सुना है कोतमा को अजय पवार रूपी सौगात दे रहे जितेंद्र पवार,अजय पवार कोतमा जैसे संवेदनशील थाने के लिए ठीक नही ?- विजय उरमलिया की कलम से

सुना है कोतमा को अजय पवार रूपी सौगात दे रहे जितेंद्र पवार,अजय पवार कोतमा थाने के लिए ठीक नही
अनूपपुर - सूत्रों के हवाले से एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है कि पुलिस अधीक्षक जितेंद्र पंवार भालूमाड़ा थाना से लाइन अटैच किये गये थाना प्रभारी अजय पवार को कोतमा जैसे बड़े और गंभीर थाने की कमान सौंप रहे है ? अगर वाकई में ऐसा होता है तो कोतमा जैसे संवेदनशील थाने की जिम्मेदारी कम से कम अजय पवार जैसे थाना प्रभारी को सौंपना चिंता का विषय है चूंकि ये साहब जहां जहां पदस्थ रहे उस थाने को जो पहचान अपने कार्यकाल में दी ओ अपने आप मे सिर्फ और सिर्फ अजय पवार के लिए गर्व का विषय हो सकता है बांकी पुलिस की छवि के लिए कदापी उचित नही कहा जा सकता,ये थाना प्रभारी वही है जिन पर अभी भी हाईकोर्ट की तलवार लटकी हुई है विश्वनाथ शर्मा,एवं साथी मिश्रा के ऊपर जिस तरह से फर्जी गांजा का मामला बनाया गया था हाईकोर्ट जबलपुर ने पुलिस अधीक्षक को इस पूरे मामले में जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे जांच का तो पता नही कौन सी चाल चल रही है कि आज कई महीने बीत जाने के बाद भी पूरी नही हो सकी और उसके बाद दो महिलाओं की हत्या ने अजय पवार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े किए थे,और पूर्व में एक पार्षद को छोड़ने का मामला भी सुर्खियों में रहा था,पर पुलिस अधीक्षक महोदय इन सब के बावजूद भी कोतमा जैसे संवेदनशील थाने की कमान अजय पवार जैसे थाना प्रभारी के कंधों पर डालते सुनाई दे रहे है अगर ऐसा होता है तो कोतमा जैसे थाने के लिए तो गंभीर होगा ही साथ ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है कही ऐसा न हो कि पुलिस अधीक्षक को इस निर्णय को अगर उन्होंने लिया है तो इसका खामियाजा गंभीर परिणाम सामने ले कर आये और तब पुलिस की सिर्फ और सिर्फ किरकिरी होती दिखाई दे,चूंकि अजय पवार का पुलिस रिकॉर्ड इतना बेहतर है कि जहां भी रहे साहब विवादित तो रहे ही इनके कार्य क्षेत्र में अवैध कारोबार चरम सीमाएं लांघने लगता है,और अगर साहब का दिमाग घूमा तो कई निर्दोष भी इनके वर्दी का दंश झेलने लगते है,अब देखना यह होगा की हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के खिलाफ जाते हुए क्या पुलिस अधीक्षक जितेंद्र पवार इन साहब को कोतमा की जिम्मेदारी सौंपते है दूसरी तरफ अजय पवार और साहब में ऐसा क्या है जी इनका इनसे मोह भंग नही हो पा रहा और लगातार शिकायतें प्राप्त होने के वाद भी संवेदनशील थानों की कामना इन्ही को सौंपी जा रही है भले ही इसके बाद ये साहब सिर्फ पुलिस की किरकिरी कराते हो