जिला समन्वयक उमेश पांडेय के खिलाफ कलेक्टर से हुई शिकायत,गरीब आदिवासियों को भी इस भृष्टाचारी ने नही बख्सा,15 हजार न देना पड़ा भारी,मान गया सम्मान गया,गई आदिवासी की नौकरी - विजय उरमलिया की कलम से

जिला समन्वयक उमेश पांडेय के खिलाफ कलेक्टर से हुई शिकायत,गरीब आदिवासियों को भी इस भृष्टाचारी ने नही बख्सा,15 हजार न देना पड़ा भारी,मान गया सम्मान गया,गई आदिवासी की नौकरी
अनूपपुर - जिला कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर कमरा नंबर 25 से जिले की भृष्टाचार कथा लिखने का काम किया जा रहा है यहां मौजूद जिला समन्वयक के शिकायतों का दौर शुरू हो गया जैसे ही हमने इनके काले करतूतों की कहानी लिखनी शुरू की पीड़ितों को शायद हिम्मत बंधी और अब इसके दुर्व्यवहार,भृष्टाचार की कहानियां एक एक कर सामने आने लगी है,दरसल जमुडी निवासी राकेश सिंह गोंड ने अनूपपुर कलेक्टर से लिखित शिकायत करते हुए जिला समन्वयक उमेश पांडेय के खिलाफ कार्यवाही करते हुए जिले से बाहर भेजे जाने की शिकायत की गई और शिकायत में गंभीर आरोप उमेश पांडेय पर लगाये है,विभागीय भृष्टाचार तो ऐसे लगता है जैसे इनकी अपनी जागीर है जब चाहे जहां चाहे जैसे चाहे ये साहब भृष्टाचार को अंजाम दे इनका मन जब विभागीय भृष्टाचार से नही भरा तो विभाग में काम करने वाले बेचारे गरीबों से भी पैसों की मांग कर डाली और जब गरीब ने पंद्रह हजार नही दिए तो उसको निकाल बाहर फेंका और ये कोई पहला मामला नही है जिसने पैसा दिया जिसने उमेश पांडेय की चाटुकारिता की वही रहेगा अन्यथा उसका जन अभियान परिषद में नौकरी तो दूर की कौड़ी है,और यही कुछ हश्र हुआ जमुडी निवासी राकेश सिंह गोंड के साथ जहां उसने कलेक्टर से की गई शिकायत में साफ साफ लिखा कि मैं जमुडी में परामर्शदाता के रूप में कार्य कर रहा था जिला समन्वयक उमेश पांडेय के द्वारा बिना किसी नोटिश या बिना कोई कारण बताए मुझे बाहर कर दिया गया,और जब मैंने इसकी वजह जाननी चाही तो साहब ने पंद्रह हजार की मांग मेरे सामने रख दी और जब मैं व्यवस्था नही कर सका तो मुझे बाहर कर दिया गया,अब प्रदेश सरकार और मुख्यमन्त्री मोहन यादव बताइये की उनकी सरकार किनके भरोशे आदिवासियों,गरीबों,पिछडो के साथ खड़े होने का दंभ भरते है चूंकि जब इनके अधिकारी कर्मचारी इन्ही आदिवासियों,सोशितों, पीड़ितों का खून चूसने से बाज नही आ रहे तो सरकार किस हक से इनके हितैसी होने का दंभ भरती है,हम अगले एपिसोड में उस नेता के बारे में भी विस्तृत जानकारी देंगे जिसके पालने में पलने का गुमान उमेश पांडेय जैसे भृष्ट कर्मचारी को है ,भृष्टाचार में आकंठ तक डूबे उमेश पांडेय को आखिर कलेक्टर अनूपपुर किस बात के लिए अभय दान दिए हुए है,सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जन अभियान परिषद की नर्मदा यात्रा की एक फाइल जो कलेक्टर कार्यालय में कई सालों तक लंबित रही जिसका भुगतान कलेक्टर को करना था समझदार कलेक्टरों ने करना मुनासिब नही समझा उसका नतीजा ये हुआ कि सत्ता की कुर्सी में विराजमान भाजपा के कुछ नेताओं ने उन कलेक्टर साहब की रवानगी करवा दी,और एक कलेक्टर साहब पर राजनैतिक दबाव बनवा कर उस अनैतिक भुगतान को करवाया गया जिस के दस्तावेजों के लिए हमारी टीम लगी हुई है कि आखिर नर्मदा यात्रा के कौन से वो भुगतान थे जो करवाये गये और भी कई भृष्टाचारों की परत दर परत हम खोलेंगे ही पर जिला समन्वयक जन अभियान परिषद का अगर जिले से विदाई करते हुए जांच कर कार्यवाही नही की गई तो जिले को दीमग की तरह खोखला करने में ये महोदय कोई कोर कसर नही छोड़ने वाला