रेलवे की दोहरी मानसिकता के खिलाफ जन आक्रोश, यात्री ट्रेन की जगह गुड्स ट्रेन को प्राथमिकता 
यात्रियों को हो रही परेशानी कुम्भकरणी निद्रा में रेल प्रशासन
अनूपपुर। आए दिन रेलवे कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ काम को बताकर ट्रेन को बंद कर देती है। जबकि गुड्स ट्रेनों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह और ज्यादा चलने लगती है। धड़- धड़ाके रेल पटरियों पर दौड़ने लगती है। उससे रेलवे का किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता। यात्री ट्रेनों से ही रेलवे को परेशानी होती है। यह रेलवे की दोहरी मानसिकता नहीं तो और क्या हैं...? अभी हाल ही में रेलवे ने सर्वाधिक यात्रियों को लेकर यात्रा कराने वाली ट्रेन नंबर 15159/15160 छपरा- दुर्ग-छपरा सारनाथ एक्सप्रेस को अभी से सर्दियों में कोहरे के लिए अग्रिम योजना बता कर दिसंबर से फरवरी तक अलग-अलग तिथियों में बंद करने का ऐलान कर दिया। जबकि अभी ठंड पड़ना प्रारंभ भी नहीं हुआ। कोहरे जैसी कोई बात नहीं है लेकिन रेलवे ने 3 माह के लिए यात्रियों को मुसीबत में डाल दिया। कोई सुनने वाला नहीं, कोई बोलने वाला नहीं। केवल रेलवे की मनमानी चल रही है।, यही नहीं अंबिकापुर से निजामुद्दीन एवं निजामुद्दीन से अंबिकापुर के मध्य चलने वाली ट्रेन नंबर 04043 एवं 04044 अंबिकापुर-निजामुद्दीन-अंबिकापुर को भी कोहरे की अग्रिम आशंका के कारण 5 दिसंबर 2023 से लेकर 29 फरवरी 2024 तक के लिए रह करने का आदेश जारी कर दिया। जबकि कोहरे जैसी कोई बात अभी दूर तक नजर नहीं आ रही। जबकि दिल्ली जाने के लिए पुरी से ऋषिकेश उत्कल एक्सप्रेस भी चलती है, दुर्ग से निजामुद्दीन संपर्क क्रांति एक्सप्रेस भी चलती है, दुर्ग से उधमपुर एवं दुर्ग से निजामुद्दीन हमसफर एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन भी होता है। लेकिन इन ट्रेनों नो पर पर कोहरे की कोई आशंका नहीं है। जबकि ट्रेन का रुट वही है तो इन ट्रेनों को कोहरे की आशंका से वंचित रखा गया है। यह रेलवे की दोहरी मानसिकता नहीं तो और क्या है...? सच्चाई तो यह है कि जनप्रतिनिधि एवं केंद्र में नेतृत्व करने वाले सांसद पूरी तरह से सत्ता के सुख में पागल हो गए हैं। उन्हें यात्रियों की परेशानियों से कोई लेना देना नहीं। यदि एक भी सांसद रेल पटरी पर उतरकर जनता की मांग को लेकर खड़ा हो जाए तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उसे टिकट से वंचित कर दिया जाएगा। इस डर से सांसद हर कुछ जानते हुए भी मौन धारण किए हुए हैं। अब इनका केवल एक ही इलाज है हाई कोर्ट (उच्च न्यायालय) यदि जनता में जागरूकता आ जाए तो सांसद तो सांसद क्या केंद्र सरकार भी हिल जाए। लेकिन आवश्यकता है की जनता पहले जागरूक हो। देखा तो यह जाता है की आवाज तो कुछ लोग उठाते हैं लेकिन उन्हें वह रिस्पांस नहीं मिलता जिससे रेलवे जैसे विभाग अपनी मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। अन्यथा उनकी मनमानी तो मिनट में समाप्त हो जाए। लेकिन जागरूकता की कमी इनके हौसले बुलंद करके रखी है। जब तक जनता जागरुक नहीं होगी जब तक केंद्र सरकार के नेतृत्व में चलने वाली रेलवे अपनी मनमानी से बाज नहीं आएगी और यात्रियों को इसी तरह तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए सड़क मार्ग से अधिक किराया देकर यात्रा करने को मजबूर होना पड़ेगा। आज ऐसे कई मुद्दे हैं जिनको लेकर अगर जनता न्यायालय के दरवाजे खटखटा दे तो आने वाले समय में रेलवे की मनमानी पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा एवं जनता का राज चलने लगेगा और जनता जैसा चाहेगी वैसी सुविधा देने को रेल प्रशासन मजबूर हो जाएगा। लेकिन अगर इसी तरह कमी बनी रही तो अच्छे दिन देखने को भारतीय जनता पार्टी के शासन में जनता को नहीं मिल पाएगा। क्योंकि रेलवे में ऐसे भष्ट्र अधिकारी बैठे हैं जो अपनी मनमानी के आगे किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। अनूपपुर जंक्शन स्टेशन पर डेढ़ वर्षों से पैदल पुल केवल इसलिए बंद है की रेलवे के इंजीनियर ने उसे बेवजह खराब बता दिया। कभी भी कोई दुर्घटना घटित हो सकती है इसको देखते हुए रेलवे ने ब्रिज पर पूरी तरह से बेन लगा दिया। यहाँ तक की नगर पालिका अध्यक्ष एवं पत्रकारों ने डीआरएम के अनूपपुर दौरे पर उनसे निवेदन किया था की एक बार पैदल पुल का निरीक्षण तो कर ले ऐसी क्या खराबी है इसे जनता को बताएं। लेकिन डीआरएम उस ब्रिज तक जाने की जरूरत महसूस नहीं किए उनका पत्रकारा कहना था कि यह ब्रिज टूट कर नया बनेगा उसे देखने की कोई जरूरत नहीं है। बिलासपुर रेल मंडल के जिम्मेदार रेलवे प्रबंधक के इस तरह के तर्क से लोगों में काफी नाराजगी थी। लेकिन रेलवे प्रबंधक जनता की आवाज को सुनने को तैयार नहीं हुए। आज डेढ़ वर्षों से जनता परेशान है. ब्रिज बंद पड़ा है, ना ही उसमें सुधार कराया गया, ना ही उसकीतोड़फोड़ की गई, एवं ना ही नया। ब्रिज बनाया गया। जिससे जनता को काफी लंबी दूरी न का सफर तय कर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाना पड़ता है। कई बार तो यात्री ट्रेन छूट न जाए इस चक्कर में रेल पटरिया को क्रॉस करते हुए एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन इसे देखने एवं सुनने वाला कोई नहीं है। यहां तक की रेलवे के जो पार्सल होते हैं उसे भी रेलवे के हमाल रेल लाइन क्रॉस कर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर लाते हैं एवं ले जाते हैं लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं। दिव्यांग लोगों के लिए कोई भी व्यवस्था प्लेटफॉर्म 1 से 3-4 में जाने के लिए नहीं है एवं ना ही 3-4 से 1 में आने के लिए है। 3 तमाम तरह की परेशानियों को देखते हुए लोगों को अपनी यात्रा परेशानियों को झेलते हुए करना पड़ रहा है। लेकिन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। रेलवे की मनमानी के चलते यात्री परेशान है। देखना है आने वाले समय में कितने जागरूक लोग जागरूकता का परिचय देते हुए आगे आते हैं एवं रेलवे के खिलाफ हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) का दरवाजा खटखटाते हैं। तब ही रेलवे से यात्रियों को सुविधा मिलना प्रारंभ होगी और रेलवे की मनमानी पर पूरी तरह से रोक लगेगी।