मकर संक्रांति पर ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने दी संपूर्ण जानकारी कब करें स्नान,पूजन विधी की सारी जानकारी

मकर संक्रांति पर ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी
ने दी संपूर्ण जानकारी कब करें स्नान,पूजन विधी की सारी जानकारी
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। अतः 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन पुण्य काल प्रातः काल 09 बजकर 03 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। 14 जनवरी को संक्रांति का शुभ समय 09 बजकर 03 मिनट पर है।
*सूर्य राशि परिवर्तन*
ज्योतिषियों की मानें तो 14 जनवरी के दिन सूर्य देव सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। अतः *14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी*
*पूजा विधि*
ज्योतिषाचार्य अखिलेश त्रिपाठी बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। इस समय सूर्य देव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अपने घर की साफ-सफाई करें। साथ ही गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। दैनिक कामों से निपटने के बाद सुविधा होने पर गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें। सुविधा न होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और अंजलि में तिल लेकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर पूजा का समापन करें। पूजा के बाद अन्न का दान दें। साधक अपने पितरों का तर्पण एवं पिंडदान कर सकते हैं।
*मकर संक्रांति का महत्व*
त्रिपाठी जी बताते है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है. लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है. एक अन्य कथा के अनुसार, असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है. बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा.