पूछती है कोतमा की जनता क्या मिल गई कृषि उपज मंडी की जमीन? सवाल का जवाब तो देना ही होगा सलामत रहे ये दोस्ताना तुम्हारा नगर के हित  पर यारी भारी

अनूपपुर:- आज जिले के कोतमा में एक फेसबुक पोस्ट की खुब चर्चा हो रही है  सबसे पहले आपको उस शानदार जानदार दोस्ती और यारी की उस कथित पोस्ट के बारे में बताते है वह पोस्ट किसी और की नहीं अनूपपुर जिले से हाल ही में शुरू हुए एक दैनिक अखबार के स्थानीय सम्पधक के फेसबुक आईडी से पोस्ट की गई है तो लीजिये यह पोस्ट भी पढ़ लीजिये "कुछ गलतफहमिया हम दोनों के बीच में थी हमने आपस में बैठकर उसको सुलझा लिया है मिंटू मेरा पारिवारिक सदस्य है मैं उसका बड़ा भाई हूं और जो लोग गलत समझ रहे हो वह अपना भ्रम दूर करें हमारे बीच में दूरियां कभी थी ही नहीं यदि कुछ था तो प्यार जो हमेशा रहेगा....."मेरे भाई मेरे चलते यदि तेरे दिल को कहीं ठेस लगी हो या दिल दुखा हो तो sorry dear

 

सलामत रहे रहे दोस्ताना तुम्हारा:-

 

अनूपपुर जिले के एक दैनिक अखबार के स्थानीय संपादक की इस पोस्ट पर तमाम फेसबुक यूजरों ने उसे अखबार के कार्यकारी संपादक सहित अन्य लोगों ने भी इस दोस्ताना को लेकर के शुभकामनाएं दी सब ने कहा कि सलामत रहे यह दोस्ताना उनकी समझदारी की भी तारीफ करते दिख रहे हैं परंतु यह सवाल तो उठाता है कि क्या दोस्ती के भेंट कृषि उपज मंडी की जमीन चढ़ जाएगी क्योंकि इसी फेसबुक आईडी से तीन दिन पहले एक पोस्ट और डाली थी और वह यह पोस्ट यह कहती है कि 40 साल भी हो जाए पर फ़ाइल नही बंद होती , एक पोस्ट और दीजिए जिसमें यह लिखा गया था कि अगर असंवैधानिक तरीके से बना पट्टा  तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे अब आप ये बताए कि मंडी की गुमी हुई जमीन मिलेगी की नही या आपके सुदामा कृष्ण जैसे दोस्ती के भेंट चढ़ गई या अपने तंदूल के कुछ चावल खा करके उसे वह जमीन दान कर दिया जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के हाथ के तंदुल के चावल खाकर दो मुट्ठी में दो लोक दान कर दिया था

क्या हुआ समझौता सभी को जानने का हक़ है:-

 

इसी फेसबुक पोस्ट में समझौता होने का जिक्र है तो कथित कृषि उपज मंडी जमीन के मामले में कोतमा की जनता को सच जानने का अधिकार है क्योंकि बात कोतमा के भविष्य की है कृषि उपज मंडी की है उनाला हजारों किसानों की है जिनकी कमाई उसे जमीन में अपने अनाज बेच करके होती थी आपकी दोस्ती आपको मुबारक आपका याराना लैला मजनू सीधी फरहत सोनी महिवाल जैसे परवान चढ़े इतिहास में दर्ज हो लोग उसके कसीदे गढ़े परंतु लोगों को यह तो बता दीजिए कि आप दोनों दोस्तों के बीच हुए समझौते में कृषि उपज मंडी की जमीन कहां गई यह सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि संपादक जी के कथित प्यारे दोस्त ने कुछ दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेंस करके बताया था कि वह कृषि उपज मंडी की जमीन नहीं मेरे बारे में खबर लिखी जा रही है और मैं कानूनी नोटिस भेजूंगा यह कोतमा की जनता को जानने का हक है कि क्या समझौता हुआ है क्या विवाद था जो सुलझा लिया गया है कृषि उपज मंडी के जमीन का मुद्दा आखिर किसी अंदरूनी समझौते के तहत रफा दफा कर दिया गया यह कोतमा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हैl यहां पर यह बता दिया जाए की अनूपपुर जिले से प्रकाशित एक अखबार में लगातार कई दिनों तक कृषि उपज मंडी समिति की जमीन का पता लगाने की कोशिश की और यही नहीं उसे जमीन पर बने सेठो के मकान का भी उल्लेख किया था l यह मुद्दा जोर पकड़ ही रहा था कि एक व्यवसायी ने आनन फानन में उक्त अखबार के संपादक और खबर लिखने वाले स्थानीय  संपादक को अपने वकील के माध्यम से  नोटिस थमा दी l वो भी एक करोड़ की  नोटिस मिलने के बाद बौखलाई उक्त अखबार के रिपोर्टरों ने लापता हुई जमीन की खोज पर निकलने की जगह समझौते के लिए जगह तलाश में लगे और बाद में अपने फेसबुक अकाउंट से उक्त पत्रकार ने गलती मानते हुए जिसके ऊपर आरोप लगा रहे थे  उसको अपना भाई मान लियाl फेसबुक पर पोस्ट आने के बाद कोतमा की जनता की समझ में यह नहीं आ रहा है कि जो लोग 3 दिन 4 दिन से लापता किसी उपज मंडी समिति की जमीन खोज रहे थे वह अब फेसबुक पर भाई-भाई का नारा लगा रहे हैं ऐसा कौन सा कारण है की उनको अब भाईचारे की याद आ गई क्या नोटिस का डर उक्त व्यवसाय के पास फोन पे की पड़ी स्क्रीनशॉट जिसे वह घूम-घूम कर दिखाते हुए यह कहते नहीं थक रहा था कि मैं उक्त मदद उनकी उसे समय की थी जब उनके पास कोई चारा नहीं था फिलहाल मामला जो भी हो अंदर खाने क्या तय हुआ यह वही जाने लेकिन तय है कि कोतमा की जनता इस सवाल को अब उक्त अखबार के प्रबंधन से लेकर संपादक तक से पूछना चाहती है कि क्या जमीन मिल गई या जमीन के बदले उन्हें कुछ भी और मिला जो भी है जनता के सामने स्पष्ट होना चाहिए

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