नई दिल्ली। आम जनता से दूर अपने ढंग से जीवन बिताने वाले जनजातीय लोगों के जीवन स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा में पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है।

मोदी सरकार ने जनजातीय लोगों को उनकी संस्कृति और विशेषताओं के साथ मुख्यधारा में शामिल करने और उनका जीवन स्तर उठाने को प्राथमिकता देते हुए जो काम किये हैं, उसके नतीजे बताते हैं कि स्थिति पहले से बेहतर हुई है।

कितने लोगों को मिला आयुष्मान कार्ड का लाभ?

शिक्षा देखें तो अपर प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक में आदिवासी बच्चों का इनरोलमेंट बढ़ा है। स्वास्थ्य सुविधाओं में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में करीब 91.93 लाख आयुष्मान कार्ड के लाभार्थी जनजातीय वर्ग के हैं।

68.10 लाख जनजातीय लोग प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) ग्रामीण के तहत आवास के लिए पंजीकृत हैं, जिसमें अभी तक योजना के तहत 62.66 लाख आवास मंजूर हो चुके हैं।

इनमें से भी 47.17 लाख आवासों का निर्माण पूरा हो चुका है। जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक सभी गांवों में पाइपलाइन के जरिये शुद्ध पेयजल घर तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

इसमें से 50 प्रतिशत घरों में पानी कनेक्शन जनजातीय बहुल क्षेत्र का है। स्वच्छता मिशन के तहत 2014-2015 से लेकर अभी तक जनजातीय वर्ग के 1.47 करोड़ घरों में शौचालय का निर्माण हुआ है।

सुविधाएं देने के लिए रखा गया 15 हजार करोड़ रुपये का फंड

ये आंकड़े बताते हैं कि जनजातीय लोगों का जीवन स्तर पहले से अच्छा हुआ है। केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने बुधवार को जनजातीय वर्ग के लोगों के समग्र विकास के लिए नौ वर्षों में किये गए कार्यों का ब्योरा देते हुए कहा कि वंचित जनजातीय वर्ग (पीवीटीजी) के विकास के लिए और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अगले तीन साल में 15 हजार करोड़ रुपये का फंड रखा गया है।

जिसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सुविधाएं उपलब्ध कराने पर खर्च किया जाएगा। पहली बार पीवीटीजी समूहों के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए विशेष योजना बनाई गई है।