पवार के पावर पर एक बार फिर माननीय उच्च न्यायालय ने की टिप्पणी, पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देश मामला गांजे की कार्यवाही में पकड़े गये युवक की गिरफ्तारी का ,,डेस्क- राज नारायण द्विवेदी

पवार के पावर पर एक बार फिर माननीय उच्च न्यायालय ने की टिप्पणी, पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देष
मामला गांजे की कार्यवाही में पकड़े गये युवक की गिरफ्तारी का
जिले के थाना भालूमाडा में पदस्थ निरीक्षक अजय पवार पर एक बार फिर माननीय उच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुये पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देष दिये है। गौरतलब है कि इसके पहले भी उनकी तत्कालीन स्थापना ग्वालियर के मुरार थाना में उनके द्वारा की गई एक कार्यवाही को माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेते हुये जांच के निर्देष दिये थे और उसके पहले सतना जिले के नागौद थाने में भी माननीय न्यायालय के आदेष का पालन न करने के आरोप लगे थे। इस बार जिले के थाना भालूमाडा में एक गांजे की कार्यवाही मंे युवक की गिरफ्तारी पर परिजनो द्वारा माननीय उच्च न्यायालय से जांच की मांग की। तथ्यो व गवाहो के तर्को पर एक बार फिर माननीय उच्च न्यायालय ने जो टिप्पणी की है वह अजय पवार की निष्पक्ष पूर्ण कार्यवाही पर सवाल है।
अनूपपुर। थाना भालूमाडा प्रभारी के द्वारा 27 अक्टूबर को अवैध मादक पदार्थ गांजा जिसका की वजन लगभग 28.5 किलोग्राम बताया गया और मामले में युवक विष्वनाथ शर्मा को पकडते हुये कार्यवाही की गई। इस मामले में विष्वनाथ शर्मा की बहन एवं भाई और पत्नी ने धारा 439 के तहत माननीय उच्च न्यायालय में वाद पेष किया, जिसकी सुनवाई माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजो के आधार पर करते हुये गवाहो के बयान दर्ज किये गये। दायर याचिका मे परिजनो ने बताया कि थाना भालूमाडा प्रभारी के द्वारा विष्वनाथ शर्मा को झूठा फंसाया गया है। उसे 26 अक्टूबर की रात तकरीबन 9 बजे उसके घर से उठा लिया गया। लेकिन थाना प्रभारी द्वारा 27 फरवरी की दोपहर ढाई बजे पकडा जाना बताकर कायमी की गई। प्रस्तुत रिकार्ड व तथ्यो के मद्दे नजर माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीष ने प्रथम दृष्टया आवेदक को झूठा फंसाया जाने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता का उल्लेख करते हुये आवेदक को जमानत पाने का हकदार है।
माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी लिखा
माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की जस्टिस माननीय नंदिता दुबे ने दिये निर्देष में कहा कि इस आदेश को समाप्त करने से पहले, रिकॉर्ड में आए तथ्यों और दस्तावेजों के मद्देनजर, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, यह दूर की कौड़ी है कि आवेदक अगले दिन अपनी गिरफ्तारी की प्रत्याशा में अपने परिवार के सदस्यों को पुलिस कर्मियों को बुलाने के लिए कहेगा। रात में और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करने के लिए। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला इस कोर्ट के सामने आया है। अतः मैं पुलिस अधीक्षक, अनूपपुर को मामले की निष्पक्ष एवं निष्पक्ष जांच-जांच करने का निर्देश देना उचित समझता हूं तथा भालुमदा थाने में पदस्थ दोषी अधिकारियों/पुलिसकर्मियों के विरुद्ध उचित समय पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश देता हूं।
सीएम हेल्पलाइन में बहन ने की थी षिकायत
माननीय उच्च न्यायालय को विष्वनाथ शर्मा की बहन ने बताया कि 26 अक्टूबर की रात को ही अपने भाई के मोबाइल नंबर से पुलिस अधिकारियो को फोन किये गये थे साथ ही सीएम हेल्पलाइन में भी षिकायत दर्ज करायी गयी थी। मामले की सुनवाई के दौरान विद्धान अधिवक्ता के द्वारा 26 व 27 अक्टूबर के सीसीटीवी फुटेज थाना भालूमाडा से मंगाये गये थे जिसके जवाब में सरवर की मरम्मत चलने के कारण सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न होने की जानकारी दी गयी। साथ ही सुश्री रितु शर्मा के द्वारा सीएम हेल्प लाइन में की गई षिकायत को 7 नवंबर को संतुष्टि के आधार पर बंद कर दिया गया, जिसका माननीय न्यायालय में उनके द्वारा खंडन किया गया। और माननीय न्यायालय को बताया गया कि रात 10 बजे जब वह अकेली घर पर थी तब एक पुलिसकर्मी आया और षिकायत वापस लेने की धमकी दी, षिकायत न लेने पर परिवार के सदस्यो को हिरासत में लेने और गंभीर परिणाम भुगतने की भी धमकी दी।