*माज ने रखा अपना पहला रोजा*

अनूपपुर / रमज़ान के दौरान, नन्हे-मुन्ने बच्चे भी बड़ों की तरह रोजे रखने और इबादत करने में पीछे नहीं है.

रोजा हर मुसलमान आकिल व बालिग पर फर्ज है। माह- ए- रमजान में चांद नजर आते ही पूरी दुनिया का रंग बदलने लगता है और रहमतों की बारिश होने लगती है। ऐसे माहौल में बच्चे कहां पीछे रह सकते हैं। वह भी बड़ों की तरह रोजा रखते हैं। बड़े तो बड़े, बच्चे भी अल्लाह के इस रहमत को पाने में पीछे नहीं हटे। 

अनूपपुर के वार्ड क्रमांक 03 में रहने वाले  जामा मस्जिद  तमीर कमेटी के सदर हाजी अहसानुल हक़ के पोते व मो नोमन के 6 वर्षीय बेटे मो माज ने भी इस रमजान का अपना पहला रोजा 16 मार्च रविवार को रखा 

माज ने रोजा रखकर नमाज़ पढ़ी,  और देश में शांति और अमन के लिए दुआएँ मांगी.

इस दौरान हाजी मो अहसानुल हक़ ने कहा कि रमज़ान के दौरान बच्चों के रोजे रखने से समाज में सकारात्मक संदेश जाता है और यह दर्शाता है कि धर्म और आस्था की शिक्षाएं नई पीढ़ी में भी जीवित हैं.

 माज के परिवार वालो ने बताया की माज रमजान माह के शुरूआत से रोजा रखने की जिद कर रहा था छोटा होने के कारण हम झिझक रहे थे लेकिन कल वह जिद पकड लिया कि वह रोजा रखेगा वरना दिन भर खाना नही खायेगा तो बच्चे की अल्लाह के प्रति जज्बा देखकर उसे सेहरी करवाई ओर रोजे की नियत बधवाई।

 

माज के पहले रोजे की अफ्तारी पर माज को फूलो का माला पहनाकर उसकी हौसला अफजाई की,और रोजा रखने पर घर के बड़े-बुजुर्गों ने उन्हें रोजा खुलवाया । उनके पहले रोजे पर मो रज्जाक, मो रसीद मंसूरी, इसहाक राठौर, मो ताज, मो अनीश तिगाला आदि ने मुबारकबाद दी |