हाथियों के स्वच्छंद विचरण पर वन विभाग नहीं लगा सकता प्रतिबंध कई संगठनो ने किया विरोध

हाथियों के स्वच्छंद विचरण पर वन विभाग नहीं लगा सकता प्रतिबंध कई संगठनो ने किया विरोध
फिलहाल अनूपपुर वन विभाग की चल रही मनमर्जी
@रिपोर्ट - अजित मिश्रा
अनूपपुर जिले में छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे हुए ग्रामों में हाथियों के विचारण से जहां ग्राम वासियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है वहीं अब वन विभाग की चल रही हाथी भगाओ अभियान को लेकर मध्य प्रदेश के कई स्वयंसेवी संस्था विरोध करने लगी है इनका तर्क है कि हाथियों के जंगलों में स्वच्छंद विचरण पर ना तो रोक लगाई जा सकती है और ना ही हाथियों को इस ढंग की नौटंकी करके वन विभाग नहीं भगा सकता है।
अनूपपुर। हाथियों को भी है स्वच्छंद विचरण अधिकार, तो..... अब विभाग की नहीं चलेगी जबरन मर्जी एशियन हाथी भारत मे अधिक पाए जाने वाले हाथी है वैसे भारत मे केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल उड़ीसा छत्तीसगढ़ और अब मध्यप्रदेश मे भी सक्रिय हो गए है, मानव-हाथी द्वन्द भी बढ़ता जा रहा लगातार घटनाये बढ़ रही है चाहे हाथियों की मौत या मानव की इस घटना क्रम को देखते हुए भारत सरकार और गैर सरकारी संस्था ने मानव-हाथी द्वन्द को कम करने के लिए अलग-अलग सुझाव किये है लेकिन मूक प्राणी होने के कारण जानवरो के साथ हट धार्मिता जैसे बर्ताव होने लगे थे अब उसे भी नियंत्रण करना जरुरी था इसी को लेकर हाथियो की सुरक्षा को लेकर रायपुर के वन्यप्राणी प्रेमी नितिन सिंघवी जी ने उन्हें बचाने के लिए सकारात्मक कदम उठाया है। मध्यप्रदेश मे जिस प्रकार से हाथियों को लेकर वन विभाग काम कर रहा है वो वह अनुसरण करने योग्य है उन्होंने भारत सरकार को पत्राचार कर हाथी खदेड़े जाने के लिए जो या उनके साथ जो व्यवहार अनूपपुर वन विभाग कर रहा है इसकी चेतावनी, सूचना भारत सरकार को दे कर उनके बचाव की बात लिखी है।
फिलहाल वन विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है जवाब
मध्य प्रदेश के कई वन्य जीव सुरक्षा के लिए काम कर रहे स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारी के द्वारा वन्य जीव अधिनियम का उल्लेख करते हुए अनूपपुर वन विभाग द्वारा हाथियों के भागने के अभियान पर जो सवाल खड़ा किया है उसका जवाब अनूपपुर के किसी भी वन अधिकारी के पास नहीं है फिलहाल अगर अनूपपुर विभाग के अभियान को देखा जाए तो चाहे वह मिर्ची के मसाला का धुआं हो या हाथियों को भगाने के लिए फोड़े जा रहे पटाखे या फिर चलाए जा रहे हाके और यही नहीं हाथियों के पीछे शोरगुल का ढोल पीटकर वन विभाग क्या चाहता है यह तो किसी को नहीं पता लेकिन सच यही है कि अब जब इसके विरोध में मध्य प्रदेश ही नहीं कई प्रदेशों के वन्य जीव रक्षक सामने आ रहे हैं तो सवाल तो खड़ा ही हो रहा है और वन विभाग को इसका जवाब तो देना ही पड़ेगा। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि जंगली हाथियों के स्वच्छंद विचरण पर वन विभाग पाबंदी नहीं लग सकता वन विभाग केवल इसेसे होने वाले जन हानि को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान हाथियों से कैसे अपने घर और फसलों की सुरक्षा करें इसकी जानकारी दे सकता है लेकिन देखा जा रहा है कि कभी बेंगलुरु से विशेष हाथी पकड़ने का दावा करने वाला व्यक्ति आता है तो कभी हल्ला पार्टी जब इस विषय में वन विभाग के अधिकारियों से सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि हम भाग नहीं रहे हैं जबकि सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीर हाथियों के पीछे दौड़ते दर्जनों लोग हाथ में मशाल लिए साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं ऐसे में सच क्या है वन विभाग क्यों छुपा रहा है जनता के सामने वन विभाग को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
हाई कोर्ट में है पीटीसन फिर भी नही मान रहा वन विभाग
हाथी जैसे और भी वन्यप्राणियो को स्वच्छंद विचरण का अधिकार है.... मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व वन विभाग द्वारा लगातार जंगली हाथियों को पकड़ कर उन्हें पालतू बनाया जा रहा है और ट्रेनिंग देकर बाघो की सुरक्षा चैकसी के लिए उपयोग किया जा रहा है वन विभाग का सोचना है की मानव जीवन, सुरक्षा वं संपत्ति सुरक्षा को लेकर या कदम उठाया जा रहा है लेकिन सिंघवी जी की तरफ से यह गलत है कह कर हाई कोर्ट मे पीटिशन दायर किया गया है.. कब और किस तारीख को पकडे गए हाथी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व टीम द्वारा पकडे गए हाथी 24/07/2017 को एक नर हाथी 04/09/2018 को 5 हाथी 02/07/2020 को 1 हाथी 23/02/2024 को 1 हाथी अनूपपुर के जैतहरी रेंज से 23/02/2024 को 4 हाथी अब तक पकडे जा चुके है..।