विष्व जल दिवस पर कार्यक्रम संपन्न

उमरिया - प्रकृति इंसान को जीवनदायिनी संपदा जल एक च्रक के रूप में प्रदान करती है। इंसान भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चक्र को गतिमान रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। इस चक्र के थमनें का अर्थ है जीवन का थम जाना। प्रकृति के खजाने से जितना पानी हम लेते है उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नही कर सकते है । प्राकृतिक संसाधनों को दूषित नही होने देना चाहिए और पानी को व्यर्थ होने से बचाना चाहिए। हर व्यक्ति को पानी बचानें का संकल्प लेना चाहिए। उक्त आषय के विचार ग्राम ददरी, महरोई में आयोजित विष्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के अधिकारियों ने व्यक्त किए। 
इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री सरोज सिंह ठाकुर, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय एस एस धुर्वे, कमलाकर सिंह, अनुविभागीय अधिकारी एवं विभागीय अमला उपस्थित रहा। 
विष्व जल दिवस पर कृषकों को जानकारी देते हुए बताया गया कि विष्व जल दिवस मनानें की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेषन मंे 22 मार्च को की थी। विष्व जल दिवस की अंतर्राष्ट्रीय पहल रिया डि जेनेरियों में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में की गई थी, जिस पर सर्व प्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विष्व में जल दिवस के मौके पर जल के संरक्षण और रख रखाव पर जागरूकता फैलानें का कार्य किया गया।