प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता

प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता
कोतमा। हिंद मजदूर सभा श्रमसंघ के क्षेत्रीय अध्यक्ष माननीय श्रीकांत शुक्ला, क्षेत्रीय महामंत्री ऋषि तिवारी एवं संघ के सक्रिय पदाधिकारियों के द्वारा बरतराई कॉलरी में पदस्थ डाटा इंट्री ऑपरेटर अजीत सिंह के द्वारा मनमाने ढंग से अनुपस्थित कर्मचारियों की फर्जी हाजरी लगाना, उपस्थित कर्मचारियों को अनुपस्थित कर देना, कर्मचारियों की छुट्टियों को सैप में इंट्री नहीं करना, छुट्टी के जगह हाजरी और हाजरी के स्थान पर छुट्टी चढ़ा देने जैसे मजदूर विरोधी और कंपनी विरोधी गतिविधियों के कारण श्रमसंघ ने हड़ताल नोटिस प्रबंधन को दिया था जिस संबंध में विगत दिनों महाप्रबंधक कार्यालय में हुई बैठक में महाप्रबंधक (संचालन) द्वारा जांच का आश्वाशन दिया गया था। क्षेत्रीय महाप्रबंधक एवं महाप्रबंधक (संचालन) के आदेश पर क्षेत्रीय स्तर की आडिट कमेटी के द्वारा चार-पांच दिनों तक विगत दो-तीन महीनो की बरतराई कॉलरी के उपस्थिति पंजी एवं सैप में दर्ज उपस्थिति का तुलनात्मक अवलोकन किया गया जिसमे संघ द्वारा उठाए गए उपरोक्त सभी मुद्दे जांच में सही पाए गए, डाटा इंट्री ऑपरेटर अजीत सिंह के द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों में लापरवाही बरती गई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुल 67 कर्मचारियों की अजीत सिंह के द्वारा फर्जी हाजरी लगाया गया है। अब यह आगे के जांच का विषय है की इस गड़बड़ी में अकेले डाटा इंट्री ऑपरेटर शामिल है या इसमें बरतराई कॉलरी प्रबंधन भी शामिल है, क्योंकि कॉलरी प्रबंधन की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। क्योंकि ऑडिटर के रिपोर्ट के पश्चात् संबंधित भ्रष्टाचारी डाटा इंट्री ऑपरेटर को प्रबंधन द्वारा तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने की जानकारी सामने आ रही है परंतु अभी तक अजीत सिंह को आरोप पत्र जारी नहीं किया गया है। हालांकि की कॉलरी में लागू प्रमाणित स्थायी आदेश के नियमानुसार गंभीर कदाचार के मामलों में में सीधा निलंबन किए जाने का प्रावधान है किंतु ऐसे मामले में निलंबन आदेश के तीन दिनों के भीतर आरोप पत्र दिया जाना अनिवार्य है। अब देखना यह है की प्रबंधन अजीत सिंह को आरोप पत्र जारी करता है या लीपा - पोती कर भ्रष्ट डाटा इंट्री ऑपरेटर को बचाने का प्रयास करता है। संघ द्वारा इस मुद्दे को लेकर 17 तारीख से विरोध प्रदर्शन की सूचना भी क्षेत्रीय कार्यालय को दी गई है, यदि इस मामले में दोषी कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जाती तो श्रम संघ आंदोलन करने को विवश होगा।