अवयस्क बालिका को बहला-फुसलाकर ले जाकर दुष्कृत्य (बलात्कार) करने वाले आरोपीगण को हुआ आजीवन कारावास 
इंदौर जिला लोक अभियोजन अधिकारी  संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 15.03.2023 को माननीय न्यायालय श्रीमती पावस श्रीवास्तसव, पन्द्रहवे अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012), जिला इंदौर ने थाना बाणगंगा के अपराध क्रमांक 185/2019 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी सुमित सोनी, आयु 28 वर्ष एवं प्रदीप यादव, आयु 32 वर्ष निवासी इंदौर को धारा 376-डी भा.द.वि.एवं 5जी सहपठित 6 पॅाक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं 366 भा.द.वि. में 10 वर्ष का सश्रम कारावास 363 भा.द.वि. में 7 वर्ष का सश्रम कारावास कुल 4000-4000 रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण मे अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री संजय मीणा द्वारा की गई।
 नोट:- उक्त प्रकरण में पीडित बालिका को 100000 रुपये की प्रतिकर राशि दिलवाई जाने की अनुशंसा की गई।
अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 15.02.2019 को पीड़िता के भाई ने अपने पिता के साथ थाना बाणगंगा में उपस्थित होकर यह रिपोर्ट दर्ज करवाई कि आज शाम को वह उसकी बहन के साथ कोचिंग पढ़ने गया कोचिंग खत्म होने पर शाम 07:00 बजे अपनी बहन के साथ वापस घर आ रहा था, तभी दो लडके मिले, जिसमें से एक को उसकी बहन पहचानती थी वह बाइक चला रहा था। पीड़िता ने अपने भाई से बोला कि थोडी देर में आ जाएगी। अज्ञात आरोपीगण उसकी बहन को बहला फुसलाकर भगाकर ले गए। इस सूचना के आधार पर पीडिता की गुमशुदगी दर्ज की गई। जांच के दौरान गुमशुदा पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम होना पाए जाने से अज्ञात  व्यक्ति के विरुद्ध थाने के अपराध क्रमांक 185/2019 पर भा.दं.सं की धारा 363 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान पीडिता मोरटक्का में पाई गई। जहाँ ने उसे दस्तयाब कर कथन लिये गये। कथन में उसने बताया कि अभियुक्तगण उसे चाकू दिखाकर अपनी मोटरसाईकिल पर बिठाकर ले गए और ओंकारेश्वर के एक गेस्ट हाउस मे उसके साथ दोनों आरोपियों ने गलत काम किया। उसके बाद उसे नशा कराने की कोशिश करने लगे थे तभी एक व्यक्ति ने उसकी मदद की और उसे मोरटक्का थाने पर छोड़ दिया था। विवेचना दौरान ही पीड़िता का मेडिकल करवाया गया। अभियुक्तगण को गिरफ्तार किया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत पीड़िता के कथनों के आधार पर प्रकरण में धारा 366, 376(3), 376-डी, 506 भा.द.स. एवं धारा 5(जी)/ 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 बढ़ाते हुए अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जिस पर से आरोपीगण को उक्त सजा सुनाई गई।