क्या अनूपपुर का नाम बदलने का अब समय आ गया है ? अनूपपुर की जगह संतोषपुर कर देना चाहिए संतोषम् परम् सुखम् के तर्ज पर दिख रहा है जनता का भाव@अजीत मिश्रा की रिपोर्ट

क्या अनूपपुर का नाम बदलने का अब समय आ गया है ? अनूपपुर की जगह संतोषपुर कर देना चाहिए
संतोषम् परम् सुखम् के तर्ज पर दिख रहा है जनता का भाव
(अजीत मिश्रा)
इंट्रो- जिला मुख्यालय में व्याप्त समस्याओं का अंबार और उस पर अनूपपुर की जनता का संतोष यह बताता है कि अब इसका नाम बदलने का समय आ गया है किसी जमाने में अनूपपुर नगरी अनुपम कार्य और अनुपम विचार के लिए जानी जाती थी अत्याचार, भ्रष्टाचार या शासन प्रशासन के निरंकुश्ता पर आंदोलन कर विरोध जताने पर अनूपपुर का कोई सानी नहीं था, पर वर्तमान में अनूपपुर की जनता विरोध के नाम पर मूक दर्शक बने रहती है और शासन और प्रशासन की निरंकुशता का अत्याचार सहती चली आ रही है सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्याएं का अंबार होने के बावजूद भी जिले की जनता व्यापारी शिक्षक यहां तक कि वह जनप्रतिनिधि भी इन समस्याओं के बारे में बोलने से कतराते दिखते हैं जिन्हें जनता ने अपना वोट देकर जिताया है।
अनूपपुर। जिले में निवासरत एक जागरूक युवा की फेसबुक पोस्ट ने हमें सोचने में मजबूर कर दिया कि वकाई अनूपपुर नगर का नाम
बदलने की जरूरत है। क्योंकि राजा अनूप के नाम पर पड़ी इस नगरी का नाम अनूपम कार्य के लिए जाना जाता रहा है। चाहे जिले के स्थापना से पहले अनूपपुर जनपद कार्यालय का बदरा स्थानांतरण के विरोध में आत्मदाह करने को उतारू-जुझारू युवाओं की बात
हो या 1997 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए 26 जनवरी के
कार्यक्रम में नगर प्रषासन के तुगलकी फरमान के खिलाफ
आन्दोलित छात्र हो या रेलवे फ्लाई ओवर निर्माण के देरी
को लेकर आन्दोलित ग्रामीण युवाओं का आन्दोलन हो यह
कुछ उदाहरण मात्र है अनूपपुर की जनता का जागरूक होने का कहा जाता था कि एक समय ऐसा था कि पूरे क्षेत्र की राजनीति इसी नगर से कंट्रोल होती थी परंतु आज जन समस्याओं को लेकर नगर में फैली खमोशी चिन्ता का सबक बनती जा रही है।
नगर का नाम बदलकर संतोषपुर नगर रख देना चाहिए!
2003 के जिले के स्थापना के बाद तेजी से जिला मुख्यालय में
जनसंख्या का घनत्व बढ़ा गांव शहरीकरण होने की कगार पर है
उसी तरीके से जनससमयओं का भी अम्बार होता जा रहा है। लेकिन
इसी तर्ज पर बढ़ती समस्याओं के विरोध में उठने वाली आवाज
भी खामोस होती जा रही है। एक पुरानी सुक्ति है संतोषम्
परम् सुखम् के तर्ज पर अनूपपुर की जनता चहमुखी समस्याओं के
बीच सुख का अनुभव करते हुए जीवन गुजार रही है। इनके चेहरो
में दर्द के साथ संतोष का जो रंग चढ़ता जा रहा है उसको
देखकर तो ये ही लगता है कि "जथा नाम तथा गुण के" तर्ज पे
जिला मुख्यालय का नाम बदलकर संतोषपुर रख देना चाहिए।
अटल के नाम पर पलिता लगाती लाडली लक्ष्मी मार्ग :-
जिला मुख्यालय का ह्दय स्थल माने जाने वाली इंद्रा चौक से
अनूपपुर बस्ती की ओर जाने वाली सड़क जो राज्य की सत्तासीन दल के पित्र पुरूष कहलाने वाले भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर एक विषाल गेट उस महा पुरूष की विषालता बताने
के लिए पर्याप्त है पा जैसे ही उस सडक के अन्दर जाते है तो ऐसा
लगता है कि भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर पलीता लगाती टूटी-फूटी गढ्ढों में तब्दील सड़क जिसे
मध्यप्रदेष के मामा षिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी
योजना लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है। ऐसी सड़क जिसमें
गढ्ढों में सड़क की सड़क पर गढ्ढे पता ही नही चलता उस पर
मामा की लाड़ली भान्जियॉ कैसे सुरक्षित चल पाएगी। एक
लाड़ली भान्जी ने तो यहा तक कहा कि जब तक यह सड़क पार नही कर लेते तब तक जान हलक पर अटकी रहती है।
महाराणा प्रताप चौक से पुरानी बस्ती की बदहाल सड़क:-
जिला मुख्यालय के वार्ड न. 11 और 14 स्थित सड़क अपनी बदहाली की कहानी स्वमेव बयां करती है। इस सड़क पर स्थित बड़े- बड़े गढ्ढे भ्रष्टाचार की कहानी स्वंय बयान करती है।
जानकारों की माने तो अब तक जितने बार अध्यक्ष नगरपालिका में बैठे सभी ने इस सड़क का निर्माण कराने में कोई कोर कसर
नही छोड़ी लेकिन जिस तरीके से किसी गरीब महिला के फटी हुई
साड़ी उसकी बदनसीबी और गरीबी को दर्षाती है ठीक उसी
तरीके से इस सड़क की लूटती अबरू की गवाही खुद-बखुद दे रही है और उस पर यहा पर निवासरत जनता की खामोषी भ्रष्टाचारियों के हौसले और बुलंद कर रही है क्योंकि सुनने में आ रहा है कि इस सड़क के नव निर्माण की राषि स्वीकृत हो गई है।
सड़क पर थेगडी फिल्मी फैशन का कराती ऐहसास:-
बिहार के एक पूर्व मुख्यमंत्री का बयान काफी सुर्खीयों था जब
उन्होने कहा था कि बिहार की सड़के हेमामालनी के गाल के
तरह बनाई गई है। ऐसा ही कुछ अन्दाज इस जिले के वर्तमान
मंत्री और दिग्विजय शासन काल के लोक निर्माण मंत्री बिसाहुलाल
सिंह के थे जब अपनी तत्कालिक विदेष यात्रा से लौटने के बाद
उन्होनें कहा था कि अनूपपुर सड़कों को थाइलैण्ड के
सड़कों के जैसा बनाया जाएगा और सड़क किनारे लगे हुए
स्ट्रीट लाइट उसी थाइलैण्ड की याद दिलाती है। अमरकंण्टक
चौक से वेंकटनगर मार्ग को छोड़ दिया जाए तो जिला मुख्यालय
की अधिकांश सड़के ना तो हेमामालनी की गाल बन पाई और
ना ही थाइलैण्ड के सड़को का ऐहसास दिला पाया हा यह जरूर है कि सड़को पर बने गढ्ढे कुछ पर लगी थेगडी मसहूर बॉलीवुड
ऐक्टर स्वार्गीय ओमपुरी के गाल की याद जरूर दिलाती है।और
शायद यही कारण है कि अनूपपुर की जनता स्वार्गीय ओमपुरी से
साक्षात्कार करने का ऐहसास कर मौन धारण किए हुए है।