कांग्रेस के लिए बदलाव सबसे बड़ा मुद्दा बीजेपी के लिए लाडली बहना सबसे बड़ा हथियार
जिले के तीनों विधानसभा में नेट टू नेट फाइट
इन्ट्रो- अगर हम कांग्रेस की ओर से देखें तो उसके पक्ष में सबसे बड़ा मुद्दा श्बदलावश् का है। जो वोटर कांग्रेस के लिए वोटिंग करेंगे, उनके मन में यही सबसे बड़ा मसला लग रहा है कि सरकार बदलनी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार की वापसी के लिए वोटिंग का इरादा रखने वाले वोटरों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा लाडली बहना योजना हो सकती है। यानि यही दो मुद्दे हैं, जिसके आधार पर मुख्य तौर पर वोटिंग हो सकती है।
अनूपपुर। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब दो दशकों से सत्ता पर काबिज होने की वजह से बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती एंटी-इंकंबेंसी से निपटना है। यही वजह है कि कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया है, जिससे वह शिवराज सिंह चैहान के लंबे कार्यकाल की एंटी-इंकंबेंसी का फायदा उठा सके। इसके साथ ही यहां पर एक और रोचक तथ्य जाति का भी सामने आता हैं। कई मतदाता बताते हैं कि प्रत्याशी उनकी जाति है और उनका परिवार कई बार से को वोट देता आ रहा है और इस बार भी ऐसा ही करने की संभावना है। इस प्रकार देखा जा रहा है कि अनूपपुर जिले के तीनों विधानसभा में जहां भाजपा कांग्रेस में कांटे की टक्कर है वही मतदाताओं में बदलाव की बयार भी बह रही है। लेकिन प्रत्याषी साम दाम दण्ड भेद का भी उपयोग किया जा रहा है। जिले के कोतमा, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़ विधानसभा में मतदाताओं को प्रभावित या प्रलोभन के झासे में करने के लिए जिस तरह से नोट बल का खुला खेल चल रहा है वह कही से भी स्वस्थ पराम्परा के लिए सही नही है।
भाजपा के लिए महिला वोटर बहुत बड़ी किरदार
दरअसल, अनूपपुर की महिला वोटरों में लाडली बहना योजना को लेकर एक सकारात्मक माहौल नजर आ रहा है। इसके तहत राज्य सरकार योग्य लाभार्थियों के खाते में एक निश्चित रकम डालती है। उदाहरण के तौर पर यहां अनुसूचित जाति की कुछ महिलाएं पवित्र नर्मदा नदी की ओर जा रही थीं। उनके बीच लाडली बहना योजना को लेकर बातचीत चल रही थी कि, शिवराज डाल दियो पैसे हमारे अकाउंट में तीन बच्चों की मां 38 साल की सरस्वती जहां इस योजना की सराहना करती है, वहीं बढ़ती महंगाई को लेकर खासकर दाल और खाने के तेल को लेकर भी उसकी चिंता जाहिर होती है। ऐसे ही अनूपपुर के दूर-दराज क्षेत्रों में विकास, कल्याणकारी योजनाओं और राम मंदिर की बातों को बदलाव और पटवारी परीक्षा में पेपर लीक के मुद्दों से चुनौती मिलती नजर आती है। कई स्थानीय विश्लेषकों को लगता है कि सबकुछ इसपर निर्भर है कि भारतीय जनता पार्टी लाडली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं को किस हद तक एकजुट कर पाती है और बदलाव की आवाज से अपनी संगठनात्मक क्षमता के दम पर किस हद तक उबर पाती है।
कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के दमखम का फैसला
कांग्रेस में इस समय केवल एक ही आस बची हुई है वह है बदलाव के बयार की अति उत्साह में दिख रहे कांग्रेसियों के लिए भले ही यह नारा संजीवनी का काम कर रहा है लेकिन अनूपपुर जिले की तीनों विधानसभा सीटों को देखा जाए तो कोतमा और पुष्पराजगढ़ विधानसभा में कांग्रेस का ही कब्जा है और यहां पर भाजपा कांग्रेस से नेट टू नेट फाइट में भी है स कांग्रेस के चुनावी अभियान में प्रदेश के दिग्गजों का जहां पर ना आना चर्चा का विषय है वही यह भी कहा जा रहा है कि संगठन की जमीनी स्तर पर पकड़ न होने के कारण जनता में बह रही बदलाव की बयान का कितना फायदा कांग्रेस उठा सकती है यह आने वाला परिणाम से ही पता चल पाएगा लेकिन यह तय है कि जिले की राजनीति में अगर कहीं से भी कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है तो उसके संगठन की क्षमता पर ही सवाल खड़े होते हैं कांग्रेस की गुटबाजी विशेष कर पुष्पराजगढ़ और कोतमा में सड़क पर है तो वही अनूपपुर में सब कुछ खामोशी के साथ चल रहा हैस ऐसे में आशा की एकमात्र किरण बदलाव की बयार से कांग्रेस कितना फायदा उठा पाएगी यह राजनीतिक विश्लेशको के लिए अभी केवल गुणा भाग तक ही सीमित है।