अंधेर विभाग चैपट अधिकारी कूड़े में फेंक दिये सारे नियम सरकारी (पार्ट 4) डीएफओ लोकनाथ आपने फिर कर दिया तीन बच्चों को अनाथ, आदमखोर तेंदुआ अब तक ले चुका है पांच लोगांे की जान @नयन दत्ता

अंधेर विभाग चैपट अधिकारी कूड़े में फेंक दिये सारे नियम सरकारी (पार्ट 4)
डीएफओ लोकनाथ आपने फिर कर दिया तीन बच्चों को अनाथ, आदमखोर तेंदुआ अब तक ले चुका है पांच लोगांे की जान
(नयन दत्ता)
इट्रोः- शायद लगता है सर्वोच्च सत्ता के डीएफओ लोक नाथ पटेल से सवाल उनको परेशान कर सकते थे क्योंकि सवाल हमारे थे उन गरीब आदिवासियों के तरफ से जैसे मध्य प्रदेश में तेंदुए के हमले में मारे गये मृतक को मुआवजा 8 लाख मिला था तो छत्तीसगढ़ में सिर्फ 25 हजार क्यों? जब तेंदुआ आदमखोर साबित हो चूका है तो क्यों कांकेर से विशेषज्ञ टीम से ये बयान दिलवाया गया की तेंदुआ मादा है और अपने बच्चों के साथ दूर चली गईं है।?
जनकपुर। रामदवन बैगा एक छोटी सी सरकारी जमीन में घर बना कर दैनिक रोजी मजदूरी करके अपना और अपने तीन बच्चों के परिवार का गुजर बसर करता था।नौढ़िया ग्राम पंचायत की मनरेगा रजिस्टर में मजदूर के तौर पर उसका नाम दर्ज है। अपने घर के पीछे छोटी सी सरकारी जमीन में लगाएं अरहर की फसल को कल शाम को देखने गया था मगर उसी दौरान आदमखोर तेंदुआ ने उसपर हमला कर मार डाला।ये तेंदुआ जनकपुर और कुंवारपुर वन परिक्षेत्र में घूम घूम कर आतंक मचा रहा है अभी शुक्रवार की रात को जनकपुर शहर से लगे एक घर से बछिया को मारकर खा गया था।आमतौर पर जंगली जानवर पालतू पशुओं या इंसानों पर हमला तभी करते है जब वो जंगल में शिकार करने में असमर्थ हो जाये। मगर इस आदमखोर तेंदुए की गतिविधियों से ऐसा नहीं लगता की ये शारीरिक रूप से अशक्त हो गया हो। छत्तीसगढ़ का वन विभाग या यूँ कहें मनेन्द्रगढ़ वन मण्डल के सबसे बड़े अधिकारी लोक नाथ पटेल क्थ्व् ने इस मामले को इतना गंभीरता से लिया की उन्होंने आदमखोर को पकड़ने की बजाय मीडिया मैनेजमेंट करवा दिया। कल यानी रविवार के स्थानीय समाचार पत्रों में यह खबर छपवा दी की हमलावर तेंदुआ आदमखोर नहीं है बल्कि एक मादा है जो अपने बच्चों को लेकर भोजन के लिए भटक रही है और अब दूर चली गईं है। ये खबर क्थ्व् के द्वारा बुलाई गयी एक विशेषज्ञ टीम के हवाले से बताई गईं जो कांकेर से आया था। खैर उनका जं और कं तो अच्छा खासा बन गया मगर लोकनाथ पटेल के इस झूठ के ढिंढोरे ने एक गरीब आदिवासी की जान ले ली और उसके तीन बच्चे अनाथ हो गये।लोकनाथ पटेल अपनी जिम्मेदारी से बचते हुये मौके से गायब हैं और प्रभारी रेंजर सबको मैनेज करने में लगे हुये है। समाचार लिखें जाने तक गाँव वालो और परिवार जनों ने 25000 रु का मुआवजा लेने से मना कर दिया है और नौढ़िया ग्राम के ग्रामीणों ने पास के है अरहर के खेत में आदमखोर तेंदुआ को घेर रखा है। वहीँ वन संरक्षक अंबिकापुर से जनकपुर पहुंच रहें है। मगर अब भी तेंदुए को लेकर किसी प्रकार की पुख्ता योजना नहीं तैयार की गईं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जनकपुर में रामदवन की लाश रखी हुई है ग्राम वासी तेंदुए को मारने या पकड़ने के किसी भी फैसले के पहले लाश को हाथ लगाने से मना कर रहें है। सर्वोच्च सत्ता पिछले दिनों इस आदमखोर के ताजा हमले के ठीक पहले जब दुबारा क्थ्व् लोक नाथ पटेल से इस तेंदुए को पकड़ने की क्या योजना है इस सम्बन्ध में जानने के लिए वन मंडल कार्यालय मनेन्द्रगढ़ गईं थीं तो क्थ्व् साहब दूसरे दरवाजे से सवालों का बिना जवाब दिये निकल गये थे।
किसके दवाब में यह घोषणा की गईं की जनकपुर वनपरिक्षेत्र में तेंदुआ विचरण नहीं कर रहा है?
अब तक पगमार्क की वैज्ञानिक पद्धति से क्यों तेंदुआ की ट्रैकिंग नहीं की गईं?
इन सवालों का जवाब देना डीएफओ पटेल साहब के लिए आसान नहीं था उनके लिए आसान होता है सिर्फ 25 हजार रूपए मुआवजा देना। इसलिए सर्वोच्च सत्ता डंके की चोट पर लिख रहा है की डीएफओ लोकनाथ पटेल ही इन सब लोगों की तेंदुए के हमले में मौत के जिम्मेदार हैं। आम आदमी पार्टी के मनेन्द्रगढ़ जिला अध्यक्ष रामाशंकर मिश्रा ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि वन विभाग के अधिकारीयों कि नजर में आदिवासियों की जान की कीमत कुछ भी नहीं हैं इन अधिकारीयों की नजर में जंगल की लकड़ियाँ और वन सम्पदा ज्यादा कीमती है।आम आदमी पार्टी आदमखोर तेंदुए के हमले में मारे गये लोगों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए और रोजगार के लिए शीघ्र ही आंदोलन करेगी।