मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका में स्वच्छ भारत मिशन के जरिये शहर के लोगों की जान खतरे में
शहर भर के रोज के कचरे से निजात पाने के लिए मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका ने शुरू की जानलेवा लापरवाही, अगर महामारी फैली तो कौन होगा जिम्मेदार
इंट्रोः- कोयलांचल क्षेत्र के पवित्रतम स्थल सिद्ध बाबा मंदिर के आसपास का माहौल प्रदूषित होना शुरू। बायोमेडिकल वेस्ट का डंपिंग जोन बना सिद्ध बाबा से लगा वन क्षेत्र। क्षेत्र के सारे पहाड़ी नाले सिद्ध बाबा पहाड़ियों से निकलते हैं जो आगे जाकर हसदेव नदी में मिलते हैं। जब मेडिकल कचरा धीरे धीरे नालो के जरिये हसदेव नदी तक पहुँचेगा तब वो दूषित पानी मनेन्द्रगढ़ और कोयलांचल के घर घर पहुँचेगा तब कल्पना कीजिये क्या होगा।
मनेन्द्रगढ़। लगता है मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका में छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के नियम लागू नहीं होते हैं। केंद्र सरकार की ओर से चलायी जाने वाली योजना स्वच्छ भारत मिशन और छत्तीसगढ़ सरकार की मिशन क्लीन सिटी योजना की राशि तो नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ में आ रही है एसएलआरएम सेंटर भी नगर पालिका क्षेत्र में संचालित हो रहें हैं।जिनका मुख्य कार्य डोर टू डोर कचरा संग्रहण करके एसएलआरएम  सेंटर में छंटाई करके रिसीकलिंग करना और बायोखाद का निर्माण कर बेचना है ताकी वहां काम कर रही महिलाओ को रोजगार के साथ समय पर एक आय हो सकें। और जिस कचरे का निष्पादन ना हो सकें उसे गड्ढा खोद कर किसी निर्जन जगह में गाड़ दिया जाये ताकी जहरीले कचरे से किसी भी जनजीवन को हानि ना पहुँच सकें।मगर  नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ ने इस तरह के कचरे से निजात पाने का और स्वच्छ भारत मिशन मद में आयी राशि हड़पने का गजब तरीका निकाला है। पवित्रतम सिद्ध बाबा मंदिर परिक्षेत्र के पास के जंगल में जो की राष्ट्रीय राजमार्ग से लगा हुआ है जहाँ भविष्य में पर्यटन की दृष्टि से कुछ विकास कार्य हो सकते हैं  वहीँ पर खुले आम शहर भर के कचरे को फेका जा रहा है। जो की भविष्य में कोयलांचल  क्षेत्र की जनता के लिए जानलेवा साबित होगा।
आश्चर्य की बात है की मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका के पास राजस्व विभाग से आबंटित खुद की जमीन है जहाँ पर यह कचरा पूरी तरह से निष्पादित हो सकता है मगर नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ ने यह लापरवाही किसके कहने से शुरू की यह खुलकर सामने नहीं आया है।अब सवाल यह है की नगर के एसएलआरएम सेंटरो में फिर क्या हो रहा है। सर्वोच्च सत्ता ने स्वयं दो सेंटरो का दौरा किया जहां मौहरपारा वाला सेंटर दिन के 11ः30 बंद मिला और नदीपार अहमद कॉलोनी वाले सेंटर में बायोखाद बन रहा था।
ख्नगरपालिका के अधिकारीयों के सांठगांठ से मनेन्द्रगढ़ के अस्पताल और नर्सिंग होम का दूषित कचरा फेंका जा रहा है
सर्वोच्च सत्ता ने जब सिद्धबाबा क्षेत्र के पास अघोषित डम्पीग जोन का दौरा किया तो वहां की हालात चैकाने वाली थीं। चारों तरफ बायोमेडिकल वेस्ट यानी नर्सिंग होम और अस्पतालों से निकला खतरनाक कचरा फैला हुआ था। ये कचरा इतना खतरनाक है की इससे हमेशा बीमारी फैल सकती है इन कचरों को निष्पादित करने के लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए अलग गाइडलाइन है। हर अस्पताल और नर्सिंग होम में इस तरह का कचरा इनसिनरेटर (बिजली से चलने वाली एक तरह की भट्टी) के जरिये जलाया जाता है। मगर नगर का दुर्भाग्य देखिये की जिला मुख्यालय होने के बावजूद केंद्रीय चिकित्सालय को छोड़कर कहीं भी इनसिनरेटर नहीं लगा है। अब सवाल यह भी लाजमी है की बिना बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के नगर में चल रहे नर्सिंगहोम और अस्पताल को अनुमति कैसे मिली।हाईवे से सटे वन विभाग की जमीन में किसने नगरपालिका को अनुमति दी कचरा खुले आम फेंकने की? क्या नगरपालिका के अधिकारीयों की नर्सिंग होम और अस्पतालों से मिलीभगत या लेनदेन के जरिये बायोमेडिकल कचरा
जलाने की बजाय खुले में फेंका जा रहा है। क्योंकि खुले में यूँ ही बायोमेडिकल कचरा फेंकने से कचरा निष्पादन के मद में आयी राशि हड़पी जा सकती है तो कौन है वो अधिकारी जिसे इतनी ज्यादा पैसों की लालच है की पुरे शहर और कोयलांचल की जान जोखिम में डाल रहा है। जानलेवा कोरोना के दो दो लहरों के बाद इस तरह की लापरवाही सभी के घातक साबित होगी। मनेन्द्रगढ़ के 100 बिस्तरों के शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जानकारी मिली की इस अस्पताल का सारा बायोमेडिकल कचरा उठाना नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ की जिम्मेदारी हैं। तो बजाय इसका उचित निष्पादन करने के किसकी शह पर खुले में फेंका जा रहा है? 
ख्बायोमेडिकल कचरे के बीच खाने की चीजें बिनते ये कोड़ाखु आदिवासी
मजाक बनती शासन की सारी विकास योजनाएं। सर्वोच्च सत्ता ने जब इस अघोषित डंपिंग जोन का दौरा किया तो एक बहुत ही दुखदायी दृश्य अचानक सामने आया। सर्वोच्च सत्ता इस तस्वीर को सामने लाना नहीं चाहती थीं क्योंकि किसी के अभाव को सामने लाना या मजाक उड़ाना सर्वोच्च सत्ता की मंशा कभी नहीं रही है।मगर इस तस्वीर में दिख रहें लोग झगडाखांड की बंद पड़ी माइंस के ऊपर सैकड़ो सालों से रह रहें कोड़ाखु बस्ती के आदिवासी हैं जो बड़े इत्मीनान से इस कचरे में आये खाने की चीजें और अन्य फेंकी हुई चीजों को बटोर कर अपने साथ ले जाते हैं यहां इस तस्वीर में ये लोग मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका से फेंके गये कचरे से लहसुन अलग कर रहें हैं जो की शायद बुधवार के साप्ताहिक बाजार से सड़े गले सब्जी की तौर पर फेंका गया था जिसे छांट छांट कर ये गरीब आदिवासी अपने साथ ले जा रहें हैं। अब सवाल ये उठता है की बाजार या घर से जो बचीखुची सड़ीगली सब्जियाँ या अन्य खाद्य सामग्री डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के जरिये सफाई दीदीयां इकठ्ठा करती है नियमतः उनका इस्तेमाल बायोखाद (जैविक खाद) बनाने में होता है तो ये गरीब कोड़ाखु आदिवासी उसी कचरे में से लहसुन जैसी सूखी सब्जी कैसे बिन रहें है इसका मतलब मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका के एसएलआरएम सेंटरों में भी अब कचरों की छंटाई और निष्पादन बंद हो चूका है। और सारा का सारा कचरा सीधे इस अघोषित डंपिंग जोन में गिर रहा है। एक सेवानिवृत वन विभाग के अधिकारी ने बताया की ऐसा कृत्य वन विभाग के नियमो के अनुसार आपराधिक श्रेणी का माना जाता है और इसमें वन विभाग को कानूनी कार्यवाही करना चाहिये। मगर कहावत है चोर चोर मौसेरे भाई जब चारों तरफ भ्र्ष्टाचार करने वाले अधिकारीयों का जोर चल रहा हो तो कौन किसे फरियाद करें। मगर इतना तो तय है की झगड़ाखांड कोयला खदान के ऊपर बसे इन कोड़ाकू आदिवासियों तक शासन की कोई भी योजना नहीं पहुंची है। अन्यथा ऐसी तस्वीर सामने नहीं आती।ये बदबूदार कचरे से खाना बटोरती गरीब आदिवासियों की तस्वीर हम सबको ये सोचने में मजबूर करती है कि हम सब ने गलती कि है और सिस्टम के सामने हम सब फेल हैं। चुने हुये जनप्रतिनिधियों से ज्यादा उम्मीद रखना व्यर्थ है क्योंकि सब के सब अभी वाल राइटिंग वाले खेल में व्यस्त है। सत्ताधारी दल कांग्रेस के लोग कलेक्टर को ज्ञापन देने और विपक्षी बीजेपी के लोग उसका काउंटर  ज्ञापन देने में व्यस्त है।एकमात्र संवेदनशील कलेक्टर मनेन्द्रगढ़ पी एस ध्रुव से उम्मीद हैं कि वो इन गरीब कोड़ाखु आदिवासियों के लिए कुछ ठोस मदद करेंगे ताकी समाज को शर्मसार करने वाली ऐसी तस्वीरों से छुटकारा मिल सके। 
नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ में बैठे जिस अधिकारी ने भी इस जगह को अघोषित डंपिंग जोन बनाकर स्वच्छ भारत अभियान के लिए आयी राशि का गबन कर रहा है वो काफी शातिर है। उसने कचरा फेंकने की जगह का चुनाव भी ऐसे स्थान पर किया है जो ना मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका क्षेत्र में आता है और ना ही खोंगापानी नगर पंचायत क्षेत्र में भरतपुर सोनहत विधानसभा और मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के सीमावर्ती भाग में और तो और पुलिस थाना मनेन्द्रगढ़ और पुलिस थाना झगड़ाखांड की सीमाएँ भी आसपास मिलती है यानी कन्फ्यूजन बना रहें की किसके क्षेत्र में जहरीला कचरा फेंका जा रहा है मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद सरजू यादव से जब सर्वोच्च सत्ता ने यह पूछा की मनेन्द्रगढ़ नगरपालिका के पास कचरा निष्पादन की कौन कौन सी जगह है तो उन्होंने भी इस सिद्ध बाबा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सारी कचरा डंपिंग की जगहों के बारे में बता दिया। यही सवाल जब सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पार्षद श्यामसुंदर पोद्दार मल्लू भैया से किया तो उनका जवाब यह था कि शहर मे तीन एसएलआर सेंटर हैं जिनमे ही कचरा कलेक्शन और निष्पादन होता है। यानी की नगरपालिका में बैठे पार्षदों को भी इस आपराधिक लापरवाही की जानकारी नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि मनेन्द्रगढ़ जैसी एडवांस सिटी का प्रभुद्ध वर्ग और सिविल सोसाइटी कब इस गंभीर जानलेवा  मसले पर जागेंगे ? और इस अघोषित डंपिंग जोन को बंद करवाकर पुरे इलाके को साफ करवाने के लिए कुछ मुहीम शुरू करेंगे या फिर पूरा मामला किसी जानलेवा महामारी के मनेन्द्रगढ़ नगर में फैल जाने के बाद रुकेगा ?।क्या वनमंडल मनेन्द्रगढ़ इस मामले में नगरपालिका मनेन्द्रगढ़ के अधिकारीयों के ऊपर कोई मामला दर्ज कर कार्यवाही करेगा? सर्वोच्च सत्ता तब तक इस लापरवाही पर अपनी रिपोर्टिंग जारी रखेगी।
कचरा गाड़ी के नेपथ्य में पवित्र सिद्ध बाबा मंदिर दिखाई दें रहा है जो कि यह दर्शाता है कि कचरा सिद्ध बाबा मंदिर क्षेत्र के पास ही डंप किया जा रहा है।
इन बायोमेडिकल कचरे मे खाना खोजती गायों को क्या पता की जब वो अपने मालिक के यहां जाकर दूध देंगी तो वो दूध पीने वाले के लिए जहर होगा जिसे पीकर ना जाने वो इंसान या बच्चा कितनी बिमारियों का शिकार बनेगा। मगर इन सब बातों से उन लालची अधिकारी को क्या? उसे तो अपनी जेबें भरनी हैं और कुछ नहीं।
ख्सर्वोच्च सत्ता का उद्देश्य कभी भी मसाला पत्रकारिता करना नहीं है खुले मे बायोमेडिकल कचरा मनेन्द्रगढ़ और आसपास के पर्यावरण के लिए आगे चल कर गंभीर खतरा बन जायेगा। शहर की खूबसूरती बचाने के लिए इसपर तुरंत रोकथाम जरुरी है और ज्यादा जरुरी है ऐसे कृत्य करने वाले अधिकारीयों पर कार्यवाही।