स्वरोजगारमूलक योजनाओं के प्रकरणों का बैंकर्स तय समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित करें जिला स्तरीय बैंकर्स परामर्शदात्री समिति की बैठक सम्पन्न

स्वरोजगारमूलक योजनाओं के प्रकरणों का बैंकर्स तय समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित करें
जिला स्तरीय बैंकर्स परामर्शदात्री समिति की बैठक सम्पन्न
अनूपपुर। राज्य शासन द्वारा स्वरोजगार योजनाओं में दिए गए लक्ष्य के अनुरूप प्रकरणों में बैंकर्स तय समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करें। जिससे हितग्राही योजना के अंतर्गत स्वरोजगार की स्थापना कर सकें। उक्ताशय के निर्देश जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा ने कलेक्ट्रेट स्थित नर्मदा सभागार में आयोजित जिला स्तरीय बैंकर्स परामर्शदात्री समिति की बैठक में दिए। बैठक में आरबीआई, नाबार्ड, लीड बैंक तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी व बैंकर्स उपस्थित थे। बैठक में हितग्राहीमूलक योजनाओं के बैंक ब्रांचवार प्रकरणों की समीक्षा की गई। बैठक में स्वरोजगार मूलक योजनाओं के 5 लाख से अधिक के प्रकरणों तथा स्वनिधि योजना व किसान क्रेडिट कार्ड के संबंध में बैंकर्स को निर्देश दिए गए। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा ने हितग्राहीमूलक योजनाओं का संचालन करने वाले विभागों को लक्ष्य अनुसार प्रकरण बनाकर बैंकों में प्रस्तुत करने तथा आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने बैंकर्स को पात्र हितग्राहियों को बैंकर्स द्वारा लाभान्वित किए जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा। पीएम स्वनिधि योजना के बैंकवार प्रकरणों की समीक्षा करते हुए एसबीआई कोतमा एवं जमुना कालरी शाखा में बड़ी संख्या में हितग्राहियों के प्रकरणों के रिजेक्षन का रिव्यू कर पात्र व्यक्तियों को लाभान्वित किए जाने के निर्देश दिए गए। बैठक में म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, डे शहरी आजीविका मिशन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान, कृषि, उद्योग, पिछड़ा वर्ग की स्वरोजगार मूलक योजनाओं के प्रकरणों की समीक्षा की गई। जिपं. सीईओ श्री शर्मा ने स्वरोजगार योजनाओं के लक्ष्य अनुसार बैंकर्स को स्वीकृत प्रकरणों में शत-प्रतिशत वितरण की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वरोजगारमूलक योजनाओं के तहत विभागों द्वारा प्रस्तुत प्रकरणों में दस्तावेज मे कमी पाई जाती है, तो विभाग के माध्यम से हितग्राही, बैंक व बैंकर्स आपसी समन्वय कर प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चित करें। छोटी-छोटी कमियों के कारण प्रकरणों को रिजेक्ट न करें। उन्होंने बैंकर्स, विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के निर्देश दिए।