका द्विवेदी  जैसे लोगों का नाम प्रमुखता के साथ लिया जा रहा है। आम भाजपाइयों का कहना है कि इसके पहले कभी भी किसी चुनाव में बूथ तक का चुनाव मैनेज करने का अनुभव न रखने वालों को सेक्टर प्रभारी बना दिया गया वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जानबूझकर ऐसे लोगों को चुनाव अभियान में जिम्मेदारी दी जा रही है जिससे भाजपा में गुटबाजी और नाराजगी बढ़ती चली जाए।
सिद्धार्थ और ज्ञानेंद्र सिंह में छिडी है वर्चस्व की जंग
अनूपपुर के राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा चुनाव संयोजक ज्ञानेंद्र सिंह परिहार और भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शिव सिंह में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। इसके पीछे कुछ लोगों का तर्क है कि भाजपा प्रत्याशी के सबसे नजदीकी होने के कारण कांग्रेस से आए भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शिव सिंह चुनावी अभियान को अपनी देखरेख में करवाना चाहते हैं जबकि चुनाव संयोजक ज्ञानेंद्र सिंह परिहार अपनी मनमर्जी से संगठन की गाइडलाइन पर काम कर रहे हैं यहां पर भाजपा जिला अध्यक्ष से भी भाजपा प्रत्याशी से नहीं बन रही है जिसको लेकर भाजपा प्रत्याशी के समर्थकों में चुनाव तैयारी को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं और इन सवालों के कारण भारतीय जनता पार्टी में रोज एक नया विवाद खड़ा हो रहा है जिससे भाजपा का चुनाव अभियान प्रभावित हो रहा है।