अब मंत्रियों की बारी, चौंकिए क्योंकि चुकाने की फिर है पूरी तैयारी, आज हो सकता शपथ शहडोल संभाग से जयसिंह मरावी और मीना सिंह की चर्चा

अब मंत्रियों की बारी, चौंकिए क्योंकि चुकाने की फिर है पूरी तैयारी, आज हो सकता शपथ
शहडोल संभाग से जयसिंह मरावी और मीना सिंह की चर्चा
इन्ट्रो- भोपाल के राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आज यानी मंगलवार को प्रदेश में नए कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। सत्ता की गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार इस बार प्रदेश के कैबिनेट को बनाने के लिए सीधे-सीधे दिल्ली दरबार में एक-एक नाम पर गहन विचार विमर्श किया है यही नहीं नए मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कई तरह की गाइडलाइन और फार्मूले भी बनाए गए हैं यही कारण है कि अभी तक किसको शामिल किया जाएगा और किसको नहीं इसकी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है फिलहाल एयरटेल माना जा रहा है कि प्रदेश का नया कैबिनेट इस तरह से जनता को चुकायेगा जिस तरह से प्रदेश में नए मुख्यमंत्री का चेहरा।
अनूपपुर। मध्य प्रदेश मे जिस तरह से चौंकाने वाले तरीके से मध्य प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव की नाम की घोषणा की गई थी उससे राजनीतिक जानकारों, तजुर्बेकारों अपना साथियों सहित आम लोगों को चौंकाया है। ताजपोशी के बाद मोहन यादव ने उमा भारती से मुलाकात की, तो क्या उमा समर्थक को या उमा की सलाह से कैबिनेट का कोई फैसला होगा। उमा भारती के अलावा मोहन यादव नरोत्तम मिश्रा से भी मिले। उनके शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नरोत्तम मिश्रा बड़े नेताओं को रिसीव करने की कतार में सबसे आगे नजर आए। रोह के दौरान भी जीते हुए विधायकों से आगे की पंक्ति में बैठे नजर आए। समंदर की लहरें पलटकर आती हैं, वो ये ऐलान भी कर ही चुके हैं। तो, क्या येन केनप्रकारेण उनकी कैबिनेट में वापसी संभव होगी। मोहन केबिनेट से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं जो राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के दिमाग में कोहराम मचा रहे होंगे। कुछ कयास का दौर शुरू भी हो चुका है। जैसा पहले ही बताया है कि इस बार मोहन कैबिनेट में कुछ नए ताजा चेहरे जनता के सामने होंगे। जिनसे ये उम्मीद लगाई जा सके कि ये नए हैं तो कुछ नया करके दिखाएंगे। इन ताजा चेहरों में बहुत से नाम है इनमें से कुछ चेहरे जाने-माने हैं, लगातार जीत रहे हैं, लेकिन कैबिनेट में जाने का मौका उन्हें अब तक नहीं मिला। इस बार हो सकता है कि मोहन यादव की तरह उनकी किस्मत भी चमक जाए। नए चेहरों को मौका देने की रणनीति इसलिए ठोस नजर आती है क्योंकि बीजेपी ने इस चुनाव में इस फॉर्मूले को पूरी तरह आजमा भी लिया है। जिन चेहरों को लेकर नाराजगी ज्यादा थी उन चेहरों के टिकट काट दिए गए। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का फेस पीछे करके नरेंद्र मोदी का फेस आगे किया गया। अब यही फॉर्मूला कैबिनेट में भी आजमाया जा सकता है। जहां जनता को नए चेहरे नजर आएं और नई उम्मीद भी जगे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एंटी कंबेंसी को कम से कम करना बीजेपी की पहली कोशिश होगी। जिसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव से हो ही चुकी है और कैबिनेट के जरिए ये दूसरी कोशिश होगी। ताकि पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी कम से कम रहे। यही फॉर्मूला अपनाया गया तो कुछ पुराने चेहरों को उनके तजुर्बे और बंपर जीत के बावजूद कैबिनेट में मौका मिलना मुश्किल है। फिलहाल अनूपपुर जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता और पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह का नाम मंत्री पद की रेस से बाहर ही माना जा रहा है।
मोहन यादव की रणनीति क्या होगी ?
ऐसे में नए नए मुख्यमंत्री बने मोहन यादव की रणनीति क्या होगी। उनकी कैबिनेट में किस तरह नए और पुराने चेहरे, सीनियर और जूनियर विधायकों का तालमेल बिठाया जाता है। किस तरह अहम विभाग से लेकर कमजोर विभागों का बंटवारा होता है, वो फैसला देखने लायक होगा। जो मोहन यादव का राजनीतिक कौशल का आईना भी बनेगा।
शहडोल संभाग में भी बदलेगा सत्ता का पावर सेंटर
इस तरह से देखा जाए तो शहडोल संभाग की आठ सीटों में से साथ पर कब्जा करके भारतीय जनता पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल की है जिस तरह से प्रदेश में दूसरी कतार के नेताओं को आगे लाया जा रहा है इस तरह इस बात की संभावना है कि शहडोल संभाग में भी भारतीय जनता पार्टी दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे करके आगामी लोकसभा चुनाव में उतरेगी स यही कारण है कि भाजपा की सता की गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी का पावर सेंटर समझे जाने वाले कुछ वरिष्ठ नेताओं के दरबार से हटकर इस बार युवा नेतृत्व के हाथ में होगा या यह कहा जाए कि भाजपा के वह फ्रेश चेहरे इस बार सत्ता के पावर सेंटर के रूप में जनता के सामने आ सकते हैं जो अभी तक बड़े नेताओं के कारण ज्यादा चर्चा में नहीं आते थे।