शिकायत की जांच करने पहुंची माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा का एक ही दावा न खाता न बही वह जो कहे वही सही
44/1  नाम पर माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा का गोलमोल जवाब

 


इंट्रो-
सर्वोच्च सप्ताह अखबार में लगातार 2 महीने तक जिले के खनिज पत्थर माफिया के खिलाफ अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन के साथ-साथ नियम कानून को तात्पर्य कर चलाए जा रहे क्रेशर प्लांट और पत्थर की खदान के भौतिक सत्यापन के लिए डूंगरिया खुर्द के मधु अग्रवाल के क्रेशर प्लांट पर पहुंची माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा का बस यही बार-बार राग अलापना था कि ना खाता नंबर ही जो इशा वर्मा कहे वही सही।
(राम भैय्या)
कोतमा।
सर्वोच्च सत्ता  हिंदी अखबार में जिले के पत्थर माफियाओं के खिलाफ लगातार 2 माह तक चलाए गए पोल खोल अभियान जनसुनवाई से लेकर सीएम हेल्पलाइन में एक दर्जन से ज्यादा शिकायतों के बावजूद पत्थर की खदानों का भौतिक सत्यापन से दूर भाग रहा जिला खनिज विभाग सीएम हेल्पलाइन सचिन खनिज विभाग के दबाव में किसी तरह से जांच करने के लिए तैयार तो है लेकिन अपनी खानापूर्ति करना ही इस विभाग का मुख्य मकसद है इस बात का खुलासा शनिवार को तब हुआ जब सर्वोच्च सत्ता की टीम को बुलाकर माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा मैं डूंगरिया खुर्द स्थित मधु अग्रवाल की खदान और क्रेशर प्लांट का भौतिक सत्यापन के नाम पर खाना पूर्ति करनी चाही लेकिन वहां पर मौजूद कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ सर्वोच्च सत्ता की टीम ने जब विरोध किया तो उनका कहना था कि मैं कह रही हूं ना मेरी खदान एकदम सही है और जो मैं कह रही हूं वही सही है आप लोग माने या ना माने, यही नहीं माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा  मधु अग्रवाल की खदान के किसी भी कमी की तरफ देखना भी पसंद नहीं करना चाहती थी उनके चेहरे से साफ-साफ झलक रही चल्लाहट का कारण चाहे जो भी हो लेकिन यह तय है कि वह सीएम हेल्पलाइन की शिकायत में भी अपनी मनमर्जी के हिसाब से जांच पर रिपोर्ट लगाना चाहती हैं।
खदान की गहराई नापना मेरा नहीं डीजीएमएस का काम
शिकायतकर्ताओं ने जब मधु अग्रवाल के खदान की गहराई पर सवाल किया तो जांच करने पहुंची माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा का कहना था कि खदान की गहराई नापना उनके काम नहीं है यह डीएमएस का काम है और वह अपना काम कर रही हैस उन्होंने यह भी बताया कि इस खदान की गहराई का सर्वे अभी हाल में ही डीएमएस द्वारा किया जा चुका है लेकिन जब उसे डीजीएमएस की रिपोर्ट मांगी गई तो उनके पास कोई जवाब नहीं था फिलहाल को अपने इस बात पर पड़ी रही की किसी भी पत्थर खदान की गहराई का मामला खनन विभाग से संबंधित नहीं होता इसलिए वह इसका जवाब नहीं दे पाएंगे यही नहीं जब मधु अग्रवाल के खदान के चारों तरफ तार फिनिसिंग के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने एक तरफ जहां पर तार फिन्सिग का काम हुआ था उधर इशारा करते हुए कहा कि देखिए आप झूठा आरोप लगा रहे हैंयह किया गया है। शिकायतकर्ताओं ने जब उनका ध्यान खदान के सड़क की तरफ और दक्षिण की तरफ दिलाया तो उन्होने उधर देखना भी गवारा नही समझा। तीखी बहस के बाद किसी तरह उन्होंने तार फैन्सिग में खदान मालिक की गलती स्वीकार की और उसे सो काज नोटिस देने की बात कही।
44/1 के मामले में कहां मेरे समय का मामला नहीं मेरी खदान नहीं मैं नहीं जानती
डूंगरिया खुर्द के ही एक चर्चित 44/1 खसरा नंबर के खदान के मामले में जब उनसे कहा गया कि सीएम हेल्पलाइन में इस खदान की भी शिकायत की गई है वहां भी चल कर देख लीजिए तो उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि वह हमारे यहां की खदान नहीं है और उसे पर अवैध उत्खनन की कई प्रकरण दर्ज किए गए हैं लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि किन-किन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए हैं तो उनके पास मौके पर आधिकारिक तौर पर कोई रिकार्ड मौजूद नहीं था वह मोबाइल से वहां का कुछ माइनिंग प्लान दिखाने की बात तो बार-बार कर रही थी लेकिन बाद में इंटरनेट न होने का बहाना बनाकर उन्होंने उसे भी अपना पल्ला झाड़ लिया फिलहाल खदानों के शिकायत के निवारण के लिए मौके पर पहुंची माइनिंग इंस्पेक्टर कोतमा के पास न तो शिकायत कर्ताओं के सवालों का जवाब था और ना ही उनकी कोई ऐसी तैयारी जिसे देखकर लगे कि वह भौतिक सत्यापन के लिए आई है उनके पास खदान के सीमांकन के लिए राजस्व विभाग की कोई टीम नहीं थी और नहीं उसे क्षेत्र के खदानों के संबंधित कोई ऐसी कागज जिसे वह मौके पर दिखाकर शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट कर सके फिलहाल तो बस यही कहा जा सकता है कि वह केवल खाना पूर्ति के लिए ही वहां आई थी और हाथ हिला कर चली गई।