रेल्वे ओवर ब्रिज की धीमी रफ्तार परेशान होते बीमार नागरिक
वार्ड न. 1 से 8 में एक कैम्प स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता 

 


अनूपपुर ।  विगत एक वर्ष से कछुए की गति से चल रहे रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण अब अनूपपुर जिला मुख्यालय और आस-पास के गांव वासियों के लिए गले की फांस बनती जा रही है। जिला मुख्यालय की लगभग आधी जनसंख्या वार्ड न. 1 से 8 में निवास करती है। जिनका रेलवे लाइन को पार कर जिला अस्पताल पहुंचने का सहज और सरल रास्ता रेलवे फाटक क्रॉस कर ही एक मात्र था। जिला मुख्यालय की आधी आबादी ही नहीं बल्कि आस-पास के कई दर्जन गांव भी इसी रेल्वे फाटक को पार कर सहजता और आसानी से अपने-अपने बीमार परिजनों को सुगम और सहज स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे लेकिन विगत एक वर्ष से रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण की धीमी रफ्तार आम आदमियों के लिए गले की फांस बनती जा रही है। हजारों बीमार जनता को इस विकराल होती समस्या से आए दिन दो-चार होना पड़ता है।
100 मीटर की यात्रा सफर 5 किलो मीटर का 

 


रेल्वे ओवर ब्रिज का निर्माण 16 अगस्त 2022 से शुरू हुआ था। जिसे अब तक पूरा हो जाना था लेकिन ब्रिज कार्पोरेषन के अधिकारी और जयश्री राम कंस्ट्रक्सन के कर्ता धारताओं के अकर्मड़ता की वजह से उक्त ब्रिज का निर्माण कितना समय लगेगा यह तो निर्माण के देवता भगवान विष्वकर्मा भी नही बता सकते है। इस समस्या की वजह से 100-200 मीटर के सफर के लिए हजारों लोगों को 5-7 किलो मीटर तक का सफर तय करना पडता है और अगर यह सफर अपने बीमार परिजनों को लेकर करना पड़े ंतो यह किसी वैतरणी पार करने जैसा कठिन होता है। क्योकि पहले तो लोग पैदल रेल्वे फाटक पार कर जिला अस्पताल पहुंच जाते थे। पर अब लंबे-चौड़े गड्ढे खोदने से पद यात्रियों का भी निकलना दुश्वार हो गया है।
9 की लकड़ी 90 खर्च की कहावत होती चरितार्थ 
यू तो म.प्रशासन और भारत सरकार निशुल्क चिकित्सा के लाख दावे करे पा अनूपपुर के रेलवे फाटक के उस पार रहने वाले वार्ड न. 1 से 8 तक रहने वाले हजारों गरीब जनता और दर्जनों ग्रामीण जनता को जिला अस्पताल में इलाज करवाने के लिए 150 से 200 खर्च करने पडते है। वजह रेलवे ओवरब्रिज निर्माण की वजह से बंद हुआ पैदल यात्रा और बीमार परिजनों को 5 किलोमीटर से अधिक यात्रा के लिए आटो, टेम्पो, टेक्सी और अन्य साधनों का उपयोग करने पडते है जिसके लिए प्रति बीमार परिजनों के लिए 150 से 200 रुपये खर्च करने पडते है। और यह पैसा प्रदेश के मामा शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहनों, लाडली लक्ष्मीओं और पूज्यनीय बुजूर्ग माता-पिताओं दिव्यांगों को भी खर्च करने पडते है। इन्हे तो सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत उपकृत करती है। परंतु जरा सोचिए उन लोगों का जिन्हें सरकार किसी योजना का लाभ नहीं मिलता वह इन अनायास होने वाले खर्च से कैसे छुटकारा पाए।
यह है समाधान 
निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज कब बनकर तैयार होगा और कब उस ब्रिज पा चलकर आम जनता रेलवे लाइन को पार करने का सपना साकार होते देखेगी यह तो भविष्य के गर्त पर है। परंतु अभी इस विकराल समस्या का समाधान इसी शहर के उपलब्ध संसाधनों में ही है। बशर्ते अनूपपुर नगर पालिका परिषद, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से नगरपालिका परिसर के आस-पास एक स्वास्थ्य विभाग का कैंप जिसमें एक महिला चिकित्सक, एक शिशु चिकित्सा और एक जनरल फिजिशियन की ओ पी डी सुबह शाम 2-2 घंटे के लिए खोला जाए तो इस विकराल समस्या से बहुत हद तक छुटकारा मिल सकता है जानकारों का कहना है कि स्टेट बैंक के बगल में आयुष विभाग का एक भवन है। जिसमें यह व्यवस्था आसानी से संचालित की जा सकती है।