सर्द हवाओं के बीच आज अमरकंटक मे दिखा अद्भुत दृश्य @रिपोर्ट - अनीश तिगाला

सर्द हवाओं के बीच आज अमरकंटक मे दिखा अद्भुत दृश्य
@रिपोर्ट - अनीश तिगाला
अमरकंटक /
मीराजी का एक मशहूर शेर है कि नगरी नगरी फिरा मुसाफिर घर का रास्ता भूल गया, क्या है तेरा क्या है मेरा अपना पराया भूल गया। घुमक्कड़ी कुछ ऐसी ही करो कि अपना पराया सब कुछ भूल जाओ। ऐसी घुमक्कड़ी आसान नहीं है लेकिन जब आप आवारा होकर भटकने लगते हैं तो उन तमाम जगहों पर जाते हैं जहाँ जाने का आपने सोचा भी नहीं होगा। आवारा होकर घूमने का अपना अलग मजा है। न कहीं जाने की जल्दी, न कुछ देखने की जल्दी। अगर आप ऐसी घुमक्कड़ी करते हैं तो कई खूबसूरत और ऐतहासिक जगहों स रूबरू होते हैं। ऐसी ही एक शानदार जगह है, अमरकंटक। आज 14 दिसंबर को सुबह-सुबह अमरकंटक में सर्द हवाओं के बीच अद्भुत नजारा देखने को मिला|
शीशम, सागौन, साल और शिरीष के घने जंगल, जहाँ सूरज की किरणें धरती तक नहीं पहुँच पाती हैं। चारों तरफ जहाँ तक नजर जाती है हरे-भरे जंगल और दूर तलक ऊँचे-ऊँचे पहाड़ दिखाई देते हैं। ये उत्तराखंड और हिमाचल के किसी जगह की बात नहीं हो रही है। ये है मध्य प्रदेश का खूबसूरत और ऐतहासिक कस्बा अमरकंटक। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाॅर्ड पर स्थित अमरकंटक को धार्मिक नगरी के तौर पर देखा जाता है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि यहाँ सुंदरता पसरी हुई है. मंदिरों के अलावा अमरकंटक में पहाड़, वाटरफॉल और हरियाली भी देखने को मिलती है। आपको एक बार अपनी आंखों से इस जगह को देखना चाहिए।
अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील की छोटी-सी जगह है। जिसके चारों तरफ मैकाल, विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियां हैं। अमरकंटक से ही नर्मदा नदी का उद्गम होता है। इस जगह को नदियों का शहर कहा जाता है। यहाँ से अमरकंटक ही नहीं पांच नदियों का उद्गम होता है। समुद्र तल से 3,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित अमरकंटक अपने चारों तरफ सुंदरता की ओढ़नी बिछाए हुए है। इस जगह का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। इस वजह से अमरकंटक हिन्दू धर्म में एक पवित्र जगह है। इस शहर को तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है। अगर अब तक आपकी बकेट लिस्ट में अमरकंटक नहीं है तो अब जोड़ लीजिए। हर घुमक्कड़ का एक बार तो अमरकंटक जाना बनता है।