मुरूम के नाम पर ग्राम पंचायत परसवार ने संतलाल पटेल को कैसे किया भुगतान, जिले में स्वीकृत नही मुरूम की खदान
शासन को हुए राजस्व के नुकसान की कैसे प्रशासन कराएगा भरपाई, सवालो के कटघरे में जिम्मेदार
इन्ट्रो-
जनपद पंचायत जैतहरी की कुछ एक पंचायत में संतलाल पटेल के नाम पर हुए भुगतान खुले भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे है। जिनमे बिना मुरूम खदान के मुरूम सप्लाई के नाम पर हुआ भुगतान इसका प्रमाण भी दे रहा है। लेकिन जिम्मेदारों को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन शासन के राजस्व को जरूर नुकसान पहुंचता है। ग्राम पंचायत परसवार मे रेत व मुरूम के नाम पर वेंडर संतलाल पटेल को लाखो का भुगतान किया गया जिसमें मूल्यांकन कर्ता उपयंत्री बराबर के दोषी है।
(विजय उरमलिया)
अनूपपुर।
कहते है जब सरकारी कर्मचारी या जिम्मेदार अपना जमीर बेंच दें तो भ्रष्टाचार करने वालों की बल्ले बल्ले हो जाती है और इन दिनों ग्राम पंचायत परसवार भी संतलाल पटेल के कब्जे में है और संतलाल जो चाहे जब जैसा चाहे वैसा भुगतान इस पंचायत से होता है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य में चोरी की रेत सप्लाई मुरुम के नाम पर कई लाखों का भुगतान संतलाल पटेल के नाम पर किया गया सूत्र बताते है की परसवार पंचायत में संतलाल की ऐसी पैठ है कि जो वो चाहेगा वही होगा अब ऐसे में भला वहां सचिव की जरूरत क्या है।
कब कैसे हुआ भुगतान
करहिवाह में बाउंड्रीवाल निर्माण एवं समतलीकरण में रेत के नाम पर एक भुगतान 54622 रुपये का किया गया तो वही मुरुम के नाम पर 1,20600 मुरुम 58067, मुरुम 67067, आरसीसी पुलिया निर्माण श्रीराम के खेत के पास शान्तिधाम पहुँच मार्ग मुरुम 21240, रेत 1,43756 मुरुम 70,097, रेत के नाम पर 65087, 63560, मुरुम 45360, 7398, इस पूरे खेल में मनरेगा के अलावा पंच परमेश्वर, पंद्रहवे वित्त से लगातार इस तरह के कई भुगतान किए गये सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक करहिबाह से रेत का अवैध उत्खनन करके पंचायतों में सप्लाई कर बिलों का भुगतान प्राप्त करता है दूसरी तरफ जब अनूपपुर जिले के मुरुम खदान स्वीकृत ही नही है तो मुरुम के नाम पर भुगतान अपने आप मे फर्जी राशि आहरण की तरफ इशारा करता है पंचायत से लेकर जनपद तक सब को इन भुगतानों के बारे में पता है पर संतलाल पटेल की सेटिंग और सचिव के साथ सांठगांठ से इस तरह के फर्जी भुगतान लागातर हो रहे है वही परसवार में जिन निर्माण कार्यों में इस तरह के बिलों का भुगतान किया गया वह सभी जांच करने योग्य है चूंकि इस्टीमेट से इतर निर्माण कार्य हुए गुणवत्ता को दरकिनार कर पर भुगतान के नाम पर संतलाल पटेल को पंचायतों से लागातर भुगतान प्राप्त हो रहे है, हम आप को बता दे परसवार इकलौती पंचायत नही है और किन किन पंचायतों में संतलाल को सामग्री सप्लाई के नाम पर अनाप सनाप भुगतान किए गए उनका खुलासा जल्द करेंगे।
जिले में स्वीकृत नही मुरूम खदान
खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले मे मुरूम की कोई भी खदान स्वीकृत नहीं है। ऐसे मे सवाल खड़ा होना लाजमी है कि संतलाल पटेल के द्वारा कहा से मुरूम ला कर ग्राम पंचायत परसवार को सप्लाई करते हुए भुगतान किया गया। जब खदान स्वीकृत नही है तो फिर साफ है कि संतलाल पटेल के द्वारा मुरूम का अवैध तरीके से उत्खन्न करते हुए परिवहन किया गया यदि ऐसा नही है तो बिलो के साथ चुकाई गई रॉयल्टी की दर लिखी होनी चाहिए थी बहरहाल मामले की जांच होगी य नही यह तो नही पता लेकिन इतना जरूर है मुरूम के नाम पर संतलाल पटेल को किए गए भुगतान से शासन के राजस्व का जरूर नुकसान हुआ है और इसके जिम्मेदार ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव के साथ उनका मूल्यांकन करने वाले उपयंत्री भी है। जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले की जांच कर कार्यवाही की अपेक्षा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से की है।
पंचायत में संतलाल का पुरा दखल
ग्राम पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की माने तो बगैर संतलाल की सहमति के कोई कार्य नही होते है जबकि आवश्यक कार्य को पूर्ण करने के लिए वार्ड की जनता के द्वारा मांग की जाती है लेकिन सरपंच, सचिव को संतलाल सहमति नही देता तो वह कार्य नहीं होते है। ऐसे में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा लागू पेसा एक्ट कानून में पंचायत की जनता को मिले अधिकारों का खुला उल्लंघन यह किया जा रहा है। जिस अधिकार व कानून के प्रति जागरूकता लाने के लिए सरकार के द्वारा लाखो करोडो रूपये प्रचार-प्रसार व अभियान में किए वह सब यहा व्यर्थ साबित हो रहा है।