इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में जनजातीय ज्ञान प्रणाली पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन 

 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में  “ *संसाधन उपयोग और संरक्षण में जनजातीय ज्ञान प्रणाली”* विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। संगोष्ठी का आयोजन बिरसा मुंडा चेयर द्वारा विश्वविद्यालय के  प्र. कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी जी के उपस्थिति में किया गया। संगोष्ठी के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने प्रतिभागियों से कहा कि जनजातीय ज्ञान या उनके ज्ञान प्रणाली का प्रलेखन करना आवश्यक है, जो प्रभावी रूप से संसाधनों का संरक्षण करती है,उनके इन अवसरों की पहचान करती है और लोगों के भरण-पोषण में योगदान देती है, जो बहुत तेजी से लुप्त हो रही है, उन्हें अनिवार्य रूप से प्रामाणिक रूप से प्रलेखित व संरक्षित करने की आवश्यकता है, जो तभी संभव है, जब कोई जनजाति, उनकी संस्कृति और जीवन शैली को समझे।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. कृष्ण सिंह ने कहा कि जनजाति समुदायों के समावेशी विकास के लिए संस्कृति को आधार बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृति के साथ-साथ जनजातियों की भाषाओं को संरक्षित और उन्हें बढ़ावा देना भी आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जनजातियाँ कभी भी जल जंगल जमीन को नष्ट नहीं करती हैं क्योंकि वे जंगलों से प्यार करते हैं और जंगलों को अपने घर की तरह सम्मान देते हैं। सत्र के मुख्य अतिथि, प्रो. आर. वी. शुक्ला, कुलपति, श्री दावड़ा विश्वविद्यालय, रायपुर ने प्रतिभागियों को बताया कि जनजातियाँ वनों का संरक्षण सुनिश्चित करती हैं और जैव विविधता का पोषण सुनिश्चित करती हैं। जनजाति समुदाय संधारणीय पारिस्थितिकी क्षेत्रों को बनाए रखते हैं।

संगोष्ठी के संयोजक प्रो. प्रसन्ना कुमार सामल, अध्यक्ष, बिरसा मुंडा चेयर ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उन्हें विश्वविद्यालय और बिरसा मुंडा चेयर के लक्ष्यों और उद्देश्यों से अवगत कराया। जनजातीय अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रो. गौरी शंकर महापात्रा ने संगोष्ठी के प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। संगोष्ठी में विभिन्न राज्यों के कई विश्वविद्यालयों और संगठनों के 40 से अधिक प्रतिभागी भाग लिया। संगोष्ठी में पद्मश्री अर्जुन सिंह जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति, आईजीएनटीयू से प्रो. सौभाग्य रंजन पाढ़ी, प्रो. टी. सेकर, प्रो. राघवेंद्र मिश्रा, प्रो. मनीषा शर्मा, डॉ. नुपुर श्रीवास्तव (परीक्षा नियंत्रक), डॉ. संजय यादव, डॉ. सौरभ कुमार, डॉ. विनय तिवारी, डॉ. ज्ञान प्रकाश पटेल, शोधार्थी और छात्र प्रतिभागी रहे।