भ्रष्टाचार के मामले में लोकसेवक (पटवारी) को हुई 04 वर्ष की सजा व जुर्माना पट्टे के कागजात तैयार करने के एवज में पटवारी द्वारा मांगी जा रही थी रिश्वत

भ्रष्टाचार के मामले में लोकसेवक (पटवारी) को हुई 04 वर्ष की सजा व जुर्माना
पट्टे के कागजात तैयार करने के एवज में पटवारी द्वारा मांगी जा रही थी रिश्वत
अनूपपुर। माननीय न्यायालय पंकज जायसवाल, विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के विशेष प्रकरण क्र. 02/20, थाना विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त रीवा, अप. क्र. 348/16, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)डी, 13(2), आरोपी शैलेन्द्र शर्मा तत्कालीन पटवारी हल्का बरगवां नं. 02 तहसील अनूपपुर के प्रकरण में माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार का अपराध प्रमाणित पाने पर 04 वर्ष का कठोर कारावास व 10000 रू. की राशि का अर्थदण्ड दिया है और आरोपी को न्यायालय से आज दिनांक को ही कारावास भुगतने हेतु जेल भेज दिया गया है। प्रकरण की पैरवी विशेष लोक अभियोजक (लोकायुक्त) हेमन्त अग्रवाल प्र. जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा की गई। माननीय न्यायालय द्वारा लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई सम्पूर्ण विवेचना व कार्यवाही को प्रमाणित पाते हुए आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया है। मामला यह है कि प्रकरण में फरियादिया मीना केवट जो तत्समय बरगवां गांव की पंच थी, उसके द्वारा गांव के निवासी जो पढ़े लिखे नहीं थे, और वे जिस जमीन पर काबिज थे उस जमीन का मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अन्तर्गत उन्हें पट्टा मिलना था जिसके लिये गांव के निवासियों द्वारा समस्त कार्यवाही हेतु शिकायतकर्ता मीना केवट को अधिकृत किया था जिसके संबंध में मीना केवट आरोपी पटवारी शैलेन्द्र शर्मा से कई बार मिले उसके द्वारा पट्टा देने में आना-कानी कर रिश्वत की मांग की, और पट्टा संबंधी कागज देने के एवज में प्रति पट्टा 2000/- रू. की दर से 12000/- रूपये रिश्वत की मांग की, जिसे गांव के गरीब लोग देने में असमर्थ थे, उनके द्वारा मीना केवट शिकायतकर्ता के माध्यम से लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की, जिसके आधार पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा आरोपी पटवारी शैलेन्द्र शर्मा को शिकायतकर्ता से रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा, लोकायुक्त पुलिस द्वारा सम्पूर्ण विवेचना पश्चात आवश्यक दस्तावेजी वैज्ञानिक साक्ष्यों का संकलन कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जहां विशेष लोक अभियोजक (लोकायुक्त) द्वारा प्रकरण के सम्पूर्ण तथ्यों व साक्ष्यों को न्यायालय के समक्ष रखा जिससे प्रमाणित पाते हुए माननीय न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात आरोपी को उक्त दण्ड से दण्डित किया है।