नेशनल लोक अदालत में एक करोड़ 88 लाख से अधिक राशि का अवार्ड हुआ पारित  
लोक अदालत में 1979 प्रकरणों में से 501 प्रकरणों का हुआ निराकरण
नेशनल लोक अदालत का आयोजन सम्पन्न 
अनूपपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार शनिवार को जिला मुख्यालय अनूपपुर एवं तहसील कोतमा व राजेन्द्रग्राम की सिविल कोर्ट में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला न्यायालय में प्रधान जिला न्यायाधीश एस.एस. परमार के द्वारा दीप प्रज्जवलित कर लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विवेक शुक्ला, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीष पंकज जायसवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद सेवतिया, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महेन्द्र कुमार उइके, न्यायिक मजिस्ट्रेट रामअवतार पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री अंजली शाह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह, जिला विधिक सहायता अधिकारी दिलावर सिंह सहित अधिवक्तागण एवं कर्मचारीगण, नगरपालिका, विद्युत, बैंक के अधिकारीगण, पक्षकारगण उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि लोक अदालत के लिये जिला न्यायालय अनूपपुर एवं तहसील न्यायालय कोतमा व राजेन्द्रग्राम में कुल 12 खण्डपीठों का गठन किया गया है। जिसमें राजीनामा योग्य दाण्डिक प्रकरण, चेक अनादरण से संबंधित प्रकरण, बैंक वसूली प्रकरण, मोटर दुर्घटना दावा, वैवाहिक प्रकरण, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, सिविल प्रकरण एवं बिजली व पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के द्वारा किया गया। जिला मुख्यालय अनूपपुर, तहसील कोतमा एवं राजेन्द्रग्राम में लंबित प्रकरणों में से 1979 प्रकरणों को लोक अदालत मे रेफर किया गया, जिनमे से कुल 501 प्रकरणों का निराकरण हुआ। प्रीलिटिगेशन के 3273 प्रकरण प्रस्तुत हुए जिनमें से 223 प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत के माध्यम से हुआ। आयोजित लोक अदालत में कुल राशि 18847630 अवार्ड पारित किया गया। आयोजित लोक अदालत मे सभी कर्मचारीगण, अधिवक्ताओं व पक्षकारो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा आपसी सुलह एवं सामंजस्य के आधार पर आपसी राजीनामा कर पारस्परिक भाईचारा एवं सौहार्द का परिचय दिया। कुटुम्ब न्यायालय के लंबित प्रकरण में मां और पुत्र के मध्य राजीनामा हुआ। मां ने अपने वाद में आरोप लगाया था कि उसके पति की मृत्यु उपरांत पुत्र को अनुकम्पा नियुक्ति मिली थी। पुत्र ने अनुकम्पा नियुक्ति के दौरान कहा था कि वह मां सहित सभी भाई-बहनों की देखभाल करेगा किन्तु अनुकम्पा नियुक्ति मिलने के बाद उसने मां की देखभाल व भरण पोषण करना बंद कर दिया। नेशनल लोक अदालत में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.एस. परमार द्वारा मां और बेटे को समझाईश दिये जाने पर पुत्र ने मां को साथ रखने एवं उनका भरण पोषण करने की सहमति दी और दोनों के मध्य आपसी सहमति से राजीनामा संपन्न हुआ। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में पुत्री के जन्म होने के बाद से पति का व्यवहार पत्नी के प्रति अच्छा नहीं था, पत्नी को उलाहना देना, मारपीट करना, भरण पोषण नहीं देना जैसे आरोप के साथ पत्नी ने पति से भरण पोषण पाने के लिये न्यायालय की शरण ली थी। नेषनल लोक अदालत में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशएस.एस. परमार द्वारा समझाईश दिये जाने पर पति ने अपनी पत्नी को साथ रखने और उसका भरण पोषण करने पर सहमति व्यक्त कर राजीनामा किया। न्यायालय से ही दोनों राजीखुशी अपने घर के लिये रवाना हुए।