पैक्स प्रबंधक भर्ती में नियम कानून ताक पर,सूत्रों की माने तो पांच लाख से शुरू हुई बोली 18 लाख में हुई डील,अपात्रों को बना दिया प्रबंधक,सहकारिता विभाग के भृष्टाचार की अधूरी कहानी - विजय उरमलिया की कलम से

पैक्स प्रबंधक भर्ती में नियम कानून ताक पर,सूत्रों की माने तो पांच लाख से शुरू हुई बोली 18 लाख में हुई डील, अपात्रों को बना दिया प्रबंधक,सहकारिता विभाग के भृष्टाचार की अधूरी कहानी
अनूपपुर - सहकारिता विभाग में एक बड़े घोटाले की बात सामने आ रही है जहां पैक्स प्रबंधकों की नियुक्ति में बड़ा खेला करते हुए भर्ती के लिए 5 लाख से शुरू हुई बोली 18 लाख में समाप्त हुई और इस प्रकार से अपात्र लोगों को प्रबंधक बतौर पैक्स बनाया गया इस पूरे मामले की जांच करने भोपाल से एक टीम आई थी और जांच में भारी अनियमितता पाई थी जिसके बाद सभी प्रबंधकों को उनके मूलतः पद पर वापस भेजने का आदेश हुआ था लेकिन इस पूरे मामले में लाखों रुपये दे कर फर्जी तरीके से प्रबंधक बने कोर्ट की शरण मे जा कर स्टे ले आये लेकिन बैंक जिसको कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करना था आज दिनांक तक कोर्ट के सामने अपना जवाब प्रस्तुत नही कर सकता,
नियमतः कैडर भर्ती में प्रबंधक के लिए योग्यता तय है जिसमे कमसे कम स्नातक होना जरूरी है साथ ही कार्यालय आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थायें मध्यप्रदेश भोपाल के पत्र क्रमांक/साख/विधि/बी-2/2022/4393 दिनांक 04/11/22 को जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी प्रकार की अनियमितताएं,धोखधड़ी के कोई प्रकरण लंबित न हो ,मध्यप्रदेश शासन को की गई शिकायत में उल्लेख किया गया है कि की अनूपपुर जिले में इस पूरे प्रबंधक बनाने के मामले में भारी अनियमितताओं को अंजाम दिया गया जिसमें कई लोग तो ऐसे है जिन पर पहले भी गबन के आरोप सिद्ध हो चुके है जिनमे से संजय द्विवेदी पूर्व पैक्स प्रबंधक अनूपपुर पर जो शिकायत में उल्लेख किया गया हैं उसके अनुसार लैम्प्स अनूपपुर के ऊपर सहकारिता निरीक्षक के द्वारा जांच में 23,26,639 रुपये का गबन पाया है व लैम्प्स फुनगा में वर्ष 2019 में 1,42,698 रुपये का गबन भी वित्तीय पत्रक में दर्ज है
वही सत्यनारायण गुप्ता इनकी विक्रेता नियुक्ति समिति सीधी में हुई थी जहां उनके द्वारा 5,43,375 रुपये का गबन किया गया जो वित्तीय पत्रक में दर्ज है इसके बाद नियम विरुद्ध इनकी नियुक्ति समिति बनसुकली में किया गया जहां इनके द्वारा पुनः गबन किया गया जहां से इनकी नियुक्ति करकी में कर दी गई जो पूर्णतः अवैधानिक है,अरविंद गौतम लैम्प्स सामतपुर के ऊपर 5,37,367.71 रुपये के गबन सरकारी निरीक्षक आर एल सोनी के द्वारा अधिरोपित किया गया एवं न्यायलय उप पंजीयक शहडोल ने इनके विरुद्ध 58 बी के तहत प्रकरण चल रहा है इनके ऊपर बचत बैंक के खाते से भी 4 लाख के गबन का आरोप है,राजकुमार पांडेय लैम्प्स दमेहड़ी के ऊपर लोकायुक्त रीवा के द्वारा आय से अधिक संपत्ति के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया जो प्रकरण क्रमांक/99/2018 जिस पर रीवा लोकायुक्त में केश विचाराधीन है और इनके ऊपर दस प्रतिशत आरक्षण लाभ लेकर नियुक्ति पाने का आरोप भी है,की गई शिकायत में सत्यनारायण पांडेय लैम्प्स भेजरी पर आरोप है कि 2010-11 तक समिति अमरकंटक में विक्रेता के पद पर वहां के वार्ड क्रमांक 7 की उचित मूल्य दुकान संचालित करते थे पर इनको 30-12-2009 में लैम्प्स भेजरी में सहायक प्रबंधक बनाकर भर्ती का लाभ इसलिए दिया गया चूंकि आरोप है कि इनके बड़े भाई शाखा राजेन्द्रग्राम में बतौर शाखा प्रबंधक मौजूद थे जिसके चलते फर्जी दस्तावेज तैयार कर लाभ लिया गया,ऐसे कई नाम है जो गबन करने के बाद प्रबंधक बनाये गये तो पटना पैक्स प्रबंधक बने मदन द्विवेदी तो प्रबंधक की पात्रता अहर्ताएं ही नही पूरी करते और किसकी अनुसंशा पर 20 हाजर रुपये वेतन प्राप्त कर रहे है जबकि जिले में अधिकतम 15 हजार वेतन प्रबंधकों को मिल रही है वही इनके द्वारा जीप के नाम पर लाखों रुपये के फर्जी भुगतान किए गये तो ऑडिट फीस के नाम पर लाखों रुपये के फर्जी भुगतान के साथ साथ कई अनियमितताएं पाई गई है जो एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रही है
हाल ही में संजय द्विवेदी के खिलाफ चल रही भृष्टाचार मामले की जांच भी अधिकारियों के टेबल में दम तोड़ती नजर आ रही है सूत्रों की माने तो जांच दल में शामिल जिम्मेदार संजय द्विवेदी को बचाने में एड़ी चोंटी का जोर लगा रहे है जिससे यह साफ हो जाता है कि भृष्टाचार के वक्त कहीं न कहीं इन अधिकारियों का संरक्षण संजय द्विवेदी को प्राप्त था जो आज भी साफ साफ दिखाई देता है