मकर संक्रांति का मुख्य त्योहार 15 जनवरी को-ज्योतिषाचार्य अखिलेष त्रिपाठी

मकर संक्रांति का मुख्य त्योहार 15 जनवरी को-ज्योतिषाचार्य अखिलेष त्रिपाठी
अनूपपुर। इस साल मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज है। कोई 14 जनवरी की मकर संक्रांति बता रहा है तो कोई 15 जनवरी को इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी से जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व किस दिन मनाया जाएगा। हिंदू सनातन धर्म में मकर संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को कई नामों से जाना जाता है, जैसे उत्तरायण, पोंगल, खिचड़ी, आदि। इस साल मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज हैं, कोई 14 जनवरी की मकर संक्रांति बता रहा है तो कोई 15 जनवरी को इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी से जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व किस दिन मनाया जाएगा। साथ ही मकर संक्रांति पर शनि और राहु के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय भी जानते हैं। ज्योतिषविद के मुताबिक, इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य ग्रह 14 जनवरी दिन शनिवार को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए रविवार, 15 जनवरी को सुबह उदिया तिथि में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य ने आगे बताया कि यह पर्व 15 जनवरी को पूरे दिन मान्य होगा। दोपहर तक का समय स्नान, दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा।
मकर संक्रांति पर राहु-शनि दोष से बचने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना जाता है। शनि दोष से निवृत्ति के लिए मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल की खिचड़ी अवश्य दान करें। ऐसा करने से निश्चित ही शनि दोष दूर होता है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन तिल का भी दान कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि तिल के दान से भी शनि दोष दूर होता है।
क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति
पिता और पुत्र के आपसी मतभेद को दूर करने और अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए सूर्य इस दिन शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। तब से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही बाणों की सज्जा पर लेटे भीष्म पितामह ने अपना देह त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति की थी।