फिर विवादों में IGNTU: यूनिवर्सिटी के सुरक्षाकर्मियों ने केरल के छात्रों को पीटा, कई स्टूडेंट्स जख्मी, CM पिनाराई विजयन, राहुल गांधी समेत 5 सांसदों ने की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
 अनूपपुर। अक्सर विवादों में रहने वाले अनूपपुर जिले के अमरकंटक में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार विश्वविद्यालय में केरल के स्टूडेंट्स और सुरक्षाकर्मियों के बीच मारपीट हुई है, जिससे चार छात्र व एक गार्ड घायल हो गए। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। छात्रों की शिकायत पर पुलिस ने सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया है। वहीं सुरक्षाकर्मियों ने भी इस मामले में शिकायती आवेदन दिया है। यह मामला तब और हाई प्रोफाइल हो गया जब इस घटना को लेकर राहुल गांधी, केरल के सीएम पिनाराई विजयन समेत वहां के कई सांसदों ने कुलपति को पत्र लिखकर सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
ये है पूरा मामला
अनूपपुर जिले के अमरकंटक थाना क्षेत्र के लालपुर में स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) में गत 10 मार्च को केरल के अध्ययनरत MSW के छात्र नसील, BA के छात्र आदिल, MA के छात्र अभिषेक समेत MSC जूलॉजी के छात्र अदनान पानी सप्लाई टंकी के ऊपर चढ़कर फोटो क्लिक कर रहे थे, तभी वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी रामेश्वरम ने छात्रों को वहां से उतारकर उनसे उनका नाम पूछने लगा। इस दौरान छात्रों व सुरक्षाकर्मी के बीच वाद विवाद होने लगा और विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट हो गई। मारपीट में छात्र व सुरक्षाकर्मी दोनों को चोटें आई हैं, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया है। वहीं इस मामले में छात्रों की शिकायत पर अमरकंटक पुलिस ने सुरक्षाकर्मी के खिलाफ मारपीट की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। वहीं सुरक्षाकर्मी ने भी शिकायती आवदेन दिया है।


5 सांसदों ने कुलपति को लिखा पत्र

वहीं इस मामले में केरल के दो लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसदों ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रकाश मणि को पत्रचार कर सुरक्षाकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मामला हाईप्रोफाइल होने पहले ही अनूपपुर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई कर दी है। बता दें कि विश्वविद्यालय में मारपीट का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके है। कई बार तो छात्रों ने सड़क पर उतर कर खूब हंगामा भी किया था। कहीं न कहीं विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही के चलते इस तरह के मामले अक्सर देखने को मिल रहे हैं