व्यंकटनगर पंचायत में फर्जी बिलों से राशि का आहरण जारी,सचिव देवनारायण शुक्ला भृष्टाचार का नया आयाम लिखने में आमादा - विजय उरमलिया की कलम से

व्यंकटनगर पंचायत में फर्जी राशि का आहरण जारी,सचिव देवनारायण शुक्ला भृष्टाचार का नया आयाम लिखने में आमादा
अनूपपुर - व्यंकटनगर पंचायत का हाल दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे है और फर्जी विलों का भुगतान लगातार सचिव के द्वारा किये जा रहे है,ताजा मामला मुरुम ढुलाई के नाम पर चौदह हजार चार सौ का भुगतान किया गया जब हमने भुगतान प्राप्त करता से बात की तो उनका कहना था मेरा पुराना भुगतान है जबकि सरपंच से हमने बात की तो उनका कहना था कि मुझे बताया गया कि नाली और सड़क के किनारे मुरम डलाई गई जबकि हमने मौके पर जा कर देखा तो एक गाड़ी मुरुम कहीं नही डाली गई,इसी तरह व्यंकटनगर पंचायत में सचिव देवनारायण शुक्ला के द्वारा लगातार फर्जी भुगतान किए जा रहे है जो व्यक्ति काम भी नही किये पंचायतों में उन अपने चहेते लोगों को भी सचिव महोदय के द्वारा भुगतान किए जा रहे है,
मुरुम की नही एक भी खदान
जब जिले में एक भी मुरुम खदान संचालित नही है तो ये मुरुम आई कहाँ से और इसकी रॉयल्टी कहाँ है कुल मिला कर ये कहा जा सकता है कि व्यंकटनगर सचिव एक तरफ जहां फर्जी बिल लगा कर अपने चहेतों को भुगतान कर रहा है तो दूसरी तरफ राजस्व को एक बड़ा नुकसान भी इन महोदय की वजह से हो रहा है,
जनपद जांच के नाम पर शिकायत कर्ताओं को बनाता दबाव
इन सचिव महोदय के भृष्टाचारों की कई शिकायतें जनपद से लेकर सीएम हेल्प लाइन तक हुई है और जनपद के अधिकारी या तो शिकायत कर्ता पर दबाव बना कर शिकायत कटवाने का काम करते है या फिर बिना जांच किये सीएम हेल्प लाइन की शिकायतों को बंद कराने के लिए प्रतिवेदन में लिख देते है कि पंचायत द्वारा शिकायत कर्ता को संतुष्ट कर दिया गया है अतः शिकायत कर्ता की संतुष्टि के आधार पर शिकायत बंद कराने योग्य है अब सवाल यह उठता है जिस सचिव की शिकायत भृष्टाचार को लेकर हुई है आप का काम जांच करना है आपने जांच में क्या पाया आपने क्या जांच किया उसका प्रतिवेदन देना है, पर साबित भृष्टाचारों पर ये जिम्मेदार शिकायत बंद करवाने के लिए सचिव के साथ सांठगांठ कर बिना किसी जांच के झूंठे प्रतिवेदन दे कर शिकायतों को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके चलते भृष्टाचारी सचिव देवनारायण शुक्ला के हौसले और बुलंद हो चले है भृष्टाचार करने के लिए जिसका परिणाम है कि बिना किसी खौफ के ये महाशय भृष्टाचार पर भृष्टाचार किये जा रहा है और इसको रोकने वाला कोई नही इनके कार्यकाल के दौरान जितने भुगतान हुए है उनकी जांच करा लें प्रशासन तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा