आमाडांड आमरण अनसन को जबरन कराया गया खाली, ग्यारह महिलाएं पांच पुरूषों को भेजा गया जेल

आमाडांड आमरण अनसन को जबरन कराया गया खाली, ग्यारह महिलाएं पांच पुरूषों को भेजा गया जेल
प्रतिदिन तीस लाख रायल्टी के बोझ में दबी सरकार
(राम भैय्या)
इन्ट्रो-जिस अनसन और सत्याग्रह के दम पर महात्मा गांधी ने देष को आजादी दिलाई थी और कहा भी जाता है कि अनसन और सत्याग्रह की ताकत के आगे बडी-बडी सरकारें झुक जाती है। परंतु आमाडांड क्षेत्र में ठीक इसका उल्टा हुआ। 26 जनवरी 1922 को राष्ट्र ध्वज फहराकर अपने न्याय के लिये बैठे किसानों को एक साल के अंदर रविवार को जबरन पुलिस के बल पर हटा दिया गया। इस तरह से यह कहा जाये कि मजदूर और किसानों की आवाजों को कुचलते हुये एसईसीएल प्रषासन ने अंततः अपनी मनमानी करने में सफल रहा।
अनूपपुर। कई दिनों तक कवायद और हर घंटे तीन लाख का घाटा झेल रही एसईसीएल जमुना/केातमा क्षेत्र के नये जीएम सरदार हरजीत सिंह को बिलासपुर से जमुना/कोतमा इसी शर्त के साथ भेजा गया कि वह किसी तरह वह पुलिस प्रषासन यूनियन, मजदूर, किसान से तालमेल बैठाकर किसी तरह खदान को चालू करा ले। क्योंकि बताया जाता है कि इस खदान के बंद होने से एसईसीएल जमुना कोतमा को प्रतिघंटे तीन लाख का घाटा हो रहा था और खदान चालू न होने पर जमुना केातमा क्षेत्र पर वीरान होने का खतरा मंडराने लगा था। कई हफ्तो से चल रही कवायद के बाद अंततः रविवार को पुलिस प्रषासन एसईसीएल के बडे बडे अधिकारियों की मौजूदगी में किसानो को सडक से उठाकर पुलिस थाने भेज दिया गया और पी-6 पर एसईसीएल जमुना केातमा क्षेत्र का पूर्णतः कब्जा हो गया।
चैबीस घंटे से सडक पर बैठे किसान लेटी महिलाएं
घटना के विषय में बताया जाता है कि शनिवार की रात अमरण अनसन स्थल पर किसानो और महिलाओ की शरण स्थलीय झोपडी को तहस-नहस करके वहां पर दिलीप बिल्डिकाॅन की आॅफिस बनाने के लिये एसईसीएल के अधिकारियों ने कब्जा कर लिया। उसके बाद एक लगभग एक दर्जन किसान जिसमें मजदूर और महिलाएं दोनो शामिल थे। अनसन स्थल से उठकर भालूमाडा से निमहा मुख्य मार्ग पर आकर बैठ गये, जिसके कारण लगभग 24 घंटे तक यह मार्ग आवाजाही से बंद रहा। रविवार की सुबह होते ही धीरे-धीरे एसईसीएल के अधिकारियों, पुलिस और प्रषासन का जमावडा बढता रहा। शाम होते ही एसडीओपी कोतमा भारी पुलिस बल के साथ पहंुचे और मुख्य सडक मार्ग पर बैठे ग्यारह महिलाएं और पांच पुरूषो को सडक से जबरन उठाकर पुलिस वैन में कोतमा के तरफ लेकर चले गये।
फिलहाल छायी खामोषी पर परिणाम कुछ भी---------
रविवार की शाम को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जिस तरह से अमरण स्थल से लेकर पी-6 की खदान के चारो तरफ घेराबंदी बनाकर दूसरे किसानो को उस जगह पर आने से रोका गया जहां पर महिलाएं और पुरूष सडक पर बैठी थी। वह इस समय किसानों में चर्चा के विषय के साथ साथ आक्रोष का कारण भी बना हुआ है। आम किसानों का आरोप है कि शनिवार की देर रात तक अमरण अनसन स्थल पर बाहरी गुंडो के दम पर जिस तरह से धमाचैकडी की गयी थी वह कही से न्याय हित में नही है। बिना किसानों की मांगे पूरी किये हुये बिना इस तरह से जबरन किसानो को डराया धमकाया नही जा सकता जिस तरह से जेल भेजा गया है वह फिलहाल एसईसीएल की तत्कालिक जीत लग रही है परंतु जेल से लौटने के बाद किसान एक बार फिर अनसन स्थल पर अपना कब्जा बना लेंगे।