जंगली हाथी की हत्या कर उसके शव को जलाने की खबर से क्षेत्र में सनसनी

जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनभर गांव के ग्रामीणों में हैं भय का माहौल
जंगली हाथी की हत्या कर उसके शव को जलाने की खबर से क्षेत्र में सनसनी
बंघवगढ़। दुनिया भर में बाघ दर्शन के लिए मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की मौजूदगी से जहां जंगल और बांधवगढ़ की सीमा से लगे सैकड़ों गांव के किसानों की फसलें तबाह है। इसके अलावा जंगली हाथी मानव को भी अपना शिकार बना रहे हैं। जिसके चलते बांधवगढ़ के बफर क्षेत्र में हाथी और मानव द्वंद के साथ शिकार आहट भी शुरू हो गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पनपथा बफर क्षेत्र अंतर्गत सोन नदी के उस पार शहडोल जिले की सीमा और नदी के इस पार के एरिया में जंगली हाथियों के रहे वास का क्षेत्र बन चुका है वही लगातार जंगली हाथियों के उत्पात से दर्जनभर गांव के ग्रामीण परेशान है ग्रामीणों की ना तो फसलें बच पा रही हैं और ना ही उनकी मकान बस पा रहे हैं जंगली हाथियों के द्वारा फसलें तो तबाह की जाती है ग्रामीणों को घरों को भी ढहा दिया जाता है इतना ही नहीं उनके सामने कोई मनुष्य आ गया तो समझो उसकी मौत निश्चित है जंगली हाथियों के द्वारा शहडोल जिले के जयसिंह नगर क्षेत्र और ब्यौहारी क्षेत्र में जंगली हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया है। जिससे त्रस्त होकर मानव भी अब जंगली हाथियों को एक दुश्मन की नजर से देख रहा है।
जानकारी के मुताबिक बीते 10 दिवस से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और वन विभाग को लगी किसी बड़ी सुगबुगाहट से बेचैन है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा क्षेत्र अंतर्गत शहडोल जिले के ग्राम छतवा के पास जमुनिया बीट में एक जंगली हाथी की हत्या कर उसके शव को जला दिया गया की सूचना मिली है। जिसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और वन विभाग के कान खड़े हो गए हैं। बीते कुछ दिनों से लगातार विभाग का अमला उसकी जांच में जुटा है। विभाग के द्वारा डॉग स्क्वायड की भी मदद ली जा रही है और यह पता लगाने के प्रयास में है कि आखिर हाथी की मौत कैसे हुई है। विभाग की लगातार सर्चिंग से फिलहाल तस्वीरें साफ नहीं हो पाई है।लेकिन यह हाथी और मानव द्वंद की आहट के साथ शिकार और तश्करी जरूर मानी जा रही है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन और वन विभाग की संयुक्त जांच पड़ताल से यह बात साबित हो चुकी है की पनपथा के बफर क्षेत्र में एक हाथी को मारकर उसे जला दिया गया है। मौके से मिले अवशेष इस बात को जाहिर करते हैं कि हाथी की मौत हुई है और सबूत मिटाने उसे जला दिया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि इतने बड़े जानवर हाथी को कैसे मारा गया होगा और सबूत मिटाने के लिए किस तरीके से और कैसे जलाया गया होगा। इस बीच क्या विभाग और बांधवगढ़ प्रबंधन को जरा भी भनक नहीं लगी? या फिर बांधवगढ़ का अमला और वन विभाग जंगली जानवरों की सर्चिंग नहीं कर रहा है और ना ही जंगली हाथियों की मूवमेंट की जानकारी रख रहा है।
बीते महीने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा एक जानकारी दी जा रही थी किसी एरिया में एक जंगली हाथी बीमार अवस्था में मिला है इसके बाद वन विभाग के द्वारा बाद में यह भी बताया गया कि हाथी का इलाज कर उसे ठीक कर लिया गया है और हाथी ठीक होने के बाद अपने झुंड में लौट गया है। लेकिन इस बात पर किसी को भरोसा अब होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि जिस एरिया में हाथी बीमार अवस्था में वन विभाग को मिला था उसी एरिया में अब जले हुए हाथी के अवशेष मिल रहे हैं। लगभग डेढ़ से 2 महीने बीतने के बाद भी वन विभाग और बांधवगढ़ प्रबंधन को इतने बड़े जानवर को मार कर जला दिया गया और विभाग को इसकी जानकारी कैसे नहीं है। या फिर बीमार हाथी की मौत हो गई होगी और इस मौत को छिपाने प्रबंधन और आसपास के लोगों की मदद से हाथी के शव को जला दिया गया होगा।
इस पूरे मामले में एक ही बात समझ आती है वह यह है कि बीते कुछ सालों से शहडोल जिले का कुछ एरिया और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का यह बफर क्षेत्र में जंगली हाथियों की आवाजाही और रहवास का क्षेत्र बन गया है। इस दौरान हाथियों ने इस पूरे क्षेत्र में जमकर उत्पात मचाया है इसके अलावा यहां पर शिकारियों के भी होने का अंदेशा जताया जाता रहा शिकारियों के द्वारा कई बार जंगली जानवरों का शिकार कर तस्करी आदि करने की जानकारी जानकारी आते रही है लेकिन हाथी जैसाा भरी भरकम जानवर को मारने का या शिकार करने का यह पहला मामला है।
पूरे मध्यप्रदेश में हाथी को मारने या शिकार करने का इसके पहले कभी भी कोई मामला नहीं है। हाथी की मौत की दो ही वजह जान पड़ती है,पहली यह कि इस पूरे क्षेत्र में जंगली हाथियों से जनजीवन पूरी तरीके से प्रभावित है। जंगली हाथियों ने कई मानव की भी जान ली है इस कारण इस क्षेत्र के ग्रामीण जहरखुरानी से हाथी को मारने की संभावना है। वहीं शिकारी भी शिकार के उद्देश्य और हाथी के पार्ट्स को तस्करी करने के लिए भी हाथी का शिकार किया जा सकता है। लेकिन बड़ा सवाल यह कि इतने बड़े भारी भरकम जानवर को मारना और उसे दफन कर देना और महीनों बीतने के बाद भी वन विभाग और बांधवगढ़ प्रबंधन को इसकी जानकारी ना होना बड़े सवाल खड़ा करता है।