कोतमा में बगावत और भीतर घातियों के दम पर टिका है हार जीत का फैसला
इन्ट्रो-
विधानसभा 2023 की जंग के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने चुनावी भूमि पर युद्ध का उद्घोष के साथ चुनाव प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं शहडोल संभाग की एकमात्र सामान्य सीट कोतमा विधानसभा में वर्तमान परिदृश्य में देखा जाए तो चारों तरफ बगावत और भितरघात का शोर सुनाई पड़ रहा है वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कोतमा विधानसभा चुनाव में हार जीत का फैसला बगावत और भीतर घाट करने वाले नेताओं के दम पर टिका है।
अनूपपुर। 2023 की चुनावी जंग जीतने के लिए या यह कहा जाए कि कोतमा विधानसभा से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी दोबारा विधानसभा में पहुंचने के लिए सुबह से लेकर रात तक घर-घर जाकर चुनाव प्रचार अभियान में लगे हैं लेकिन आम मतदाताओं की साइलेंट भूमिका के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस में बगावत भीतर घात का खेल दोनों प्रत्याशियों को चिंतित कर रहा हैस जहां भाजपा में साइलेंट बगावत की खबर है तो वहीं कांग्रेस में यह बगावत आभूषण पर नजर आ रही है यही नहीं कांग्रेस के कुछ बड़े नेता जो टिकट के दावेदार थे कभी-कभी भाजपा प्रत्याशी के साथ दिखाई पड़ने लगे हैं जो कहीं से भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। फिलहाल पल-पल बदलती कोतमा विधानसभा चुनाव की तस्वीर पर शहडोल संभाग ही नहीं भोपाल तक की नजरें टिकी है तो अधिकतर राजनीतिक विश्लेषण को का तर्क है कि यहां का चुनाव परिणाम या प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला इस बात पर निर्भर करता है कि अपने दलों से बगावत करने वाले नेता अपनी कितनी दमदारी के साथ  जनता पर प्रभाव डाल सकते हैं
भाजपा प्रत्याशी के साथ दिख रहे कांग्रेसी नेता 

 


2018 के चुनाव में भाजपा की भीतर घात के बदौलत आसानी से कांग्रेस का परचम लहराने वाले सुनील सराफ के लिए अब जी 23 का बगावती तेवर भारी पड़ता दिख रहा है। पहले टिकट की दौड़ को रोमांचक बनाने वाली जी 23 ने अब चुनावी मैदान की जंग को एक नया रंग दे रही हैस यही नहीं कोतमा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर देखा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के दौरान फोटो खिंचवाते कांग्रेसी नेता या यह कहा जाए की टिकट के कई दावेदार कांग्रेसी दिग्गज भी नजर आ रहे हैं तो गलत नहीं है। फिलहाल तो कांग्रेस विधायक के लिए विधानसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा चुनौती जी 23 के नेता दे रहे हैं और कहां तक यह भी जा रहा है कि यह चुनौती कांग्रेस के लिए जीत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है तो गलत नहीं है। बात यहीं तक रहती तो सीमित भी थी लेकिन अब जी 23 के नेता और कांग्रेस पार्टी से टिकट के कई दावेदार दिग्गज भाजपा प्रत्याशी के साथ जनसंपर्क के दौरान नजर आ रहे हैं जो कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी के समान है और अब जब यह घंटी खुल के बजने लगी है तो कांग्रेस प्रत्याशी की बौखलाहट भी जनता के सामने आने लगी है। कोतमा के राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि जो भी कांग्रेस का नेता कांग्रेस का विरोध करेगा उसे कांग्रेस के कार्यकर्ता दौड़ा दौड़ा कर पीटेंगे कांग्रेस प्रत्याशी का ऐसा बयान इसी बौखलाहट का नतीजा बताया जा रहा है।
भाजपा में चुप्प चाप का मामला सबसे खतरनाक
वहीं भारतीय जनता पार्टी में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी का विरोध कांग्रेस की तरफ खुलकर तो नहीं हो रहा है लेकिन भाजपा के कई टिकट दावेदार भाजपा के चुनाव प्रचार से दूर नजर आ रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि विजुरी के दो टिकट के दावेदार जिनका नाम तेजी से मीडिया में भी इस बात को लेकर उछला था कि इनका टिकट फाइनल हो गया है वह भाजपा प्रत्याशी के साथ नहीं दिख रहे हैं। यही नहीं कोतमा के टिकट के एक अन्य बड़े दावेदार जिनकी पकड़ कार्यकर्ताओं में सबसे अच्छी मानी जाती है उन्होंने भी कोतमा के चुनाव से दूरी बना ली है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं का भाजपा प्रत्याशी का साइलेंट विरोध इस बात का संकेत दे रहा है कि कहीं ना कहीं 2018 का चुनाव परिणाम एक बार फिर से कोतमा में ना दोहरा दिया जाए। यहां पर यह भी बता दिया जाए की 2018 में भाजपा के यही प्रत्याशी थे और अपनी हार के बाद उन्होंने खुलेआम मीडिया के सामने भाजपा नेताओं के बगावत का मामला उठाकर उन पर कार्रवाई किए जाने की मांग की थी यही कारण है कि भाजपा के कई नेता कोतमा के चुनाव प्रसार से दूर रहकर अन्य विधानसभा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं जिससे भी कोतमा का चुनाव प्रचार प्रभावित हो रहा है।