साहस और शौर्य का प्रतीक हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस ..... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
अमरकंटक।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्व में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती विश्वविद्यालय में पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई। कार्यक्रम में नेताओं की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने सभी छात्रों और युवाओं को बताया कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र के जन्मदिन को प्रतिवर्ष 23 जनवरी को मनाया जाता है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारतीय राष्ट्रीय सेना (आजाद हिंद फौज) के प्रमुख थे। इसके साथ ही आजाद हिंद सरकार के संस्थापक प्रमुख थे। वर्ष 2021 में माननीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी  ने इस खास दिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में श्री जानकी नाथ बोस और श्रीमती प्रभा वती दत्त बोस के घर में जन्में बालक सुभाषचन्द्र बोस आज भी युवाओं के जोशीले नेताजी के रूप में भारत के तमाम नवयुवकों के हीरो हैं। जो जीवन की चुनौतियों को स्वीकारना जानते हैं। भारत प्रेरणाओं वाला देश है। यहां की माटी में जन्मे महापुरुषों ने न केवल भारत के नौजवानों के लिए उत्साहवर्धन का काम किया है अपितु दुनिया भर में साहस और शौर्य का प्रतीक बने हैं। भारत विविधताओं से भरी क्षमताओं वाला देश है। विपरीत परिस्थितियों से लड़कर जीत हासिल करने में पारंगत महापुरुषों में अग्रणी नाम है नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हमें समाज सेवा और राष्ट्र सेवा में एक साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं ने देश हित में कार्य करने की प्रतिज्ञा ली। इस अवसर पर प्रोफेसर आलोक श्रोत्रिय (अधिष्ठाता अकादमिक), प्रोफेसर भूमिहार त्रिपाठी (छात्र कल्याण अधिष्ठाता), डॉक्टर संजीव सिंह सेंगर (सहायक कुलसचिव), डॉक्टर विजय नाथ मिश्रा (विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी), डॉक्टर पूनम पांडेय तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के एनसीसी अधिकारी डॉक्टर जितेंद्र सिंह द्वारा किया गया।