हमारे संविधान में भगवान राम का चित्र कहां अंकित है जहां मौलिक अधिकारों की बात की गई है ..... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

हमारे संविधान में भगवान राम का चित्र कहां अंकित है जहां मौलिक अधिकारों की बात की गई है ..... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
अमरकंटक। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने 75 वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने तिरंगा फहराया। इसके बाद विश्वविद्यालय के सुरक्षा प्रहरियों एवं एन.सी.सी. व एन.एस.एस. के कैडेट्स तथा मॉडल ट्राइबल स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा परेड का भव्य आयोजन किया गया। माननीय कुलपति ने अपने उद्बोधन की शुरुआत नर्मदे हर के उद्घोष से करते हुए सभी को 75 वे गणतंत्र दिवस शुभकामनाएं दी। आपने अपने उद्बोधन में कहा कि आज वक्त है उत्सव का। आज भारत सहित पूरी दुनिया भगवान श्री राम का उत्सव मना रही है। हमने आज ही के दिन अपने संविधान को आत्मसात किया था। हमारे संविधान में महात्माओं, गुरुओं, शासकों एवं पौराणिक पात्रों को अलग-अलग भागों में सजाया गया है। प्रत्येक चित्र भारत की अनंत विरासत से एक संदेश और उद्देश्य को व्यक्त करता है। बात हो रही है भगवान श्री राम की तो आपको प्रसन्न होना चाहिए कि संविधान का भाग 3, जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों को दर्शाया गया है, उस पर श्री राम, सीता जी एवं लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है। अतः आज मैं उन महान वंदनीय विभूतियों को नमन करता हूं, जिन्होंने संविधान का निर्माण किया है और नमन करता हूं माननीय राष्ट्रपति महोदय एवं माननीय प्रधानमंत्री को जिनके अथक प्रयासों से आज हमारा देश वैश्विक फलक पर सबसे ऊपर है जिसे ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विकसित भारत का संदेश दिया है। जिसे आप सभी नव युवको को साकार करना है। मैं नमन करता हूं इस अंचल के उन महान नायकों को जिनके पास प्रकृति का अथाय ज्ञान है। हमें अपने संविधान पर गर्व करना चाहिए क्योंकि यह हमारा धर्म ग्रंथ है, धर्म ग्रंथ है और धर्म ग्रंथ है। संविधान से हमें प्रत्येक समस्या का समाधान मिलता है, विकास की राह मिलती है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। आज हम जिस दौर में हैं, वहां से हम विकसित भारत को देख सकते है। हमें गर्व होना चाहिए विशेषकर युवा पीढ़ी को, कि हम उस देश के वासी हैं, जिसे लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। भारत दुनिया का पहला गणतंत्र देश है जिसमें लोकतंत्र को परिभाषित किया है, प्राचीन काल से भारतीय राजव्यवस्था में लोकतांत्रिक गणतंत्र की झलक देखने को मिलती है। गौतम बुद्ध ने कहा भी है, कि गणतंत्र गारंटी सिर्फ भारत में मिल सकती है क्योंकि यहां जनता और सता के बीच विभेद नहीं है। हमारे यहां कानून भी आम जन की सहभागिता से बनता है। हमारे देश में गणतंत्र इस लिए सफल है क्योंकि यहां नारी का और बुजुर्गों का सम्मान है तथा युवा पीढ़ी का ध्यान है। समृद्ध भारत, सशक्त भारत, स्वस्थ भारत सफल भारत यह केवल हमारे शब्द नहीं है। यह हमारा यथार्थ है अतः हम सभी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। आज भारत थल, जल और वायु में पूरी दुनिया में अग्रणी है। हमारी यात्रा सिर्फ चंद्रमा पर नहीं रुकी है बल्कि हम सूर्य और अन्य ग्रहों की भी यात्रा कर रहे हैं और सभी तक हमारी पहुंच संभव हो सकेगी। हम आधार से आकाश की उड़ान भरते हैं पुरातन से अनुदातन की उड़ान भरते हैं। और दोनों में समन्वय करते हैं। हमारे देश के लोग सफलता के शीर्ष पर पहुंचने वाले लोग हैं। किसी भी देश की सफलता वहां की युवा पीढ़ी के कंधों पर होती है। हम सौभाग्यशाली हैं कि भारत दुनिया का सर्वाधिक युवा पीढ़ी वाला राष्ट्र है। आज की युवा पीढ़ी आने वालों युवाओं के लिए बहुत कुछ कर रही है और इतिहास का सृजन इस युवा पीढ़ी के माध्यम से होगा। सफल भारत युवा भारत है युवा भारत दुनिया को इतिहास देने वाला भारत है। हमें ज्ञान, ध्यान और विज्ञान के बीच समन्वय स्थापित करना है। इस समन्वय के माध्यम से ही हम सुधार, परिष्कार और पुनरुद्धार जैसे कार्य करते हैं। हमें सरस और सरस समाज की स्थापना करनी है। इस प्रक्रिया में शिक्षण संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यहां सच्चे मानव की रचना की जाती है। यहां हम बोध से शोध की ओर बढ़ते हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे विश्वविद्यालय के नाम में जनजातीय शब्द जुड़ा है। उद्बोधन पश्चात एन.सी.सी. क्रेडिट को पदक वितरण किया गया एवं विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सुरक्षा प्रहरियों एवं कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया जिसकी घोषणा प्रो.आलोक श्रोत्रिय द्वारा की गई। इस अवसर पर शील मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी एवं विश्वविद्यालय के समस्त अध्यापक गण, कर्मचारी गण तथा छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही। मंच संचालन डॉ. रणभूषण तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम प्रो. सौभाग्य रंजन पाढ़ी, प्रो.जी.बी.एस. जोहरी, डॉ. सुनीता मिंज, डॉ. कृष्ण मुरारी सिंह एवं डॉ. अखिलेश सिंह के सफल निर्देशन में संपन्न हुआ।