ट्रैफिक थाना मुख्यालय के बजाय एनएच 43 में संचालित किया जाना होगा  आवश्यक
यातायात विभाग के कमाई का बढ़ेगा जरिया तो सरकारी डीजल की होगी बचत
अनूपपुर। जिले के मुख्यालय में संचालित यातायात थाना को राष्ट्रीय राज्यमार्ग के एनएच 43 में संचालित किया जाना जनहित नही बल्कि ट्रैफिक हित को मद्देनजर रखते हुए बहुत उचित होगा कारण की विभाग के पुलिसकर्मियों को प्रत्येक दिन 100 किमी की दूरी तय करके अलग से लोगों को जागरूक करने के लिए जाना पड़ता है जंहा उतनी दूरी तय किये जाने हेतु कर्मचारियों को दिन भर की तैयारी करके जाना पड़ता है सुबह से ठंड के दिनों में बेचारे कर्मचारी परेशानी होते है। अप-डाउन में अलग से 3 घंटे का समय व्यतीत होता होता है साथ ही हजारों रुपये का डीजल भी बेवजह को नुकसान हो रहा है। मानवता को मद्देनजर रखते हुए जिलेवासियों ने पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से मांग किये है कि जब ट्रैफिक पुलिस को ड्यूटी शहरी इलाकों से हटकर जंगलो में ही करना है तो वही  थाना ही संचालित कर दिया जाना चाहिए जिससे डीजल के नाम पर सरकारी राशि के दुरुपयोग के साथ कर्मचारियों के आवाजाही में हो रही तबाही से बचाया जा सकेगा साथ ही 24 घंटे सेवा देने के बाद आर्थिक बढोत्तरी भी हो सकेगी। बता दें कि यातायात प्रभारी के निर्देशन में सेवा दे रहे कर्मचारी आदेश का पालन करते हुए नगर एवं शहरी क्षेत्र की व्यवस्था को सुधार पाने में मजबूर देखे जा रहे है अगर ऐसा नहीं तो कल होने वाले साप्ताहिक पशु बाजार में ट्रैफिक पुलिस के साथ स्थानीय पुलिस के जिम्मेदारों द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत भरे जा रहे एक पिकअप वाहन में 2 दर्जन बकरियों को भरकर चल रहे व्यापारियों के साथ पुलिस की पुरानी परंपरा दिखेगी ,या कुछ रोक पाने के लिए नया कुछ देखने को मिलेगा। हालांकि लोगों को यह सब कुछ कान में जूं न रेंगने जैसा प्रतीत हो रहा कारण की शहर में यातायात सबंधी जितने भी भ्रष्टाचार हो रहे है प्रभारी के जानकारी संरक्षण व मिलीभगत में ही हो रहे है । नही तो कर्मचारियों के दम नही की अपने काम के अलावा कोई दूसरा काम कर लें। जनचर्चा यह भी है कि प्रभारी को शहर में चल रही गतिविधियों से कोई लेना देना भी नही जानकारों के मुताबिक साहब ग्वालियर के राजा रजवाड़ों की तरह अपने कमरे से निकलकर आधे 1 घंटे के लिए कार्यालय पहुंचते है फिर वापस चले जाते है कभी इच्छा हुई तो हिसाब किताब लेने शाम को फिर कार्यालय पहुंच जाते है। आमजन का मानना यह भी है कि ऐसी स्थिति अगर कुछ दिन और बनी रही तो जिले भर के लोग कैसे यातायात को लेकर जागरूक होंगे और कैसे लगातार हो रही दुर्घटना से मौत पर लगाम लगाया जा सकेगा।