भ्रस्टाचार की इमारत खड़ा कर बन बैठा करोड़पति  करौदा टोला का प्रभारी सचिव  गजेन्द्र अहिरवार

 आदिवाशी ज़िले अनूपपुर के जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रस्टाचार की बात अब आम बात होते जा रही है  ऐसा हम इस लिए कह रहे है कि भ्रस्टाचारीयो पे उनके आकाओ की कृपा दृष्टि बनी हुई है मानो खुला छूट मिली हुई है और जब लूट का हिस्सा जब शाहबानो में  बराबर बट रहा हो तो भला  न्याय मिलना तो दूर कार्यवाही तक नही सुरु होती है जब गरीब   मजदूर किसानों के  विकास के लिए दिए जाने वाले पैसे  को सरकार के ही   नुमाइंदे ही  डकार जाए और यदि प्रभारी सचिव  करोड़पति बन जाता है तो यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा।
 हम बात कर रहे है पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत करौंदा टोला  के ग्राम रोजगार सहायक और प्रभारी सचिव गजेंद्र अहिरवार की  जो विगत 2012 से ग्राम पंचायत में अंगत के पैर की तरह टिका हुआ है और  हितग्रही मुल्क योजनाओं को भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ा  गरीब आदिवाशियो के हक पे डाका डाल कुछ वर्षों में करोड़ो की संपत्ति अर्जित करलेना कोई छोटी बात नही महज 9 हजार मशिक वेतनमान मिलने वाला प्रभारी सचिव  के पास आलीशान मकान और लग्जरी कार सारि सुख सुभिधा का भोग करना एक बहुत बड़े स्तर के भ्रस्टाचार की इबारत लिखी जा चुकी है और अगर ऐसा हुआ है तो ये अकेले प्रभारी सचिव के बूते की बात नही बात स्पष्ट है जनपद से लेकर ज़िले तक के आकाओ का प्रभारी सचिव के आगे नतमस्तक होना जो चंद रुपयों के लालच में  गरीबो के हक  को बेच देते है।  ऐसा हम इस लिए कह रहे है की  ज़िले पंचायत की तरफ से एक के बाद एक ऐसे आदेश जारी  किए गए है जिसे देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि बईमानी के काम मे कितनी शिद्दत से ईमानदारी का काम किया जा रहा है। 
उपसरपंच व ग्रामीणों ने की शिकाय

ग्रामपंचायत करौंदा टोला में पदस्थ प्रभारी सचिव की मनमानी इस कदर हाबी  हो चली है कि परेशान ग्रामीण व उपसरपंच के द्वारा शिकायतों की लंबी फ़ेहरिस्त लेकर जिला पंचायत पहुंच गए रोजगार सहायक और प्रभारी सचिव गजेंद्र कुमार अहिरवार के भ्रष्टाचारों की इतनी लंबी लिस्ट है की  अगर जांच ठीक ढंग से हुई तो प्रभारी सचिव का जेल जाना तय है ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लगातार शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही बल्कि प्रभावी सचिव के भ्रष्टाचारों को बढ़ावा देकर उसकी कर प्रणाली को देखकर भी अनदेखा कर देना और नए आदेश जारी कर पदस्थापना कर देना कहीं ना कहीं यह स्पष्ट है कि अधिकारियों की मिलीभगत से ही प्रभारी सचिव के हौसले बुलंद है ग्रामीणों ने बताया कि नियुक्ति दिनांक से आज वर्तमान दिनांक तक पंचायत के संपूर्ण कार्य अपने निजी निवास पर करता है वह पंचायत की समस्त शासकीय रिकॉर्ड पंचायत भवन में ना रखते हुए अपने घर पर ही रखता है पंचायत भवन में कुर्सी टेबल के अलावा कोई भी कागज नहीं है ग्राम पंचायत में ग्राम सभा का आयोजन सिर्फ राष्ट्रीय कार्यक्रमों में ही करता है   अन्य दिनों में अपने  निजी निवास पर ही करता है ग्राम रोजगार सहायक प्रभारी सचिव वर्ष 2017-18 में सचिव का  प्रभार मिला तब उसके पास पांच कमरे का कच्चा मकान था और एक मोटरसाइकिल थी लेकिन वर्तमान में आज दो मंजिला मकान जिसकी अनुमानित कीमत 20 से 25 लाख एवं एक लग्जरी कर जिसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपए है जबकि नौकरी कल में रोजगार सहायक की मासिक वेतन ₹9000 होता  है तो फिर कौन सा जिन प्रभारी सचिव के हाथ लग गया जो महज कुछ वर्षों में ही आज करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा है  ये जांच का विषय है ग्रामीणों ने प्रभारी सचिव के भ्रष्टाचारों की शिकायत लिखित रूप में कलेक्टर को  दी  गई है। अब देखना है कि इतने शिकायतो के बाद भी ज़िला प्रशासन कुम्भकर्णी निद्रा से कब तक जागेगा क्या ग्रामीणों को न्याय मिलेगा ये आने वाला समय तय करेगा  अगले खबर के अंक में हम बताएंगे कि प्रभारी सचिव के द्वारा कहा कहा भ्रस्टाचार किया गया है।