यक्ष प्रश्न-चैपट विभाग के अंधेर मचाये अधिकारी से 
पिंजरे में कैद तेंदुआ ही आदमखोर तेंदुआ है आखिर इसका परीक्षण क्यों नहीं कराया जा रहा?
(नयन दत्ता)
मनेन्द्रगढ़। अंततः मनेन्द्रगढ़ वन मण्डल की आँख की किरकिरी बने जनकपुर क्षेत्र में आतंक के पर्याय तेंदुआ को पकड़ लिया गया। जनकपुर क्षेत्र में नौढ़िया पंचायत के पास वन संरक्षक अंबिकापुर के निर्देशन में तीन जगह पिंजरा लगाकर रखने के बाद तेंदुआ पकड़ में आया। जिसके पकडे जाने से क्षेत्र में काफी राहत का माहौल है। मगर वास्तविकता तो यह है कि पकड़ा गया तेंदुआ मादा है और यही तथ्य सारे प्रश्न खड़ा कर रहा है। क्या यह सच में वही आदमखोर तेंदुआ है जिसने क्षेत्र में 3 लोगों को मार दिया है? या फिर जनकपुर क्षेत्र के ग्रामीणों के दवाब में रखें पिंजरे में कोई और निर्दोष तेंदुआ पकड़ा गया है जिसे दिखाकर शब्बाशी लूटी जा रही है।
अािखर क्यों नहीं एकत्र की गई जानकारी
सर्वोच्च सत्ता अपनी रिपोर्टिंग में पहले दिन से लिख रही है की ये आदमखोर तेंदुआ सीमावर्ती मध्यप्रदेश में पिछले साल नवंबर में लोगों को मारने के बाद वहां  पिंजरे में फंसा तेंदुआ है जिसे मध्यप्रदेश के वन विभाग ने संजय गाँधी नेशनल पार्क के घने जंगलो में छोड़ दिया था। उसी नेशनल पार्क से लगा हुआ छत्तीसगढ़ का इलाका गुरु घासी दास नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता है जिसकी सीमाएँ जनकपुर भरतपुर जनपद से लगी हुई हैं तो ये स्वाभाविक सी बात है कि ये वही आदमखोर तेंदुआ है जिसने अपनी प्रवृति के चलते कुंवारपुर और जनकपुर क्षेत्र में तीन लोगों को मार दिया और एक बालक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था मगर वन मंडल मनेन्द्रगढ़ और इसके अधिकारी इस बात को मानने से शुरू से इंकार कर रहें है क्योंकि इस तथ्य को मानने से उनकी लापरवाही सामने आ जाएगी कि क्यों आदमखोर तेंदुए की सही ट्रैकिंग नहीं कि गईं। क्यों वन विभाग मध्यप्रदेश से संपर्क कर उस तेंदुए के बारे में जानकारी नहीं एकत्र की गईं।
वन विभाग के रवैये से किसी बड़े हादसे की आशंका
दरअसल शुरू से ही आदमखोर तेंदुए को ट्रैकिंग और पकड़ने की मुहीम बहुत ढीलेढाले तरीके से चल रही थीं। आदमखोर तेंदुआ जब जनकपुर जैसे घने मानवीय बसाहट के आसपास हमले करने लगा तब जाकर जनता के दवाब में वनविभाग के रायपुर और अंबिकापुर बैठे बड़े अधिकारी सक्रिय हुये और पालतू हाथी, स्नीफर डाग, ड्रोन कैमरा की मदद से तीन पिंजरो को सेटकर रखा जहां बुधवार की सुबह एक पिंजरे में मादा तेंदुआ फंसी मिली। सर्वोच्च सत्ता को वन विभाग के सूत्रों का कहना है की ये वहीँ आदमखोर तेंदुआ है यह कहना जल्दबाजी होगी। और यही सबसे बड़ा डर का कारण है की आदमखोर तेंदुआ अगर अभी भी खुले में घूम रहा है तो वो फिर किसी पर भी हमला कर सकता है। और अगर ऐसा दुर्भाग्यवश हुआ तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
लोगों में भय का माहौल
यक्ष प्रश्न अभी भी निरुत्तर है डीएफओ वन मण्डल मनेन्द्रगढ़ लोकनाथ पटेल छणिक राहत और जनकपुर क्षेत्र में बढ़ते जन दवाब में एक निरीह मुक जानवर को जो भूख के चलते पिंजरे में फस गया तो पकड़ सकते है मगर वो वही आदमखोर तेंदुआ है इसका परीक्षण क्यों नहीं करवा रहें है। इसे साबित कर वन मंडल मनेन्द्रगढ़ की खोयी साख को वापस क्यों नहीं लौटा लेते? और हमेशा की तरह जब सर्वोच्च सत्ता इस सवाल का जवाब जानने वनमंडल कार्यालय मनेन्द्रगढ़ पहुंची तो लोकनाथ पटेल सर्वोच्च सत्ता के इस प्रश्न का उत्तर दिये बिना फिर अपने कार्यालय के दूसरे दरवाजे से बाहर निकल गये। पगमार्क ट्रैकिंग डीएनए टेस्ट सैंपलिंग कुछ भी प्रक्रिया इस आदमखोर तेंदुए को पकड़ने में वन मंडल मनेन्द्रगढ़ के द्वारा नहीं अपनायी गईं और यही बात सबसे बड़े डर का कारण बन रही है। कोई भी पत्रकार कभी भी अपनी लिखी हुई लाइनों को झूठा नहीं कहता है मगर इस लाइन को लिखने के साथ सर्वोच्च सत्ता ईश्वर से यह प्रार्थना करती है कि हमारी आगे लिखी यह बात झूठी साबित हो कि अब भी आदमखोर तेंदुआ जनकपुर भरतपुर के जंगलों में घूम रहा है।