नई दिल्ली । दिल्ली नगर निगम क्षेत्र के करीब 15 लाख घरों की जियो टैगिंग का कार्य दो माह के भीतर पूरा हो जाएगा। पिछले 7 दिनों में 20 हजार घरों की जियो टैगिंग का कार्य पूरा हो चुका है। इस संबंध में मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने बताया कि सबसे पहले 4 लाख गैर रिहायशी संपत्तियों की टैंगिंग का कार्य पूरा किया जाएगा। दिल्ली के 15 लाख घरों की जियो टैगिंग का कार्य 31 जनवरी 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। डॉ। शैली ओबरॉय ने कहा कि पिछले सात दिनों में 20 हजार से अधिक संपत्तियों की जियो टैगिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है। नेता सदन मुकेश गोयल ने कहा कि लोग अपने मोबाइल के जरिए आसानी से यूपिक/प्रोपर्टी नंबर के जरिए जियो टैगिंग कर सकते हैं। जियो टैगिंग करने वाली संपत्तियों को ही योजना के तहत संपत्तिकर में छूट मिलेगी। डिप्टी मेयर आले मोहम्मद इकबाल ने कहा कि खास बात है कि जियो टैंगिंग पर एमसीडी कोई राशि खर्च नहीं कर रही है। सिर्फ अत्याधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुंबई-बेंगलुरु जैसे शहरों में संपत्तियों की जियो टैगिंग पर ही करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। इसकी वजह एमसीडी में आम आदमी पार्टी की कट्टर ईमानदार सरकार का होना है। दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबेरॉय, डिप्टी मेयर आले मोहम्मद इकबाल और नेता सदन मुकेश गोयल ने निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में गुरुवार को महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने कहा कि पिछले 15 सालों में भारतीय जनता पार्टी ने नगर निगम में राज किया, लेकिन निगम के पास कभी भी संपत्तियों का डेटाबेस नहीं रहा कि दिल्ली में कितनी प्रॉपर्टीज है और कितने संपत्तिकर दाता हैं। अब इसके लिए दिल्ली नगर निगम ने एक मुहिम की तरह जियो टैगिंग की शुरुआत की है। जियो टैगिंग वह माध्यम है, जिससे पूरी दिल्ली में जितनी भी प्रॉपर्टीज है वह सेटेलाइट के द्वारा टैग की जा सकती है कि दिल्ली में कितनी प्रॉपर्टीज है और कितने हमारे संपत्तिकर दाता हैं। अभी तक ऐसी शुरुआत केवल मुंबई और बेंगलुरु ने की है। इस पर निगम का कुछ भी खर्च नहीं आएगा। पिछले 7 दिनों से 20 हज़ार प्रॉपर्टीज को टैग कर दिया गया है और आने वाले 2 महीने में 15 लाख प्रॉपर्टीज को टैग करने का लक्ष्य है। सबसे पहले इस मुहीम का फोकस गैर-रिहाइशी संपत्तियों की टैगिंग पर रहेगा।