गदगद कर दिया साहब आपने,तस्वीरें मोहन,राजू,संभू के लिए गौरव के पल,आशीष वशिष्ट का अर्थ चरितार्थ करती तस्वीरें - विजय उरमलिया की कलम से

गदगद कर दिया साहब आपने,तस्वीरें मोहन,राजू,संभू के लिए गौरव के पल,आशीष वशिष्ट का अर्थ चरितार्थ करती तस्वीरें
अनूपपुर - लोग अक्सर कहते है हमे सिर्फ और सिर्फ निगेटिविटी दिखती है पर कतई ऐसा नही है हम सच लिखने का प्रयास करते है अब आप उसको किस नजरिये से लेते है आप का विवेक है पर आज हम जो लिख रहे है निश्चिततौर पर सुखद तस्वीर है
और दिख रही तस्वीरों ने आज आशीष वशिष्ट शब्द को चरितार्थ करती दिखी और आज कइयों के नाती पोते आने वाले वर्षों में इन तस्वीरों को देखेंगे तो उनको जो अनुभूति होगी उसका अंदाज लगा पाना हमारे और आप की सोच से परे होगा
इसके लिए तो सबसे पहले आप को इन तस्वीरों के बारे में जान लेना चाहिए मैं किसी व्यक्ति विशेष का नाम लिख कर इन तस्वीरों की गरिमा को कमतर करने का प्रयास नही करूँगा इसलिए ये तस्वीर उन सभी मोहन, राजू,संभू सहित सैकड़ों लोगों की है जो अपने दिलों में अरमान सजोये रहते है कि काश मैं भी साहब से खुल कर बराबर से बात कर पाता आज वो देखने को तो मिला ही पर जो सुकून भरी आंखों से अपनी बातें लोग कह रहे थे और कलेक्टर आशीष वशिष्ट उतने ही दिली करीबी की तरह से उनकी बातों को अपनत्व भरे लहजे में सुन रहे थे जिसके चलते आज उन लोगों के लिए निश्चित तौर पर सुकून भरा पल था जो अक्सर इन कुर्सियों में विराजमान साहबानो के सामने हाँथ जोड़े गिड़गिड़ाते दिखाई देते थे साहब मेरी ये समस्या है पर आज बराबर से पूरे हक के साथ तस्वीरें ऐसा बयाँ कर रही थी कि घर का बुजुर्ग बाप जो अब कुछ कर पाने में असमर्थ है और उसका होनहार बेटा उसकी बात पूरे पुत्र धर्म के साथ सुन रहा है और जब किसी का पुत्र पिता को वो हक देता है जब पुत्र बचपन मे होता है और पिता पूरे हक के साथ बच्चों की हर बात पे हां करता है कुछ ऐसा हाल आज कलेक्टर सभागार का था,साहब ये जो है न बड़े दिलवाले लोग होते है आज जो सुकून इनको मिला उसका अंदाज किसी को हो न हो हमे पूरा है
अनूपपुर कलेक्टर आशीष वशिष्ट नाम ही काफी है पर इसका अर्थ जानना भी जरूरी है आशीष मतलब आशीर्वाद, दया,कृपा और बहादुर तो हम आज यह कह सकते है आप ने राजू,संभू,मोहन जैसे सभी लोगों पर दया कृपा कर बहादुरी का काम किया,अब आप वशिष्ट के बारे में भी जान लीजिए प्रसिद्ध ऋषि,सबसे समृद्ध,प्यारे,सारी सृष्टि और इच्छा के मास्टर आप ने अनूपपुर के इतिहास में इन प्रसिद्धि,सम्रद्धि,प्यार,से सारी सृष्टि को भरने की इक्छा जताई वो काबिलेगौर है और यही है आशीष वशिष्ट
आज नही जब भी इन लोगों के पोते,परपोते इन तस्वीरों को देखेंगे गदगद हो जायेंगे ,
बस आखरी ख्वाइश बस इतनी है ये तस्वीरें महज सोशल मीडिया की शान बन दम न तोड़ने पाये बड़ी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है भार बहोत होगा वगैर विचलित हुए इनकी समस्याओं के साथ निदान करते हुए अपने अधीनस्थों को अपने नाम का अर्थ जरूर समझाइयेगा ताकि लोग जब उनके चेम्बर में जाते है न उम्मीद भरी आशा से ऐसे में उनको दुत्कारा न जाये बस यूं ही प्यार के सफर पर निकालिए विकास यात्रा की जरूरत नही पड़ेगी