महिलाओं, किसानों के हक को कुचलने की तैयारी, प्राईवेट कंपनी का खजाना भरने आया सरदार
आमाडांड खुली खदान में कुछ नया करने आये जीएम
इन्ट्रो-आमाडांड खुली खदान एक बार फिर सुर्खियों और चर्चा में है। कई बार की बैठक के बाद भी साल भर से अनषन पर बैठी महिलाओं और किसानों की आवाज को दबाने के लिये कोल इण्डिया कंपनी के तरफ से जमुना/कोतमा कालरी क्षेत्र का जीएम बनाकर सरदार मदान को भेजा गया है। सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार खुली खदान आमाडांड का काम करने वाली प्राईवेट कोयला कंपनी डीबीएल से एक बडा सौदा करके कोतमा कालरी आये सरदार हरजीत सिंह मदान ने खदान को चालू करने के लिये अब पुलिस के बूटो का सहारा लेने की नयी रणनीति बनाई है, जो इस समय चर्चा का विषय है।
अनूपपुर। जिले के आमडांड क्षेत्र के एक सौ पच्चीस हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करके खुली खदान संचालित करने वाली एसईसीएल कंपनी के लिये आमाडांड की खुली खदान शुरू होने से लेकर अब तक चर्चा और विवाद में बनी रही। अधिग्रहण के समय नियम कानून के तहत गरीब किसान परिवारों को नौकरी देने को लेकर छिडे विवाद में पी-6 की खदान जहां वर्षो से बंद है। वहीं पी-7 को चालू करने के लिये एसईसीएल को किसान और अनषनरत महिलाएं सबसे बडी चुनौती बन गई है। लेकिन बताया जाता है कि अब इस खदान की संचालन करने वाली प्राईवेट कंपनी डीबीएल ने एसईसीएल के बिलासपुर मुख्यालय से सरदार हरजीत सिंह मदान को कोतमा कालरी क्षेत्र का नया जीएम बनाया गया है, जिनके ऊपर आमाडांड क्षेत्र की खदान को चालू करने की विषेष भूमिका के लिये भेजा गया है। सूत्रो का कहना है कि कई बैठको के बाद भी किसानों को संतुष्ट करने में असफल रहने के बाद अब पुलिस और प्रषासन के दम पर वहां से उन्हंे हटाने की नई रणनीति तैयार की जा रही है।
पेट के सवाल पर भी हेरा-फेरी करके माला-माल (फोटो क्रमांक 02)
इस देष के किसान अन्न्ादाता माने जाते हैं और देष के प्रधानमंत्री तो किसानों के हितो के लिये हर संभव प्रयास हर समय करते दिखते है। परंतु जिले के आमाडांड क्षेत्र में साल भर से खुले आसमान के नीचे धूप, बारिष और सर्दी में बैठी महिलाएं एवं किसानों की फरियाद किसी के भी कानो पर नही गंूज रही है। यही कारण है कि एसईसीएल कंपनी के कई बार बदलते नियम कानून के कारण अपना खेत गंवाने के बाद नौकरी भी गंवा बैठे क्षेत्र के लोगो में आज भूखे पेट होने का डर उनकी आंखो में देखा जा सकता है। यहां पर मौजूद हरिभजन की पत्नी ने रोते हुये बताया कि उसके खेत को गड्ढा बना दिया गया और उसको एक रूपये का मुआवजा तक नही मिला। सबको साथ सबको विकास वाली इस सरकार में यह कितना बडा अन्याय है यह तो नही पता। परंतु यह तय है कि इससे कई परिवार के भूखे पेट होने का डर है।
पुलिस एसईसीएल में कुछ तो खिचड़ी पक रही (फोटो क्रमांक 03)
यहां पर यह बता दिया जाये कि एसईसीएल की आमाडांड खुली खदान को चालू कराने के लिये पुलिस और प्रषासन के अधिकारियों ने जी तोड मेहनत की है। यह अलग है कि इस मेहनत का परिणाम भले ही कुछ न निकला हो लेकिन यह तय है कि इस क्षेत्र में आज जो शांति है उससे प्रषासन और पुलिस की सूझ-बूझ और मानवता भरा निर्णय की सराहना भी की जा सकती है। परंतु इधर कुछ गडबड सा लग रहा है, जिस तरह से इस पूरे प्रकरण से एसडीओपी कोतमा को हटाकर एका-एक अनूपपुर एसडीओपी सुश्री कीर्ति बघेल को यहां की कमान सौंपी गई है और कलेक्ट्रेट से हटकर नये सर्किट हाउस में एसईसीएल के बडे अधिकारियों के साथ पुलिस प्रषासन के संभाग के बडे अधिकारियों के मौजूदगी में हुई बैठक के बाद एका-एक एसईसीएल के अधिकारियों का आमाडांड अनषन स्थल पर सरगर्मियां बढ गई है, जो किसी आने वाले बडे संकेत का संदेष दे रही है।
कई ऐसे सवाल जिसका जवाब जनता को देना होगा (फोटो क्रमांक 04)
यहां पर यह बता दिया जाये कि पी-6 और पी-7 दो भागो में विभाजित इस खुली खदान में नौकरियां देने के नाम पर जिस तरह से कई तरह के विवाद निकलकर सामने आ रहे हैं। एक ही भाई पात्र और एक ही भाई अपात्र किस नियम कानून के तहत किये गये इसका सटीक जवाब किसी के पास नही है। यही नही अपने ही नियम कानून को अपने ही फायदे के लिये बदलने वाली इस कंपनी के आलाधिकारी बैठक पर बैठक कर रहे हैं। परंतु उनके पास मीडिया से पूछे गये सवालो का जवाब देने के लिये समय नही है, लेकिन यह सच है कि अपनी कमियों को छुपाने की जगह उसका जवाब जनता को देना होगा।